जब किसी कुण्डली में परिवर्तित धारा का मान प्रवाहित किया जाता है तो इसमें चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है तथा जिसके कारण इससे सम्बद्ध परिवर्तनशील चुम्बकीय फ्लक्स का मान उत्पन्न हो जाता है। चुम्बकीय फ्लक्स के मान में परिवर्तन होने से प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है इस घटना को ही स्वप्रेरण कहते है।
परिभाषा : किसी कुण्डली में धारा परिवर्तन के कारण प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है इस घटना को स्व प्रेरण कहते है।
स्वप्रेरण का प्रायोगिक प्रदर्शन:
स्व प्रेरण की घटना को समझने के लिए एक प्रयोग करते है तथा इसे इस प्रयोग के माध्यम से समझने की कोशिश करते है।
![](https://1.bp.blogspot.com/-hBMK5HlP2j0/WqdA7YWu8rI/AAAAAAAAAOE/lzGc_olNtqI9UxQYBxlQC48Hyq2jizOTgCLcBGAs/s1600/images.png)
चित्रानुसार एक बल्ब , कुण्डली , बैट्ररी तथा कुंजी को आपस में जोड़ते है। जब कुंजी को लगाया जाता है तो स्वभाविक है की बल्ब जलेगा लेकिन जब कुन्जी को हटाया जाता है तो बल्ब एकदम से बंद न होकर धीरे धीरे बंद होता है अर्थात कुंजी निकालने के बाद बल्ब कुछ देर पर जलता रहता है।
ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि जब कुंजी को निकाला जाता है तो स्वप्रेरण के कारण धारा के विपरीत दिशा में एक प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है , जब कुंजी को हटाया जाता है तो यह प्रेरित धारा मूल धारा के कम होने का विरोध करती है , इसलिए बल्ब कुछ देर तक जलता रहता है जब तक की प्रेरित धारा मूल धारा का विरोध कर उसको शून्य न होने दे।
Remark:
दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर solution प्रदान करेंगे|