काली तुलसी की खेती कैसे करें ? – Kali Tulsi Ki Kheti Kaise Kare

Kali Tulsi Ki Kheti Kaise Kare: black basil काली तुलसी के पौधों में कई औषधीय गुण होते हैं और इस वजह से यह पौधा लगभग हर घर में पाया जा सकता है। हिंदू समुदाय के लोग भी तुलसी की पूजा करते हैं। तुलसी की झाड़ी तीन से चार फीट लंबी होती है। जिनकी पत्तियों का उपयोग उत्पादों में सुगंध लाने के लिए किया जाता है। प्राचीन काल से तुलसी के पौधों का उपयोग Greek और आयुर्वेदिक औषधि के रूप में किया जाता रहा है।

Kali Tulsi Ki Kheti Kaise Kare

 इसके अलावा इसका उपयोग दवाओं के निर्माण में भी किया जाता है। तुलसी का उपयोग औषधि में किया जाता है क्योंकि इसमें कई औषधीय गुण होते हैं। बड़ी दवा कंपनियां इसके अर्क में तुलसी की खेती करती हैं क्योंकि दवा बनाने के लिए बड़ी मात्रा में तुलसी की आवश्यकता होती है। commercial तरीके से खेती करने से अच्छा लाभ मिलता है। आइए जानते है कि किस प्रकार आप इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

काली तुलसी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु, मिट्टी औऱ तापमान

काली तुलसी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है और इसके पौधे अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में आसानी से उग सकते हैं। इसकी फसल के लिए भूमि का PH मान 5.5 और 7 के बीच होना चाहिए। तुलसी व्यापक रूप से उष्णकटिबंधीय जलवायु में उगाई जाती है। इसके पौधे बरसात के मौसम में अच्छी तरह विकसित होते हैं, और सर्दी के ठंढ इसकी उपज को नुकसान पहुंचाते हैं इसके पौधों को बढ़ने के लिए किसी विशेष तापमान की आवश्यकता नहीं होती है और इसके पौधे सामान्य तापमान पर आसानी से बढ़ते हैं।

सिंचाई का सही समय क्या है?

काली तुलसी के पौधे सूखी भूमि में लगाए जाते हैं, इसलिए पहली सिंचाई रोपण के तुरंत बाद की जाती है। तुलसी के खेत में नमी बनाए रखने के लिए 4-5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। तुलसी के पौधों को साल में 10 से 12 सिंचाई की जरूरत होती है। बारिश के मौसम में हर 15 से 20 दिनों में पौधों की सिंचाई की जाती है।

खाद उर्वरक

चूंकि काली तुलसी की खेती का मुख्य उद्देश्य दवा तैयार करना है, इसलिए बेहतर है कि इसमें chemical खादों का प्रयोग न किया जाए। तुलसी की अच्छी फसल के लिए आप इसमें जैविक खाद का प्रयोग कर सकते हैं। जैविक खाद में इस फसल के लिए गाय के गोबर और Vermicompost से अच्छे विकल्प हैं। यदि आप अपने खेत में गाय के गोबर से बनी खाद का उपयोग करने जा रहे हैं, तो प्रति 1 एकड़ खेत में 10 से 15 टन गाय का गोबर उपयुक्त है, जबकि यदि आप Vermicompost लगाते हैं, तो प्रति एकड़ 5 टन खाद पर्याप्त है। यदि आपको लगता है कि आपके खेत में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है, तो इसे अपने खेत की मिट्टी की जांच के अनुसार करना उचित होगा।

प्रजातियाँ(species)

काली तुलसी में आमतौर पर निम्नलिखित प्रजातियां पाई जाती हैं:

Ocimum americanum (काली तुलसी) कपूर या ममरी।

Scientific name : ओसीमम कैनुम

General name : काली तुलसी

काली तुलसी के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम

पत्ती झुलसा(leaf scorched)

इस प्रकार का रोग प्रायः ग्रीष्मकाल में पौधों की पत्तियों पर पाया जाता है। इस रोग से प्रभावित होने पर पौधों की पत्तियों पर जले हुए धब्बे बन जाते हैं। phyto-sanitary विधि का उपयोग करके रोग को रोका जा सकता है।

