UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 6 निष्ठामूर्ति कस्तूरबा (गद्य खंड)

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. निम्नांकित गद्यांशों में रेखांकित अंशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या और तथ्यात्मक प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(1) चाहे दक्षिण अफ्रीका में हों या हिन्दुस्तान में, सरकार के खिलाफ लड़ाई के समय जब-जब चारित्र्य का तेज प्रकट करने का मौका आया कस्तूरबा हमेशा इस दिव्य कसौटी से सफलतापूर्वक पार हुई हैं।
             इससे भी विशेष बात यह है कि बड़ी तेजी से बदलते हुए आज के युग में भी आर्य सती स्त्री का जो आदर्श हिन्दुस्तान ने अपने हृदय में कायम रखा है, उस आदर्श की जीवित प्रतिमा के रूप में राष्ट्र पूज्य कस्तूरबा को पहचानता। है। इस तरह की विविध लोकोत्तर योग्यता के कारण आज सारा राष्ट्र कस्तूरबा की पूजा करता है।
प्रश्न
(1) गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(3) किस योग्यता के कारण सारा राष्ट्र कस्तूरबा की पूजा करता है?

उत्तर-

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ के ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ नामक पाठ से अवतरित है। इसके लेखक उच्चकोटि के विचारक काका कालेलकर हैं। प्रस्तुत अवतरण में कस्तूरबा के गुणों का वर्णन किया गया है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या- कस्तूरबा का वर्णन करते हुए लेखक कहता है कि चाहे भारत में हो या दक्षिण अफ्रीका में सरकार के खिलाफ संघर्ष के अवसर पर कस्तूरबा पीछे नहीं रहीं और उसका सफलतापूर्वक संचालन किया। इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि कस्तूरबा ने आदर्श भारतीय नारी के स्वरूप का विधिवत् पालन किया है। भारत ने स्त्री का जो आदर्श अपने हृदय में धारण किया है, कस्तूरबा उसकी प्रतिमूर्ति थीं। इन्हीं गुणों के कारण कस्तूरबा भारतीय समाज में समादृत हैं।
  3. विविध लोकोत्तर योग्यता के कारण आज सारा राष्ट्र कस्तूरबा की पूजा करता है।

(2) दुनिया में दो अमोघ शक्तियाँ हैं-शब्द और कृति । इसमें कोई शक नहीं कि ‘शब्दों’ ने सारी पृथ्वी को हिला दिया है। किन्तु अन्तिम शक्ति तो ‘कृति’ की है। महात्मा जी ने इन दोनों शक्तियों की असाधारण उपासना की है। कस्तूरबा ने इन दोनों शक्तियों में से अधिक श्रेष्ठ शक्ति कृति की नम्रता के साथ उपासना करके सन्तोष माना और जीवनसिद्धि प्राप्त की।
प्रश्न
(1) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(3) कस्तूरबा कैसी महिला थीं?
(4) शब्द और कृति क्या है?
(5) गाँधी जी ने किसकी उपासना की?
[शब्दार्थ-अमोघ = अचूक। कृति = रचना। सिद्धि = जीवन की श्रेष्ठता।]

उत्तर-

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत पद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं काका कालेलकर द्वारा लिखित । ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ नामक निबन्ध से लिया गया है जो गाँधी युग के जलते चिराग’ नामक पुस्तक से उद्धृत है। लेखक कस्तूरबा के जीवन की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए विश्व की महानतम् शक्तियों (शब्द और कृति) में ‘बा’ को ‘कृति’ की उपासिका बतलाता है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या- शब्द अर्थात् ‘कहना’ तथा कृति अर्थात् ‘करना’ वास्तव में इस संसार की ये ही दो अचूक शक्तियाँ हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि शब्दों की शक्ति ऐसी है जिसने सारे विश्व को प्रभावित कर रखा है, किन्तु शब्दों की अपेक्षा ‘कृति’ वाली शक्ति और भी महत्त्व रखती है। महात्मा गाँधी ने उक्त दोनों शक्तियों की असाधारण साधना की थी अर्थात् उन्होंने कथनी और करनी में सामंजस्य स्थापित किया था, किन्तु कस्तूरबा ने सबसे पहले महत्त्वपूर्ण शक्ति ‘कृति’ की नम्रतापूर्वक साधना की और अपने जीवन को सफल सिद्ध किया। ‘बा’ ने केवल काम करने को ही महत्त्व दिया और इसी के बल पर वे सर्वपूज्य हो गयीं। दक्षिणी अफ्रीका की सरकार ने गाँधी जी को जब जेल भेज दिया तो कस्तूरबा ने अपना बचाव तक नहीं किया और न कहीं निवेदन किया। वे एक दृढ़ संकल्प वाली महिला थीं।
  3. कस्तूरबा एक दृढ़ संकल्प वाली महिला थीं।
  4. शब्द और कृति दो अमोघ शक्तियाँ हैं।
  5. गाँधी जी ने शब्द और कृति दोनों शक्तियों की असाधारण उपासना की है।

