UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 4 गिल्लू (गद्य खंड)

In this chapter, we provide UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 4 गिल्लू (गद्य खंड), Which will very helpful for every student in their exams. Students can download the latest UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 4 गिल्लू (गद्य खंड) pdf, free UP Board Solutions Class 9 Hindi Chapter 4 गिल्लू (गद्य खंड) book pdf download. Now you will get step by step solution to each question. Up board solutions Class 9 Hindi पीडीऍफ़

(विस्तृत उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 1. निम्नांकित गद्यांशों में रेखांकित अंशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या और तथ्यपरक प्रश्नों के उत्तर दीजिये –
(1) सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है। उसे देखकर अनायास ही उस छोटे जीव का स्मरण हो आया, जो इस लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठता था और फिर मेरे निकट पहुँचते ही कन्धे पर कूदकर मुझे चौंका देता था। तब मुझे कली की खोज रहती थी, पर आज उस लघुप्राणी की खोज है।
परन्तु वह तो अब तक इन सोनजुही की जड़ में मिट्टी होकर मिल गया होगा कौन जाने स्वर्णिम कली के बहाने वही मुझे चौंकाने ऊपर आ गया हो अचानक एक दिन सवेरे कमेर से बरामदे में आकर मैंने देखा, दो कौए एक गमले के चारों ओर चोंचों से छुवाछुवौवल-जैसा खेल खेल रहे हैं। यह कागभुशुण्डि भी विचित्र पक्षी है-एक साथ समादरित, अनादरित, अति सम्मानित, अति अवमानित।
प्रश्न
(1) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(3) गिल्लू को कहाँ समाधि दी गयी?
[शब्दार्थ-सोनजुही = पीले फूलोंवाली एक लता। अनायास = अचानक। सघन हरीतिमा = घनी हरियाली। लघुप्राणी = छोटे से जीव।]

उत्तर-

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत अवतरण पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं महादेवी वर्मा द्वारा लिखित ‘गिल्लू’ नामक पाठ से अवतरित है। महादेवी जी को सोनजुही की लता में एक पीली कली को देखकर गिलहरी के बच्चे ‘गिल्लू’ की याद आ जाती है। लेखिका ने एक कोमल लघुप्राणी (गिलहरी) की प्रकृति का मानवीय संवेदना तथा समता के आधार पर चित्रण किया है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या- लेखिका कहती है कि सोनजुही की लता में मुझे जो एक पीली कली दिखायी दे रही है, उसको देखकर मुझे एक छोटे-से कोमल प्राणी गिलहरी के बच्चे ‘गिल्लू’ का संस्मरण हो रहा है। जिस प्रकार लताओं के बीच उसकी कली छिपी हुई है, ठीक उसी प्रकार गिल्लू भी उसी लता में छिपकर बैठता था। जब मैं लता के निकट कलियों एवं पुष्पों को लेने जाती थी, तो लता के बीच छिपा हुआ गिल्लू मेरे कंधे पर कूदकर मुझे अचानक चौंका देता था। वह इस जगत् से जीवन समाप्त कर चुका है, किन्तु मेरी आँखें उसे आज भी खोज रही हैं। लेकिन अब वह इस सोनजुही की जड़ में मिट्टी होकर मिल गया होगा। शायद वह इसे स्वर्णिम कली के बहाने मुझे चौंकाने के लिए ऊपर आ गया हो। इसे कौन जान सकता है।
    एक दिन अचानक मैंने कमरे से बरामदे में आकर देखा कि दो कौए एक गमले में चोंचों से छुवा-छुवौवल का खेल खेल रहे हैं। धार्मिक ग्रन्थों में कौए का वर्णन ‘कागभुशुण्डि’ के नाम से किया गया है। बड़ा ही अद्भुत प्राणी है। लोक मानस में यह एक साथ विरोधी व्यवहार प्राप्त करता है। कभी यह अत्यधिक आदर प्राप्त करता है और कभी अनादर, कभी सम्मानित होता है और कभी अपमानित।
  3. गिल्लू की सोनजुही की लता के नीचे समाधि दी गयी।

(2) मेरे पास बहुत-से पशु-पक्षी हैं और उनका मुझसे लगाव भी कम नहीं है, परन्तु उनमें से किसी को मेरे साथ मेरे थाली में खाने की हिम्मत हुई है, ऐसा मुझे स्मरण नहीं आता।
               गिल्लू इनमें अपवाद था। मैं जैसे ही खाने के कमरे में पहुँचती, वह खिड़की से निकलकर आँगन की दीवार, बरामदा पार करके मेज पर पहुँच जाता और मेरी थाली में बैठ जाना चाहता । बड़ी कठिनाई से मैंने उसे थाली के पास बैठना सिखाया, जहाँ बैठकर वह मेरी थाली में से एक-एक चावल उठाकर बड़ी सफाई से खाता रहता । काजू उसका प्रिय खाद्य था और कई दिन काजू न मिलने पर वह अन्य खाने की चीजें या तो लेना बन्द कर देता था या झूले के नीचे फेंक देता था।
प्रश्न
(1) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(3) गिल्लू को क्या बेहद पसंद था?

