हम सब लोह चुम्बकीय पदार्थ के चुंबकन तथा विचुम्बकन के बारे में पढ़ चुके है और इसके लिए ग्राफ भी बनाया था जिसे हमने शैथिल्य वक्र कहा था।
जब प्राप्त शैथिल्य ग्राफ द्वारा घेरा गया क्षेत्रफल अधिक प्राप्त होता है तो ऊर्जा का हास् भी अधिक होता है इसी प्रकार जब क्षेत्रफल कम होता है तो ऊर्जा हास कम होता है।
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यहाँ दो पदार्थों के लिए प्राप्त शैथिल्य ग्राफ को दर्शाया गया है , जिसमे पहले शैथिल्य ग्राफ का क्षेत्रफल अधिक है अत: यहाँ ऊर्जा का हास् भी अधिक होता है , दूसरे शैथिल्य ग्राफ में क्षेत्रफल कम है अत: इस स्थिति में ऊर्जा हास कम होता है।
जब लौह चुम्बकीय पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है जिससे यह चुम्बकित होने लगता है , चुंबकन की दशा में पदार्थ द्वारा ऊर्जा ग्रहण की जाती है ठीक इसी प्रकार जब लोह चुम्बकीय पदार्थ को विचुम्बकित किया जाता है तो ऊर्जा बाहर निकलती है।
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