(3) यह सब श्रेष्ठता या महत्ता कस्तूरबा में कहाँ से आयी? उनकी जीवन-साधना किस प्रकार की थी? शिक्षण के द्वारा उन्होंने बाहर से कुछ नहीं लिया था। सचमुच, उनमें तो आर्य आदर्श को शोभा देनेवाले कौटुम्बिक सद्गुण ही थे। असाधारण मौका मिलते ही और उतनी ही असाधारण कसौटी आ पड़ते ही उन्होंने स्वभावसिद्ध कौटुम्बिक सद्गुण व्यापक किये और उनके जोरों पर हर समय जीवन-सिद्धि हासिल की। सूक्ष्म प्रमाण में या छोटे पैमाने पर जो शुद्ध साधना की जाती है उसका तेज इतना लोकोत्तरी होता है कि चाहे कितना ही बड़ा प्रसंग आ पड़े, व्यापक प्रमाण में कसौटी हो, चारित्र्यवान् मनुष्य को अपनी शक्ति का सिर्फ गुणाकार ही करने का होता है।
प्रश्न
(1) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(3) चारित्र्यवान् मनुष्य को अपनी शक्ति का क्या करना होता है?
(4) चारित्र्यवान व्यक्ति की क्या विशेषता होती है? |
(5) किस साधना का तेज लोकोत्तरी होता है?

उत्तर-

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं काका कालेलकर द्वारा लिखित ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ पाठ से अवतरित है। प्रस्तुत अवतरण में कस्तूरबा के कौटुम्बिक सद्गुणों का वर्णन है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या- कस्तूरबा ने शिक्षण द्वारा कुछ नहीं ग्रहण किया था, बल्कि उन्होंने जो कुछ सीखा-समझा वह व्यवहारतः था । वास्तव में उनमें आदर्श कौटुम्बिक सद्गुण थे, बल्कि अवसर मिलने पर उन्होंने स्वभाव सिद्ध पारिवारिक सद्गुणों का विस्तार किया और उसी के बल पर जीवन में सफलता प्राप्त की। छोटे पैमाने पर जो साधना की जाती है उसमें असीम शक्ति होती है। चरित्रवान व्यक्ति सदैव कसौटी पर खरा उतरता है। कस्तूरबा एक चरित्रवान् महिला थीं। अपने चारित्रिक गुणों और कौटुम्बिक सदगुणों के कारण उन्होंने भारतीय समाज में ख्याति प्राप्त की।
  3. चारित्र्यवान् मनुष्य को अपनी शक्ति का सिर्फ गुणाकर ही करना होता है।
  4. चारित्र्यवान् व्यक्ति की विशेषता है कि उसमें कौटुम्बिक सद्गुण होते हैं।
  5. शुद्ध साधना का तेज लोकोत्तरी होता है।

प्रश्न 2. काका कालेलकर का जीवन-परिचय देते हुए उनके कृतित्व पर प्रकाश डालिए।

प्रश्न 3. भाषा-शैली को स्पष्ट करते हुए कालेलकर जी की साहित्यिक विशेषताएँ लिखिए।

प्रश्न 4, काका कालेलकर का जीवन एवं साहित्यिक परिचय दीजिए।
अथवा काका कालेलकर का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।

काका कालेलकर
( स्मरणीय तथ्य )