उत्तर- 

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं महादेवी वर्मा द्वारा लिखित ‘गिल्लू’ पाठ से उद्धृत है। प्रस्तुत अवतरण में गिल्लू के खान-पान का वर्णन है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या-लेखिका कहती है कि मेरे पास बहुत से पशु-पक्षी हैं। सभी के साथ मेरा असीम लगाव है, लेकिन किसी को मेरे साथ मेरी थाली में खाने की हिम्मत नहीं हुई। गिल्लू इसका अपवाद था। मैं खाना खाने के लिए जैसे ही मेज के पास जाती गिल्लू कूद-फाँदकर खाने की मेज पर पहुँच जाता और मेरी थाली में बैठना चाहता। मैंने बड़ी मुश्किल से उसे थाली के पास बैठना सिखाया। उसके बाद गिल्लू मेरी थाली के पास बैठकर एक-एक चावल निकालकर खाता था। काजू उसे बेहद पसंद था। यदि कई दिन काजू न मिले तो अन्य चीजें भी खाना बन्द कर देता था। या झूले, के नीचे गिरा देता था।
  3. गिल्लू को काजू बेहद पसंद था।

(3) मेरी अस्वस्थता में वह तकिये पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हें-नन्हें पंजों से ये मेरे सिर और बालों को इतने हौले-हौले सहलाता रहता कि उसका हटना एक परिचारिका के हटने के समान लगता।
          गर्मियों में जब मैं दोपहर में काम करती रहती तो गिल्लू ने बाहर जाता, न अपने झूले में बैठता। उसने मेरे निकट रहने के साथ गर्मी से बचने का एक सर्वथा नया उपाय खोज निकाला था। वह मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता और इस प्रकार समीप भी रहता और ठण्डक में भी रहता।
          गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती, अत: गिल्लू की जीवन-यात्रा का अन्त आ ही गया। दिनभर उसने न कुछ खाया और न बाहर गया। रात में अन्त की यातना में भी वह अपने झूले से उतरकर मेरे बिस्तर पर आया और ठण्डे पंजों से मेरी वही उँगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन की मरणासन्न स्थिति में पकड़ा था।
          पंजे इतने ठण्डे हो रहे थे कि मैंने जागकर हीटर जलाया और उसे उष्णता देने का प्रयत्न किया, परन्तु प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया ।
प्रश्न
(1) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(3) गिल्लू गर्मी से बचने के लिए किस पर लेट जाता था?

उत्तर-

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं महादेवी वर्मा द्वारा लिखित ‘गिल्लू’ नामक पाठ से अवतरित है। प्रस्तुत अवतरण में लेखिका ने बताया है कि यदि मैं घर पर रहती तो गिल्लू सदैव मेरे निकट ही रहना चाहता था।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या- लेखिका कहती है कि गर्मियों में जब मैं अपने लिखने-पढ़ने में व्यस्त रहती तो गिल्लू न बाहर जाता था और न ही अपने झूले पर जाता था। वह सदैव मेरे करीब ही रहता था। गिल्लू गर्मी से बचने के लिए मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता था। इस तरह वह एक पल भी मुझसे अलग नहीं होना चाहता था।
    गिलहरियों की जीवनावधि बहुत अल्प होती है, मुश्किल से दो वर्ष । इसलिए जब गिल्लू की जीवन-यात्रा का न्त करीब आया तो उसने दिनभर ने कुछ खाया-पिया और न ही बाहर गया। रात में अपने झूले से उतरकर मेरे बिस्तर पर आ और मेरी उँगली पकड़कर मेरे हाथ से चिपक गया जिसे उसने अपने बचपन की मरणासन्न स्थिति में पकड़ा था। उसका शरीर अल ठण्डा पड़ गया था। मैंने हीटर जलाकर उसे गर्मी प्रदान करने का प्रयास किया लेकिन गिल्लू का अन्त तो करीब था। प्रात:कानते ही उसने इस संसार से विदा ले ली।
  3. गिल्लू गर्मी से बचने के लिए सुराही पर लेट जाता था।

प्रश्न 2. महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय एवं कृतियों का उल्लेख कीजिए।

