वृत्ताकार धारावाही कुण्डली के केंद्र पर चुम्बकीय क्षेत्र

वृत्ताकार धारावाही कुण्डली के कारण चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field due to current carrying circular coil ) :

जब एक वृत्ताकार कुण्डली हो तो इसके कारण कितना चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होगा साथ ही इसके लिए सूत्र भी स्थापित करेंगे।

 कुण्डली के केंद्र पर चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic field at the Centre of coil  )

जब हम किसी वृत्ताकार कुंडली में धारा प्रवाहित करते है तो इसके चारो ओर एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है , यदि यह वृत्ताकार कुण्डली कागज के तल में रखी हो तो इसके चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र कागज के तल के लंबवत होगा।

इस स्थिति में चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या होगी ? वृताकार कुंडली के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की दिशा वृतीय धाराओं के लिए दायीं हथेली का नियम से ज्ञात कर सकते है। इसके अनुसार जब कुण्डली में धारा दक्षिणावर्त दिशा में बह रही हो तो चुंबकीय क्षेत्र कागज के तल के लंबवत नीचे की तरफ होगा।

तथा जब धारा वामावर्त दिशा में बह रही हो तो चुम्बकीय क्षेत्र कागज के तल के लंबवत दिशा में ऊपर की ओर होगा।  (कुंडली कागज के तल पर स्थित है )

माना एक कुण्डली में धारा I प्रवाहित हो रही है इसकी त्रिज्या r है। हम कुंडली के केंद्र पर चुम्बकीय क्षेत्र की गणना करने के लिए कुण्डली की परिधि को अल्पांश में बाँट लेते है तथा सभी अल्पांश के कारण केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र की गणना करके सबको जोड़कर केंद्र पर कुल चुम्बकीय क्षेत्र की गणना करते है।

dl अल्पांश के कारण केंद्र o पर चुम्बकीय क्षेत्र dB है तो

चूँकि dl तथा r के मध्य 90 डिग्री का कोण है अतः θ = 90 अतः सूत्र में मान रखने पर sin90 = 1

अतः

अतः पूरे अल्पाँशो के कारण केंद्र पर उत्पन्न कुल चुम्बकीय क्षेत्र

यदि कुंडली में फेरो की संख्या N हो तो

Remark:

दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर solution प्रदान करेंगे|

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