जन्म-सन् 1885 ई० । मृत्यु-सन् 1981 ई०। जन्म-स्थान- महाराष्ट्र में सतारा जिला।
अन्य बातें -हिन्दी, गुजराती, बंगला, अंग्रेजी, मराठी भाषाओं पर पूरा अधिकार, राष्ट्रभाषा का प्रचार ।
भाषा- सरल, ओजस्वी, प्रवाहपूर्ण ।
शैली- सजीव, प्रभावपूर्ण, कल्पना की उड़ान।
साहित्य- संस्मरण, यात्रा वर्णन, सर्वोदय, हिमालय प्रवास, लोकमाता, उस पार के पड़ोसी, जीवन लीला, बापू की झाँकियों, जीवन का काव्य आदि।

  • जीवन-परिचय- काका कालेलकर का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले में 1 दिसम्बर, सन् 1885 ई० को हुआ था। कालेलकर हिन्दी के उन उन्नायक साहित्यकारों में से हैं जिन्होंने अहिन्दी भाषा क्षेत्र का होकर भी हिन्दी सीखकर उसमें लिखना प्रारम्भ किया। उन्होंने राष्ट्रभाषा के प्रचार-कार्य को राष्ट्रीय कार्यक्रम के अन्तर्गत माना है। काका कालेलकर ने सबसे पहले हिन्दी लिखी और फिर दक्षिण भारत में हिन्दी प्रचार को कार्य प्रारम्भ किया। अपनी सूझबूझ, विलक्षणता और व्यापक अध्ययन के कारण उनकी गणना देश के प्रमुख अध्यापकों एवं व्यवस्थापकों में होती है। काका साहब उच्चकोटि के विचारक एवं विद्वान् थे। भाषा प्रचार के साथ-साथ इन्होंने हिन्दी और गुजराती में मौलिक रचनाएँ भी की हैं। सन् 1981 ई० में आपकी मृत्यु हो गयी।
  • कृतियाँ- काको साहब की कृतियाँ निम्नलिखित हैं –
    1. निबन्ध-संग्रह- जीवन-साहित्य, जीवन का काव्य-इन विचारात्मक निबन्धों में इनके संत व्यक्तित्व और प्राचीन भारतीय संस्कृति की सुन्दर झलक मिलती है।
    2. आत्म-चरित्र- ‘धर्मोदय’ तथा ‘जीवन लीला’–इनमें काका साहब के यथार्थ व्यक्तित्व की सजीव झाँकी है।
    3. यात्रा-वृत्त- ‘हिमालय-प्रवास’, ‘लोकमाता’, ‘यात्रा’, ‘उस पार के पड़ोसी’ आदि प्रसिद्ध यात्रावृत्त हैं।
    4. संस्मरण- ‘संस्मरण’ तथा ‘बापू की झाँकी’-इन रचनाओं में महात्मा गाँधी के जीवन का चित्रण है।
    5. सर्वोदय-साहित्य- आपकी ‘सर्वोदय’ रचना में सर्वोदय से सम्बन्धित विचार हैं।
    6. साहित्यिक परिचय- काका साहब एक सिद्धहस्त मॅझे हुए लेखक थे। किसी भी सुन्दर दृश्य का वर्णन अथवा पेचीदी समस्या का सुगम विश्लेषण उनके लिए आनन्द का विषय है। उनके यात्रा-वर्णन में पाठकों को देश-विदेश के भौगोलिक विवरणों के साथ-साथ वहाँ की विभिन्न समस्याओं तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं की जानकारी भी हो जाती है। काका साहब देश की विभिन्न भाषाओं के अच्छे जानकार हैं। उन्होंने प्रायः अपने ग्रन्थों का अनुवाद विभिन्न भारतीय भाषाओं में स्वयं प्रस्तुत किया है। इनके विचारों में संस्कृति और परम्पराओं में एक नवीन क्रान्तिकारी दृष्टिकोणों का समावेश रहता है।
    7. भाषा-शैली- काका साहब की भाषा अत्यन्त ही सरल और ओजस्वी है। उसमें एक आकर्षक धारा है जिसमें सूक्ष्म दृष्टि एवं विवेचनात्मक तर्कपूर्ण विचार की अभिव्यक्ति होती है। उनकी भाषा में एक नयी चित्रमयता के साथ-साथ विचारों की मौलिकता के स्पष्ट दर्शन होते हैं। भाषा के साथ-साथ उनकी शैली अत्यन्त ही ओजस्वी है। इन्होंने अपने निबन्धों में प्राय: व्याख्यात्मक शैली का प्रयोग किया है। कुछ रचनाओं में प्रबुद्ध विचारक के उपदेशात्मक शैली के दर्शन होते हैं ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. कस्तूरबा में एक आदर्श भारतीय नारी के कौन-कौन से गुण विद्यमान थे?
उत्तर- कस्तूरबा गाँधी एक पतिव्रता महिला थीं। वे अत्यन्त धार्मिक महिला थीं। गीता और तुलसी कृत रामायण में उनकी अगाध श्रद्धा थी। आलस्य नाम की चीज उनके अन्दर थी ही नहीं। आश्रम में कस्तूरबा लोगों के लिए माँ के समान थीं।

