श्रेणी अनुनादी परिपथ में विशेषता गुणांक

श्रेणी अनुनादी परिपथ में विशेषता गुणांक( Quality factor in LCR resonance circuit in hindi) : जब किसी LCR अनुनादी परिपथ में अर्द्ध शक्ति आवृत्ति f0 के मान में थोडा सा भी परिवर्तन किया जाता है तो इस थोड़े से परिवर्तन से भी परिपथ की धारा में बहुत अधिक परिवर्तन आता है।
जब अर्द्ध शक्ति आवृत्ति f0 के मान में इस प्रकार परिवर्तन किया जाए की धारा का मान अत्यधिक कम हो जाए अनुनाद (ग्राफ) तीक्ष्ण हो जाता है इसे अनुनाद तीक्ष्ण कहते है।


अनुनाद की इस तीक्ष्णता को जिस राशि द्वारा व्यक्त किया जाता है उसे विशेषता गुणांक कहते है इसे Q से दर्शाया जाता है तथा यह एक विमाहीन राशि है।
किसी भी LCR अनुनादी परिपथ में प्रतिरोध R की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है , जब परिपथ में R का मान परिवर्तित किया जाता है तो हम पाते है अनुनाद ग्राफ भी बदल जाता है।
जब R का मान कम किया जाता है तो ग्राफ तीक्ष्ण हो जाता है तथा जब प्रतिरोध R का मान बढाया जाता है तो अनुनाद ग्राफ चपटा प्राप्त होता है अर्थात इसका शीर्ष मान कम होता है।


अत: ग्राफ की तीक्ष्णता का माप हम Q गुणांक या विशेषता गुणांक की सहायता से करते है की यह कितना तीक्ष्ण है और कितना चपटा है और इससे हम यह भी बताने में समर्थ होते है की यहाँ R के मान में कितना परिवर्तन किया जा रहा है क्यूंकि इसका मान प्रतिरोध R के मान पर निर्भर करता है। तथा निम्न आवृति व उच्च आवृत्ति में कितना अंतर है। साथ ही यहाँ प्रेरकत्व तथा संधारित्र का मान क्या है क्यूंकि Q का मान इन सभी चीजो पर निर्भर करता है।

चित्र में हम स्पष्ट रूप से देख सकते है की यहाँ Q के भिन्न भिन्न मनो के लिए अनुनाद वक्र या ग्राफ की तीक्ष्णता या चपटापन भिन्न भिन्न है।
श्रेणी RLC अनुनादी परिपथ का विशेषता गुणांक या Q factor ज्ञात करने के लिए सामान्यत: निम्न सूत्र काम में लिया जाता है।

Remark:

दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर solution प्रदान करेंगे|

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