अविकारी शब्द (अव्यय) किसे कहते हैं, प्रकार, उदाहरण | Avikari Shabd Kise Kahate Hain

हेलो स्टूडेंट, हम आपको इस आर्टिकल में हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण अध्याय अविकारी शब्द (अव्यय) किसे कहते हैं, प्रकार, उदाहरण आदि के बारे में बताया गया है | इसलिए इस लेख को अंत तक पढ़े | Avikari Shabd (Avyay) in Hindi में पढ़े |

अविकारी शब्द (अव्यय) किसे कहते हैं – Avikari Shabd (Avyay) ki Paribhasha :

जो शब्द लिंग, वचन, कारक, पुरूष और काल के कारण नहीं बदलते, वे अव्यय कहलाते हैं |

अव्यय के प्रकार – Avyay Ke Bhed :

  1. क्रिया विशेषण
  2. सम्बन्ध बोधक
  3. समुच्चय बोधक
  4. विस्मयादि बोधक

1. क्रिया विशेषण :

वे शब्द जो क्रिया की विशेषता प्रकट करें, उन्हें क्रिया-विशेषण कहते हैं |

इसके चार भेद हैं

i. कालवाचक :- जिससे क्रिया के करने या होने के समय (काल) का ज्ञान हो, वह कालवाचक क्रिया विशेषण कहलाता है |

जैसे – परसों मंगलवार हैं, आपको अभी जाना चाहिए, आजकल, कभी, प्रतिदिन, रोज, सुबह, अक्सर, रात को, चार

बजे, हर साल आदि।

ii. स्थान वाचक :– जिससे क्रिया के होने या करने के स्थान का बोध हो, वह स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहलाता है।

जैसे– यहाँ, वहाँ, इधर, उधर, नीचे, ऊपर, बाहर, भीतर, आसपास आदि।

iii. परिमाणवाचक :– जिन शब्दों से क्रिया के परिमाण या मात्रा से सम्बन्धित विशेषता का पता चलता है। परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहलाते है।

जैसे –

a) वह दूध बहुत पीता है।

b) वह थोड़ा ही चल सकी।

c) उतना खाओ जितना पचा सको।

iv. रीतिवाचक :– जिससे क्रिया के होने या करने के ढ़ग का पता चले, वे रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहलाते है।

जैसे

a) शनैः शनैः जाता है।

b) सहसा बम फट गया।

c) निश्चिय पूर्वक करूँगा।

2. सम्बन्ध बोधक :

जिस अव्यय शब्द से संज्ञा अथवा सर्वनाम का सम्बन्ध वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ प्रकट होता है, उसे सम्बन्ध बोधक अव्यय कहते है।

जैसे-

i. उसके सामने मत ठहरो।

ii. पेड़ के नीचे बैठो

से पहले, के भीतर, की ओर, की तरफ, के बिना, के अलावा, के बगैर, के बदले, की जगह, के साथ, के संग, के विपरीत आदि।

3. समुच्चय बोधक या योजक :

जो अव्यय दो शब्दों अथवा दो वाक्यों को जोड़ने का कार्य करते हैं उन्हें समुच्चय बोधक अव्यय कहते है।

जैसे– और, तथा, एवं, मगर, लेकिन, किन्तु, परन्तु, इसलिए, इस कारण, अतः, क्योंकि, ताकि, या, अथवा, चाहे आदि।

4. विस्मयादि बोधक :

जिन अविकारी शब्दों से हर्ष, शोक, आश्चर्य घृणा, दुख, पीड़ा आदि का भाव प्रकट हो उन्हे विस्मयादि बोधक अव्यय कहते हैं |

जैसे – ओह!, हे!, वाह!, अरे!, अति सुंदर!, उफ!, हाय!, धिक्कार!, सावधान!, बहत अच्छा!, तौबा-तौबा!, अति सुन्दर आदि ।

Hindi Grammar Class 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

FAQs

अविकारी अव्यय शब्द के कितने भेद हैं?

वे अव्यय शब्द जिनका प्रयोग वाक्य में वाक्य में प्रयुक्त क्रिया या अन्य शब्दों के साथ जोड़ने के लिए किया जाता है। उन्हें संबंध बोधक कहते है। बहुत से शब्दों का प्रयोग क्रिया वि. तथा संबंध बोधक दोनों में होता है। जैसे यहां, वहां, ऊपर, निचे, सामने, पहले, दायें, बाएं, बाद, कम, ज्यादा,अधिक बहुत आदि।

विकारी और अविकारी शब्द क्या है दोनों में क्या अंतर है?

विकारी शब्द, लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल आदि से रूपांतरित होते रहते हैं। इसके अंतर्गत संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया आते हैं।
अविकारी शब्द कभी और किसी परिस्थिति में अपने रूप को नहीं बदलते हैं। इसके अंतर्गत क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक, विस्मयादिबोधक, उपसर्ग, निपात आदि आते हैं।

अधिकारी शब्द कितने प्रकार के होते हैं?

अविकारी शब्द चार प्रकार के होते हैं
क्रिया विशेषण
क्रिया विशेषण 2. संबंधबोधक
क्रिया विशेषण 2. संबंधबोधक 3. समुच्चयबोधक
क्रिया विशेषण 2. संबंधबोधक 3. समुच्चयबोधक 4. विस्मयादिबोधक

अव्यय मुख्यतः कितने होते हैं?

जब, तब, अभी, उधर, वहाँ, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु, बल्कि, इसलिए, अतः, अतएव, चूँकि, अवश्य, अर्थात इत्यादि।

विकारी शब्द का क्या अर्थ होता है?

वह शब्द जो लिंग, वचन, कारक आदि से विकृत हो जाते हैं विकारी शब्द होते हैं। जैसे- मैं→ मुझ→ मुझे→ मेरा, अच्छा→ अच्छे आदि।

तत्सम शब्द कौन सा है?

तत्सम शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों, तत् + सम् से मिलकर बना है। तत् का अर्थ है – उसके, तथा सम् का अर्थ है – समान। अर्थात – ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना किसी परिवर्तन के ले लिया जाता है, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं।

हम उम्मीद रखते है कि अविकारी शब्द (अव्यय) किसे कहते हैं, प्रकार, उदाहरण आपकी स्टडी में उपयोगी साबित हुए होंगे | अगर आप लोगो को इससे रिलेटेड कोई भी किसी भी प्रकार का डॉउट हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूंछ सकते है |

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