प्रश्न 2. स्वयं में शिक्षा के अभाव की पूर्ति ‘बा’ ने किस प्रकार की?
उत्तर- कस्तूरबा अनपढ़ थीं। उनका भाषा-ज्ञान सामान्य देहाती से अधिक नहीं था। बापू के साथ वे दक्षिण अफ्रीका में रहीं इसलिए वह कुछ अंग्रेजी समझने लगी थीं।

प्रश्न 3. ‘शब्द’ और ‘कृति’ से लेखक का क्या तात्पर्य है? कस्तूरबा के सम्बन्ध में सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- दुनिया में दो अमोघ शक्तियाँ हैं-शब्द और कृति। इसमें कोई शक नहीं है कि शब्दों ने सारी पृथ्वी को हिला दिया है, किन्तु अन्तिम शक्ति तो कृति ही है। महात्मा जी ने इन दोनों शक्तियों की असाधारण उपासना की है। कस्तूरबा ने इन दोनों शक्तियों में से अधिक श्रेष्ठ शक्ति कृति की नम्रता के साथ उपासना करके सन्तोष माना और जीवनसिद्धि प्राप्त की।

प्रश्न 4. ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ पाठ से दस महत्त्वपूर्ण वाक्य लिखिए।
उत्तर- कस्तूरबा अनपढ़ थीं। उनका भाषा-ज्ञान सामान्य देहाती से अधिक नहीं था। कस्तूरबा को गीता पर असाधारण श्रद्धा थी। उनकी निष्ठा का पात्र दूसरा ग्रन्थ था तुलसीकृत रामायण। कस्तूरबा रामायण भी ठीक ढंग से कभी पढ़ न सकीं। आश्रम में कस्तूरबा हम लोगों के लिए माँ के समान थीं। आज के जमाने में स्त्री-जीवन-सम्बन्ध के हमारे आदर्श हमने काफी बदल लिये हैं।

प्रश्न 5. कस्तूरबा से सम्बन्धित संक्षिप्त गद्यांश लिखिए।
उत्तर- वह भले ही अशिक्षित रही हों, संस्था चलाने की जिम्मेदारी लेने की महत्त्वाकांक्षा भले ही उनमें कभी जागी न हो, लेकिन देश में क्या चल रहा है उसकी सूक्ष्म जानकारी वह प्रश्न पूछकर या अखबारों के ऊपर नजर डालकर प्राप्त कर ही लेती थीं।

प्रश्न 6. कस्तूरबा के ‘मूक किन्तु तेजस्वी बलिदान’ की कहानी लिखिए।
उत्तर- सती कस्तूरबा सिर्फ अपने संस्कारों के कारण पातिव्रत्य धर्म को, कुटुम्ब वत्सलता को और तेजस्विता को चिपकाये रहीं और उसी के बल पर महात्मा जी के महात्म्य की बराबरी में आ सकीं। आज हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, बौद्ध आदि अनेक धर्मों के लोगों का यह विशाल देश अत्यन्त निष्ठा के साथ कस्तूरबा की पूजा करता है।

प्रश्न 7. कस्तूरबा की मितभाषिता एवं कर्तव्यनिष्ठा के गुणों को प्रकट करनेवाले प्रसंगों एवं घटनाओं का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर- आश्रम में चाहे बड़े-बड़े नेता आयें या मामूली कार्यकर्ता, उनके खाने-पीने का प्रबन्ध कस्तूरबा ही करती थीं। प्राणघातक बीमारी से मुक्त होने के बाद रसोई के कार्यों में हाथ बँटाती थीं । कस्तूरबा में आर्य आदर्श को शोभा देनेवाले कौटुम्बिक सद्गुण थे।

प्रश्न 8. ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ पाठ की भाषा-शैली की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ पाठ की भाषा-शैली विवेचनात्मक है। भाषा अपेक्षाकृत संस्कृतनिष्ठ एवं परिष्कृत है।

