आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा | Potential Energy of a System of Charges in Hindi

आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा क्या है :

जब दो या दो से अधिक आवेशों को अनंत से लाकर एक दूसरे के समीप व्यवस्थित करके या रखकर एक निकाय बनाया जाता है , इस निकाय को बनाने के लिए एक कार्य करना पड़ता है और यह किया गया कार्य इस निकाय में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है , इस संचित ऊर्जा को निकाय की स्थितिज ऊर्जा कहते है। इसको U से व्यक्त किया जाता है।   परिभाषा : दो या दो से अधिक आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा उस कार्य के तुल्य होती है जो इन आवेशों को अनन्त से लाकर एक निकाय की रचना करने में करना पड़ता है।

1. दो आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा

इसमें हम दो आवेशों पर अध्ययन करेंगे , इन दोनों आवेशों को अनंत से लाकर एक निकाय की रचना करके इसकी स्थितिज ऊर्जा ज्ञात करेंगे।   माना दो आवेश है q1 तथा q2 , दोनों आवेश r दूरी पर रखे है , दोनों आवेशों की स्थिति क्रमशः A व B है अर्थात बिंदु A व B पर रखे है। q1 आवेश के कारण B पर उत्पन्न विद्युत विभव का मान

हम यह भी जानते है की किसी बिंदु पर विद्युत विभव का मान उस कार्य के तुल्य होता है जो एकांक धनावेश को अनंत से उस बिन्दु तक लाने में किया जाता है।   q2 आवेश को अनन्त से बिन्दु B तक लाने में किया गया कार्य या दूसरे शब्दों में कहे तो  q1 तथा q2  दोनों आवेशों द्वारा रचित इस निकाय की विद्युत ऊर्जा   U = W = V1 q2 यहाँ V1 का मान रखने पर स्थितिज ऊर्जा = U

  इससे हम यह भी निष्कर्ष निकाल सकते है की जब हमने दोनों आवेश धनात्मक लिए है तो स्थितिज ऊर्जा का मान धनात्मक प्राप्त होता है , लेकिन यदि एक आवेश ऋणात्मक लिया जाए तो स्थितिज ऊर्जा का मान ऋणात्मक प्राप्त होता है।   इसलिए स्थितिज ऊर्जा का मान निकालते समय आवेश को उसकी प्रकृति के साथ रखना चाहिए।

2. दो से अधिक आवेशों के निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा

अभी तक हमने सिर्फ दो आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा की गणना की है , अब हम n आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा (U) की गणना करेंगे जो उस कार्य के बराबर होती है जो n आवेशों को उनकी स्थिति तक लाने में करना पड़ता है।   n आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा ज्ञात करने के लिए हम दो – दो आवेशों से बने सभी संभव युग्मों (जोड़ो) की विद्युत स्थितिज ऊर्जा का मान ज्ञात करेंगे और फिर सभी ऊर्जाओं का चिन्ह के साथ बीजगणितीय योग करते है जिससे हमें पूरे निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा प्राप्त होती है।   चित्रानुसार हमारे पास तीन आवेश q1 , q2 , q3 , P1 , P2 , Pस्थितियों पर रखे है , हमें इस तीन आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा की गणना करनी है।   प्रथम आवेश q1 को P1(r1) स्थिति तक लाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ता क्योंकि क्षेत्र में अन्य कोई आवेश उपस्थित नहीं है जिसके विपरीत कार्य करना पड़े अर्थात इसका विरोध करने वाला कोई अन्य आवेश नहीं है अतः किया गया कार्य शून्य होगा।   W1 = 0   जब आवेश q2 को क्षेत्र की स्थिति P2(r2) पर q1 से r12 दूरी पर लाया जाता है तो किया गया कार्य   W2 = (q1 के कारण विभव ) x q2

    qआवेश को क्षेत्र की स्थिति P3(r3) पर लाने में किया गया कार्य    W = (qव q2 के कारण विभव ) x q3

  अतः आवेशों q1 , q2 , q3 के निकाय की कुल स्थितिज ऊर्जा   U = W1 + W2 + W3

यदि इसी प्रकार चार आवेश लिए जाए तो यह निम्न प्रकार प्राप्त होता है

U = W1 + W2 + W+ W

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