जड़ गलन रोग(root rot disease)

इस प्रकार का रोग प्रायः खेत में रुके हुए पानी में ही पाया जाता है। जैसे ही खेत में पानी जमा हो जाता है, पौधे की जड़ें सड़ने लगती हैं और पौधे की पत्तियां मुरझाकर पीली हो जाती हैं। इस रोग से बचाव के लिए खेत में पानी जमा नहीं होना चाहिए। इसके अलावा रोग के कोई लक्षण होने पर पौधों की जड़ों पर उचित मात्रा में Bavistin का छिड़काव किया जाता है।

कीट रोग(insect disease)

इस प्रकार के रोग से तुलसी के पत्तों को अधिक नुकसान होता है। यह कीट पौधों की पत्तियों पर Urine करने से हानिकारक होता है, जिससे पौधों की पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं और पत्तियाँ मुरझाकर मर जाती हैं।  Ezadirachtin की सही मात्रा का छिड़काव करके इस बीमारी को रोका जा सकता है।

काली तुलसी के पौधों की कटाई, पैदावार औऱ लाभ

काली तुलसी को रोपण के तीन महीने बाद काटा जाता है। इसकी कटाई तब की जाती है जब इसके पौधे पूर्ण रूप से खिल जाते हैं और निचली पत्तियाँ सूख जाती हैं। इसके कटे हुए पौधों से तेल निकाला जाता है। पौधे के पौधे के हिस्सों को काटने के लिए इसे जमीन से 20 से 25 cm की ऊंचाई से काटा जाता है। तुलसी के खेत की उपज 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर होती है। इसमें 80 से 100 किलो तेल होता है। इस तेल का बाजार भाव 450 रुपये से लेकर 500 रुपये प्रति किलो के बीच है। इससे किसान भाई एक बार खेती करके आसानी से 40 से 50 हजार कमा सकते हैं।

सुखाना ,आसवन औऱ पैकिंग कैसे करें?

एक पतली परत में 8-10 दिनों के लिए छायादार स्थान पर सुखाएं केवल अच्छी हवा और छाया में ही सुखाएं। तुलसी का तेल आंशिक रूप से सूखे जड़ी बूटियों के भाप आसवन द्वारा निकाला जाता है।

airtight bag इसके लिए उपयुक्त हैं नमी जमा होने से रोकने के लिए polyethylene or nylon bags को पैक किया जाना चाहिए।

काली तुलसी की फसल को मार्केट में कैसे बेचे (How to sell Tulsi Crop In Market)

यदि वांछित है, तो फसल को सीधे बाजार में या लाभ पर बेचा जा सकता है। इसके अलावा, कोई भी कंपनी सीधे खेती और माल की आपूर्ति कर सकती है। अपने खेतों में जाओ और अपनी फसल ले आओ। यदि किसी व्यक्ति के पास 4 एकड़ 85 दशमलव भूमि है, तो उसे काली तुलसी की खेती के लिए लगभग 80 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसका कुल उत्पादन 72.40 क्विंटल है। उसे सोसायटी में बेचकर 131406 रुपये मिलते हैं।

निष्कर्ष

तुलसी भारत में एक पवित्र पौधा है। यह एक झाड़ी है जिसकी शाखाओं में एक विशेष प्रकार की सुगंध होती है। इस पौधे के औषधीय गुणों की चर्चा वैदिक काल से ही की जाती रही है। इस पौधे की पत्तियों और बीजों दोनों में ही औषधीय गुण होते हैं, इसलिए तुलसी के बीजों का महत्व इसके पत्तों के समान ही है। तुलसी के पौधे की पत्तियां वायरस से होने वाले कई तरह के वायरल इंफेक्शन में उपयोगी होती हैं।

तो दोस्तों हमने तुलसी की खेती (Black Basil Farming) कैसे करें की सम्पूर्ण जानकारी आपको इस लेख से देने की कोशिश की है उम्मीद है आपको यह लेख पसंद आया होगा अगर आपको हमारी पोस्ट अच्छी लगी हो तो प्लीज कमेंट सेक्शन में हमें बताएँ और अपने दोस्तों के साथ शेयर भी करें। Thanks for reading  

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