Author name: Galeshwar Kumar

श्रेणी अनुनादी परिपथ में विशेषता गुणांक

श्रेणी अनुनादी परिपथ में विशेषता गुणांक( Quality factor in LCR resonance circuit in hindi) : जब किसी LCR अनुनादी परिपथ में अर्द्ध शक्ति आवृत्ति f0 के मान में थोडा सा भी परिवर्तन किया जाता है तो इस थोड़े से परिवर्तन से भी परिपथ की धारा में बहुत अधिक परिवर्तन आता है।जब अर्द्ध शक्ति आवृत्ति f0 के मान में इस […]

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श्रेणी अनुनादी परिपथ में बैण्ड चौड़ाई

श्रेणी अनुनादी परिपथ में बैण्ड चौड़ाई : श्रेणी LCR अनुनादी परिपथ में दो आवृत्तियाँ ऐसी होती है जिनके मध्य शक्ति क्षय का मान कुल शक्ति क्षय का आधा होता है इन आवृतियों को अर्द्ध शक्ति आवृत्तियाँ कहते है तथा इन दोनों आवृत्तियों के अन्तर को  श्रेणी अनुनादी परिपथ में बैण्ड चौड़ाई कहते है। माना f1 तथा f2 दो ऐसी आवृत्तियाँ

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अर्द्ध शक्ति बिन्दु या आवृत्तियाँ

श्रेणी LCR परिपथ के लिए जब आवृति f में परिवर्तन किया जाता है तो उसके अनुसार परिपथ में प्रवाहित धारा के मान में भी परिवर्तन आता है। जब हम परिवर्तनशील आवृत्ति f तथा परिपथ में प्रवाहित धारा I के मध्य ग्राफ खीचते है तो यह चित्र के अनुसार प्राप्त होता है। LCR परिपथ जब अनुनाद

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शुद्ध धारितीय परिपथ में प्रत्यावर्ती वोल्टता तथा प्रत्यावर्ती धारा के मध्य कला संबंध तथा फेजर आरेख

शुद्ध धारितीय परिपथ में प्रत्यावर्ती वोल्टता तथा प्रत्यावर्ती धारा के मध्य कला संबंध तथा फेजर आरेख  : पहले हम बात करते है की जब किसी संधारित्र को जब किसी दिष्टकारी स्रोत से जोड़ा जाता है तो संधारित्र की एक प्लेट धनावेशित हो जाती है तथा दूसरी प्लेट ऋणावेशित हो जाती है तथा दोनों प्लेटो के मध्य

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प्राथमिक इन्द्रधनुष और द्वितीयक इन्द्रधनुष | प्रकीर्णन | रेले का प्रकीर्णन

जब सूय एक क्षैतिज की ओर होता है और वर्षा इसके विपरित क्षितिज में हो रही है उस समय मनुष्य अपनी पीट को सूर्य की तरपफ रखे तो इन्द्रधनुष दिखाई देता है। जब वर्षा हो रही होती है तो पानी की नन्ही-नन्ही बूंदे हवा में तैरती रहती है ये बूंदे प्रिज्म की तरह कार्य करती

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प्रत्यावर्ती धारा और वोल्टता के तात्क्षणिक | शिखर | औसत और वर्ग माध्य मूल मान

तात्क्षणिक मान (Instantaneous value in hindi ): किसी भी क्षण मापे गए या लिए गए प्रत्यावर्ती धारा के मान को चाहे यह धारा के रूप में हो या वोल्टेज के रूप में तो इसे प्रत्यावर्ती धारा का क्रमश: धारा तथा वोल्टेज के तात्क्षणिक मान कहते है।  यह शून्य , ऋणात्मक या धनात्मक कुछ भी हो

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प्रत्यावर्ती धारा तथा प्रत्यावर्ती विद्युत वाहक बल की परिभाषा क्या है

प्रत्यावर्ती धारा तथा प्रत्यावर्ती विद्युत वाहक बल : ऐसी धारा जिसका परिमाण तथा दिशा दोनों समय के साथ बदलते रहते है तथा एक निश्चित अन्तराल बाद उसी परिमाण से अपना चक्कर शुरू करते है व उसी दिशा में आरम्भ करते है अर्थात एक निश्चित समय बाद अपना पूरा चक्कर करने के बाद दूसरा चक्कर शुरू कर

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अन्योन्य प्रेरण गुणांक या अन्योन्य प्रेरकत्व

आप देख रहे की चित्रानुसार दो कुंडलियाँ पास में रखी हुई , पहली कुंडली में लिपटे फेरो की संख्या N1 है तथा दूसरी कुण्डली में फेरों की संख्या N2 है।प्राथमिक कुण्डली में प्रवाहित धारा का मान I1 है यह धारा परिवर्तनशील है जिससे द्वितीयक कुण्डली में उत्पन्न सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स का मान ϴ2 है। प्राथमिक कुण्डली में प्रवाहित परिवर्तनशील

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समतल वृत्ताकार कुण्डली का स्वप्रेरकत्व

एक समतल वृत्ताकार कुण्डली का स्वप्रेरकत्व कितना होता है इसके लिए हम सूत्र की स्थापना भी करेंगे। मान लेते है की N फेरे किसी वृत्ताकार कुण्डली में लिपटे हुए है तथा इस वृत्ताकार कुंडली में I धारा प्रवाहित हो रही है। धारा प्रवाहित होने से इसके केंद्र में एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है

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स्वप्रेरण की परिभाषा क्या है ,स्व प्रेरण का प्रायोगिक प्रदर्शन

जब किसी कुण्डली में परिवर्तित धारा का मान प्रवाहित किया जाता है तो इसमें चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है तथा जिसके कारण इससे सम्बद्ध परिवर्तनशील चुम्बकीय फ्लक्स का मान उत्पन्न हो जाता है। चुम्बकीय फ्लक्स के मान में परिवर्तन होने से प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है इस घटना को ही स्वप्रेरण

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