प्रश्न 9. कस्तूरबा के गुणों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- कस्तूरबा आदर्श भारतीय महिला थीं। वे पतिव्रता स्त्री थीं। वे आश्रम में बच्चों की देखभाल करती थीं। आश्रम में कस्तूरबा लोगों के लिए माँ समान थीं। गीता और रामायण में उनकी अगाध श्रद्धा थी।

प्रश्न 10. काका कालेलकर की भाषा-शैली की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- काका कालेलकर की भाषा परिष्कृत खड़ीबोली है। उसमें प्रवाह, ओज तथा अकृत्रिमता है। इन्होंने विवेचनात्मक, विवरणात्मक तथा व्यंग्यात्मक शैलियों का प्रयोग किया है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. काका कालेलकर की दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
काका कालेलकर की दो रचनाएँ जीवन काव्य तथा हिमालय प्रवास हैं।

प्रश्न 2. काका कालेलकर किस युग के लेखक माने जाते हैं?
उत्तर- काका कालेलकर शुक्ल एवं शुक्लोत्तर युग के लेखक माने जाते हैं।

प्रश्न 3. राष्ट्रभाषा प्रचार को राष्ट्रीय कार्यक्रम मानने वाले हिन्दी लेखक का नाम बताइए।
उत्तर- राष्ट्रभाषा प्रचार को राष्ट्रीय कार्यक्रम मानने वाले हिन्दी लेखक का नाम है काका कालेलकर ।

प्रश्न 4. कस्तूरबा कौन थीं?
उत्तर- कस्तूरबा महात्मा गाँधी की पत्नी थीं।

प्रश्न 5. निम्नलिखित में से सही वाक्य के सम्मुख सही (√) का चिह्न लगाइए-
(अ) कस्तूरबा अनपढ़ थीं।                                                                  (√)
(ब) ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ पाठ विवेचनात्मक शैली में लिखा गया है।       (√)
(स) कालेलकर जी का सम्पर्क टैगोर से नहीं था।                                  (×)
(द) दुनिया में ‘शब्द’ और ‘कृति’ दो अमोघ शक्तियाँ हैं।                         (√)

व्याकरण-बोध

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों में सन्धि-विच्छेद करते हुए सन्धि का नाम भी लिखिए-
लोकोत्तर, सत्याग्रह, गुणाकर, महत्त्वाकांक्षा, एकाक्षरी, प्रत्युत्पन्न।
उत्तर-
लोकोत्तर        –    लोक + उतर           – गुण सन्धि
सत्याग्रह         –    सत्य + आग्रह          – दीर्घ सन्धि
गुणाकर          –     गुण + आकर         – दीर्घ सन्धि
महत्त्वाकांक्षा   –    महत्त्व + आकांक्षा   – दीर्घ सन्धि
एकाक्षरी         –    एक + अक्षरी          –  दीर्घ सन्धि
प्रत्युत्पन्न          –   प्रति + उत्पन्न           – यण सन्धि

प्रश्न 2.निम्नलिखित में समास-विग्रह करते हुए समास का नाम लिखिए-
माँ-बाप, देश-सेवा, राष्ट्रमाता, प्राणघातक, बन्धनमुक्ते, धर्मनिष्ठा।
उत्तर-
माँ-बाप      =  माँ और बाप           =    द्वन्द्व समास
देश-सेवा    =  देश के लिए सेवा    =    सम्प्रदान तत्पुरुष
राष्ट्रमाता     =  राष्ट्र की माता           =   सम्बन्ध तत्पुरुष
प्राणघातक =  प्राण के लिए घातक   =   सम्प्रदान तत्पुरुष
बन्धनमुक्त  =  बंधन से मुक्त           =   करण तत्पुरुष
धर्मनिष्ठा     =  धर्म में निष्ठा              =    अधिकरण तत्पुरुष

प्रश्न 3. निम्नलिखित विदेशज शब्दों के लिए हिन्दी शब्द लिखिए –
अमलदार, कायम, जिद्द, हासिल, कतई, खुद।
उत्तर-
अमलदार –   ग्राह्य
जिद्द         –    हठ
कतई       –   बिल्कुल
कायम      –   स्थिर
हासिल     –    प्राप्त
खुद          –   स्वयं

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