Author name: Galeshwar Kumar

भँवर धाराओं के उपयोग

कहीं कही भंवर धाराएं अवांछनीय है जैसे इनकी वजह से ऊष्मा उत्पन्न हो जाती है जिससे ऊर्जा की क्षति होती है , तो कही पर इनका बहुत उपयोग है , हम यहाँ इनके उपयोग के बारे में अध्य्यन करेंगे की इनका उपयोग कहा और क्यों किया जाता है। 1:- प्रेरण भट्टी में : प्रेरण भट्टी […]

भँवर धाराओं के उपयोग Read More »

समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में चालक छड की गति के कारण प्रेरित वि.वा.बल

माना कागज के लम्बवत निचे की तरफ एक चुम्बकीय क्षेत्र B उपस्थित है ,यह समरूप से फैला हुआ है। इस चुम्बकीय क्षेत्र में एक l लम्बाई का चालक रखा हुआ है इसे PQ से चित्र में दर्शाया गया है , यह कागज तल में रखा हुआ है अत: यह चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत स्थित है

समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में चालक छड की गति के कारण प्रेरित वि.वा.बल Read More »

चुम्बकीय शैथिल्य वक्र क्या है , निग्राहिता , धारणशीलता की परिभाषा

जब एक धारावाही परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर उसके अन्दर एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है , माना धारावाही परिनालिका में n फेरे लिपटे हुए है तथा I धारा प्रवाहित हो रही है तो परिनालिका में अक्ष के अनुदिश चुम्बकीय क्षेत्र B = nI होगा।परिनालिका के भीतर एक लोह चुम्बकीय पदार्थ रखते है

चुम्बकीय शैथिल्य वक्र क्या है , निग्राहिता , धारणशीलता की परिभाषा Read More »

लेन्ज का नियम एवं ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत में सम्बन्ध

हमें ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत बताता है की ” ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न नष्ट किया जा सकता है , लेकिन ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है ” लेंज का नियम भी ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत सिद्धांत पर आधारित है। हमने लेंज के नियम में

लेन्ज का नियम एवं ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत में सम्बन्ध Read More »

लैंज का नियम या लेंज नियम क्या है

फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियम में हमने यह तो पढ़ लिया है की कुण्डली तथा चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति करने से कुण्डली में विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है जिससे विद्युत धारा उत्पन्न हो जाती है , इसके साथ ही हमने सूत्र भी ज्ञात कर लिया था जिससे हम इसके मान

लैंज का नियम या लेंज नियम क्या है Read More »

लोह चुम्बकीय पदार्थ की परिभाषा क्या है ,गुण ,व्याख्या , उदाहरण

ऐसे पदार्थ जो चुम्बकीय क्षेत्र से आकर्षित होते है तथा जिनकी उपस्थिति से चुंबकीय क्षेत्र का मान बहुत अधिक बढ़ जाता है उनको लौह चुम्बकीय पदार्थ कहते है।इन पदार्थों को जब असमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो ये कम चुंबकीय क्षेत्र से अधिक चुंबकीय क्षेत्र की तरफ शीघ्रता से गति करते है। जब

लोह चुम्बकीय पदार्थ की परिभाषा क्या है ,गुण ,व्याख्या , उदाहरण Read More »

विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की परिभाषा क्या है, ( फैराडे तथा हेनरी के प्रयोग )

हम अध्ययन कर चुके है की विद्युत धारा या गतिमान आवेश के कारण चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है इसे देखते हुए फैराडे तथा हेनरी ने सोचा की फिर तो चुंबकीय क्षेत्र के कारण विद्युत धारा भी उत्पन्न होनी चाहिए। इसलिए फैराडे तथा हेनरी ने धारामापी , कुण्डली तथा चुम्बक पर प्रयोग किये लेकिन धारामापी में

विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की परिभाषा क्या है, ( फैराडे तथा हेनरी के प्रयोग ) Read More »

चुम्बकीय पदार्थों का वर्गीकरण या प्रकार

फैराडे के परिनालिका वाले प्रयोग को हम विस्तार से पढ़ चुके है जिसमे उन्होंने धारावाही परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित करके एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न किया और पाया की कुछ पदार्थ इस क्षेत्र से आकर्षित होते है , कुछ प्रतिकर्षित तथा कुछ पदार्थों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता इस प्रयोग के आधार पर फैराडे

चुम्बकीय पदार्थों का वर्गीकरण या प्रकार Read More »

चुम्बकत्व में गाउस का नियम क्या है | सूत्र

चुम्बक में दो ध्रुव पाए जाते है तथा इन दोनों ध्रुवों को अलग नहीं किया जा सकता अर्थात किसी एक ध्रुव का अस्तित्व संभव नहीं है तथा धारावाही लूप या चुम्बकीय द्विध्रुव को चुम्बकत्व का सबसे छोटा रूप माना जाता है यही कारण है की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं सतत तथा बंद वक्र के रूप में

चुम्बकत्व में गाउस का नियम क्या है | सूत्र Read More »

उदासीन बिन्दु चुम्बक तथा चुम्बकीय क्षेत्र के सन्दर्भ में

जैसा की हम जानते है की पृथ्वी भी चुम्बक की भाँति व्यवहार करती है अतः जब किसी चुम्बक के पास कोई चुम्बकीय सुई रखी जाती है तो उस पर दो चुम्बकीय क्षेत्र कार्य करते है पहला चुम्बक के कारण उत्पन्न तथा दूसरा पृथ्वी के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र। जिस बिन्दु पर दोनों चुम्बकीय क्षेत्र का

उदासीन बिन्दु चुम्बक तथा चुम्बकीय क्षेत्र के सन्दर्भ में Read More »

Scroll to Top