Physics Class 12

p-n  संधि डायोड में अग्र बायस और पश्च बायस | PN संधि डायोड का अभिलाक्षणिक वक्र

अग्र बायस (forward bias):-  यदि pn संधि डायोड के p भाग का सम्बन्ध बैटरी के धन टर्मेनल से ओर n भाग का सम्बन्ध बैटरी के ऋण टर्मिनल से कर दे तो इसे अग्र वायस कहते है। इस प्रकार से जोड़ने पर p भाग के कोटर बैटरी के धन टर्मिनल से प्रतिकर्षित होकर और n के e  बैटरी के ऋण टर्मिनल […]

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संचार व्यवस्था की परिभाषा क्या है तथा प्रकार

संचार व्यवस्था (Communication system):-सूचना को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने की व्यवस्था को संचार व्यवस्था कहते है। इसके मुख्य भाग निम्न है:- 1. प्रेषित 2. चैनल 3. अभिग्राही संदेश सिग्नल को सीधे ही प्रेषित करना सम्भव नहीं है। क्योंकि ये अधिक दूरी तक नहीं जा सकते है। संदेश सिग्नल को प्रेषित में भेजते

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ट्रांजिस्टर के प्रवर्धक के रूप में | ट्रांजिस्टर दोलित्र के रूप में कार्य विधि | परिपथ चित्र

प्रवर्धन (Amplification):- निवेशी सिग्नल के आयाम में वृद्वि करने को प्रर्वान कहते है।  एक npn ट्रांजिस्टर को प्रवर्धक के रूप में कार्य करने के लिए परिपथ में जोड़ा गया है। इससे निवेशी सिग्नल Vi और बैटरी Vbb के श्रेणीक्रम में आरोपित करते है।  बैअरी Vbb का मान सक्रिय क्षेत्र के मध्य में रखना चाहिए और ट्रांजिस्टर ऐसा लेना चाहिए जिसका सक्रिय क्षेत्र

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N-P-N ट्रांजिस्टर परिपथ चित्र बनाइये और कार्यविधि | npn ट्रांजिस्टर को स्वीच के रूप में

कार्यविधि (working):- अभिलाक्षणिक वक्र खीचने के लिए npn ट्रांजिस्टर को उत्सर्जक आधार संधि को बैटरी Vbb से अग्र बायसित किया गया है। जबकि आधार संग्राहक संधि को बैटरी Vcc से पश्च बायसित किया गया है। वोल्टता Vce को नियत रखकर निवेशी धारा Ib और निवेशी वोल्टता Vb में लेखा चित्र खीचते है। जिससे निवेशी अभिलाक्षणिक वक्र कहते है। जो चित्र में दिखाये अनुसार प्राप्त होता है।

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ट्रांजिस्टर | ट्रांजिस्टर में धारा प्रवाह

ट्रांजिस्टर (Transistor):- इनमें तीन अपमिश्रित क्षेत्र होते है तथा इसमें दो pn संधि होती है तीन भाग निम्न है। 1. उत्सर्जक (Emitter):- यह अधिक मादित क्षेत्र होता है। जिसका कार्य अधिक मात्रा में आवेश वाहक प्रदान करता है। 2. आधार (base):- यह सबसे पतला और सबसे कम मादित क्षेत्र होता है इसका कार्य उत्सर्जक से प्राप्त आवेश

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प्रकाश उत्सर्जन डायोड (LED) | सौर सेल की बनावट व कार्य प्रणाली

प्रकाश उत्सर्जक डायोड (Light emitting diode):- ये ऐसे डायोड है जो परिपथ में अग्र बायस में जोड़ने पर प्रकाश उत्सर्जन करते है इन्हें अत्याधिक मात्रा में अशुद्वि को अपमिश्रण करके बनाया जाता है तथा इन्हें पारदर्शी आवरण में बन्द कर देते हैं ताकि प्रकाश का उत्सर्जन हो सके। कार्य प्रणाली (working):- जब pn संधि डायोड को

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जेनर डायोड (Zener diode) | फोटो डायोड

जेनर डायोड (Zener diode in hindi ):- यह ऐसा डायोड है जो वोल्टता नियंत्रण में काम आता है। इसके p और n भाग में अधिक मात्रा में अशुद्वि अपमिश्रित करते है ताकि ह्यसी क्षेत्र की चैड़ाई कम हो । इससे कम वोल्टता आरोपित करने पर ही संधि तल पर उच्च विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है इसे परिपथ

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logic gate (तार्किक द्वार) क्या है ये कितने प्रकार के होते है

अनुरूप सतत:- ये ऐसे सिaग्नल है जिसमें चार राशि जैसे वोल्टेज धारा आदि का मान समय के अनुसार निरन्तर प्राप्त होता है जब ध्वनि को विद्युत संकेतों में परिवर्तित करते है तो ऐसे ही सिग्नल प्राप्त होते है। आंकिक सिग्नल (डिजिटल):- ये ऐसे सिग्नल है जिनमें चर राशि का मान तक निश्चित समय अन्तराल के

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दिष्ट करण | कार्यप्रणाली | पूर्ण तरंग दिष्टकारी | शुद्ध दिष्टधारा के लिए फिल्टर परिपथ

दिष्ट करण :-प्रत्यावृत्ति धारा को दिष्ट धारा में बदलना दिष्टकरण कहलाता है और जिस परिपथ के द्वारा दिष्टकरण किया जाता है। उसे दिष्टकारी कहते है। इसके लिए प्रत्यावृत्ति का सम्बद्व ट्रांसफार्मर की प्राथमिक कुण्डली से कर देते है और द्वितीयक कुण्डली के साथ एक डायोड और लोड RL जोड़ देते हैं। कार्यप्रणाली:- जब द्वितीयक कुण्डली का a सिरा धनात्मक

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एकीकृत परिपथ (IC) (इंटीग्रेटेड सर्किट) की परिभाषा क्या है तथा प्रकार

एकीकृत परिपथ (IC) (इंटीग्रेटेड सर्किट)  : अर्द्धचालक का एकल  क्रिस्टल (सिलिकन) को लेकर उस पर सक्रिय अवयव जैसे डायोड ट्रांजिस्टर और आक्रिय अवयव जैसे प्रतिरोध और संधारिख् का सूक्ष्म रूप से निर्माण करके अनेक इलेक्ट्राॅनिक परिपथ की सरंचना करते है इसे एकीकृत परिपथ कहते है। इसके निम्न लाभ है। 1. टाॅके की संधि नहीं होने

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