प्रश्न 3. महादेवी वर्मा के जीवन एवं साहित्यिक परिचय को अपने शब्दों में लिखिए।

प्रश्न 4. महादेवी वर्मा के साहित्यिक परिचय एवं भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।

प्रश्न 5. महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
अथवा महादेवी वर्मा को साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।

महादेवी वर्मा
( स्मरणीय तथ्य )

 जन्म-सन् 1907 ई०। मृत्यु-सन् 1987 ई०। जन्म-स्थान-फर्रुखाबाद। पिता- गोविन्दप्रसाद वर्मा। माता- श्रीमती हेमरानी।। शिक्षा- एम० ए०। पति-रूपनारायण किन्तु परित्यक्ता।
अन्य बातें – ‘चाँद’ पत्र का सम्पादन, ‘साहित्य संसद्’ की स्थापना ।
काव्यगत विशेषताएँ- छायावादी, रहस्यवादी रचनाएँ, वेदना की प्रधानता। 

  • जीवन-परिचय- श्रीमती महादेवी वर्मा का जन्म फर्रुखाबाद जिले के एक सम्पन्न कायस्थ परिवार में अन् 1907 ई० में हुआ था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इन्दौर में हुई । प्रयोग विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम० ए० करने ३, वात् ये प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्या हो गयीं। तब से अन्त तक इसी पद पर कार्य किया। बीच में कुछ वषों 1: आपने चाँद” नामक मासिक पत्रिका का भी सम्पादन किया था। इन्हें ‘सेकसरिया’ एवं ‘मंगलाप्रसाद पुरस्कार’ भी प्राप्त हो चुके हैं। इनकी विद्वता पर भारत सरकार ने इन्हें ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से अलंकृत किया है। ये उत्तर प्रदेश विज्ञान परिषद् की सम्मानित सदम्या भी रह चुकी हैं। सन् 1987 में इनका देहावसान हो गया था।
  • कृतियाँ- महादेवी जी का कृतित्व गुणात्मक दृष्टि से तो अति समृद्ध है ही, परिमाण की दृष्टि से भी कम नहीं है। इनकी प्रम् । रचनाएँ निम्नलिखित हैं ‘क्षणदा’, ‘ श्रृंखला की कड़ियाँ’, ‘साहित्यकार की आस्था तथा निबन्ध’ उनके प्रसिद्ध निबन्ध-संग्रह हैं। ‘अतीत के चलचित्र’, ‘पथ के साथी’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘मेरा परिवार’ उनके संस्मरणों और रेखाचित्रों के संग्रह हैं। ‘हिन्दी का विवेचनात्मक गद्य’ और काव्य-ग्रन्थों की भूमिकाओं तथा फुटकर आलोचनात्मक निबन्धों में उनका सजग आलोचक-रूप व्यक्त हुआ है। | ‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘यामा’, ‘दीपशिखा’ आदि उनके कविता-संग्रह हैं। ‘चाँद’ और ‘ आधुनिक कवि’ का उन्होंने सम्पादन किया। |
  • साहित्यिक परिचय- महादेवी जी का मुख्य साहित्यिक क्षेत्र काव्य है तथापि ये उच्चकोटि की गद्य रचनाकार भी हैं। एक ओर जहाँ वे विशिष्ट गम्भीर शैली में आलोचनाएँ लिख सकती हैं, दूसरी ओर ‘ श्रृंखला की कड़ियाँ’ में विवेचनात्मक गद्य भी प्रस्तुत कर सकती हैं। इन्होंने नारी-जगत् की समस्याओं को प्राय: अपने निबन्धों का वर्ण्य-विषय बनाया है। पथ के साथी’ में कुछ प्रमुख साहित्यकारों के ‘अतीत के चलचित्र’ एवं ‘स्मृति की रेखाओं में मार्मिक रेखाचित्र प्रस्तुत किया है। मेरा परिवार में कुछ पालतू पशु-पक्षियों के शब्द-चित्र बड़ी ही मार्मिक शैली में चित्रित किये गये हैं। महादेवी जी के काव्य में आध्यात्मिक वेदना का पुट है। इनका काव्य वर्णनात्मक और इतिवृत्तात्मक न होकर गीतिकाव्य है जिसमें लाक्षणिकता और व्यंजकता का बाहुल्य है।
  • भाषा शैली– महादेवी की भाषा शुद्ध खड़ीबोली है, जिसमें संस्कृत के तत्सम शब्दों का प्रयोग हुआ है। भाषा में का मक चित्रमयता सर्वत्र देखने योग्य है। इनकी गद्य रचनाओं में भी काल की चित्रमयता, मधुरता एवं कल्पनाशीलता विद्यमान रहती है जिसमें पाठकों को एक अनोखी आत्मीयता के दर्शन होते हैं। शब्दों का चयन एवं वाक्य-विन्यास अत्यन्त ही कलात्मक है। गद्य में लाक्षणिकता के पुट से एक मधुर व्यंग्य की सृष्टि होती है। भाषा संस्कृतनिष्ठ होने पर भी उसमें शुष्कता और दुर्बोधता का अभाव है। भावों की अभिव्यक्ति में आपको अद्वितीय सफलता मिली है।

