फैराडे के नियम में हमने पढ़ा की चुम्बक तथा कुण्डली के मध्य आपेक्षिक गति के कारण कुण्डली में विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है जिसका मान निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है:
E = – dϴ/dt
यदि कुण्डली में फेरो की संख्या N हो तो प्रेरित वि.वा.बल
E = -N dϴ/dt यदि कुण्डली का क्षेत्रफल A हो तथा यह चुंबकीय क्षेत्र B की दिशा में हो अर्थात A तथा B के मध्य शून्य कोण होने पर चुम्बकीय फ्लक्स का मान
ϴ = BA
E = -N dϴ/dt
E = -N dBA/dt यदि चुम्बकीय क्षेत्र B नियत हो तथा क्षेत्रफल A परिवर्तनशील हो तो B समाकलन से बाहर ले सकते है
E = -BN (dA/dt)
माना कुण्डली के परिपथ का पूर्ण प्रतिरोध का मान R है तो
प्रेरित धारा = प्रेरित विद्युत वाहक बल / परिपथ का कुल प्रतिरोध
I = E/R
E (विद्युत वाहक बल) का मान रखने पर
I = -BN dA/Rdt
यहाँ से dt को दूसरी तरफ लाने पर
I dt = -BN dA/R
B dA = dϴ चुम्बकीय फ्लक्स
अत:
I dt = -N dϴ/R
dt समय में परिपथ में प्रेरित कुल आवेश प्रेरित आवेश = प्रेरित धारा x समय
dq = I dt
I dt का मान ऊपर से रखने पर
dq = -N dϴ/R
यदि प्रारंभिक चुम्बकीय फ्लक्स का मान ϴ1 हो तथा अंतिम चुम्बकीय फ्लक्स का मान ϴ2 हो तो

q = -N/R (ϴ2 – ϴ1)
यह प्रेरित आवेश q तथा प्रेरित चुम्बकीय फ्लक्स में सम्बन्ध दर्शाता है।
Remark:
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