उदाहरण

  1. विवरणात्मक शैली- “हिमालय के प्रति मेरी आसक्ति जन्मजात है। इसके पर्वतीय अंचलों में मौन हिमानी और मुखर निर्झरी, निर्जन वन और कलेवर भरे आकाश वाला रामगढ़ मुझे विशेष रूप से आकर्षित करता रहा है।” – प्रणाम
  2. विवेचनात्मक शैली- ”महान् साहित्यकार अपनी कृति में इस प्रकार व्याप्त रहता है कि उसे कृति से पृथक् रखकर देखना उसके व्यक्तिगत जीवन की सब रेखाएँ जोड़ लेना ही कष्टसाध्य होता है। एक के तौलने में दूसरा तुल जाता और दूसरे को नापने में पहला नप जाता है।” – प्रणाम
  3. आत्मव्यंजक शैली- “मेरे काक पुराण के विवेचन में अचानक बाधा आ पड़ी क्योंकि गमले और दीवार की सन्धि में छिपे एकें छोटे-से जीव पर मेरी दृष्टि गयी। निकट आकर देखा, गिलहरी का छोटा बच्चा है।”   -गिल्लू

( लघु उत्तरीय प्रश्न )

प्रश्न 1. इस पाठ से लेखिका के स्वभाव आदि के बारे में आपको क्या-क्या ज्ञात होता है?
उत्तर- इस पाठ से लेखिका के स्वभाव के बारे में जानकारी मिलती है कि लेखिका का स्वभाव दयालु है। वह जीवजन्तुओं पर दया करती है। गिल्लू का उन्होंने घायलावस्था में उपचार किया। उसको वह अपने साथ भोजन कराती थी। गिल्लू परिवार का सदस्य जैसा था।

प्रश्न 2. लेखिका ने अपनी रचनाओं में किन-किन शैलियों का प्रयोग किया है?
उत्तर- लेखिका में अपनी रचनाओं में चित्रोपमे वर्णनात्मक शैली, विवेचनात्मक शैली, मात्रात्मक शैली, व्यंग्यात्मक शैली, आलेकारिक शैली; ‘सूक्ति शैली, ‘उद्धरण शैलियों का प्रयोग किया है।

प्रश्न 3. गिल्लू कौन था? उसकी विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- गिल्लू एक जीव था। वह बहुत ही जानकार था। वह लेखिका की थाली में बैठकर खाना खाता था। जब गिल्लू को भूख लगती थी तो वह चिक-चिक की आवाज करता था। काजू उसे बेहद पसन्द था। यदि उसे काजू नहीं मिलता था तो पिंजड़े में रखी दूसरी चीजें वह गिरा देता था।

प्रश्न 4. महादेवी वर्मा को ‘विरह की गायिका’ के रूप में आधुनिक मीरा’ किस आधार पर कहा जाता है? स्पष्ट | कीजिए।
उत्तर- रहस्यवाद एवं प्रकृतिवाद पर आधारित इनको छायावादी साहित्य हिन्दी साहित्य की अमूल्य विरासत के रूप में स्वीकार किया जाता है। विरह की गायिका के रूप में महादेवी जी को आधुनिक मीरा कहा जाता है। महादेवी जी के कुशल सम्पादन के परिणामस्वरूप ही ‘चाँद’ पत्रिका नारी जगत् की सर्वश्रेष्ठ पत्रिका बन सकी।

प्रश्न 5. लेखिका ने कौए को समादरित, अनादरित, अतिसम्मानित तथा अतिअवमानित क्यों कहा है?
उत्तर- पितृपक्ष में कौए का महत्त्व बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त किसी प्रियजन के आने की सूचना अपने कर्कश स्वर में देता है। इसलिए यह समादरित और अति सम्मानित है। हम कौए के काँव-काँव करने को अवमानना के अर्थ में ही प्रयुक्त करते हैं इसलिए अनादरित और अतिअवमानित है।

प्रश्न 6. गिल्लू को लेखिका ने किन परिस्थितियों में प्राप्त किया?
उत्तर- लेखिका की गमले और दीवार की सन्धि में छिपे एक छोटे-से जीव पर दृष्टि गयी। निकट जाकर देखा, उसमें गिलहरी का एक छोटा-सा बच्चा था, जो सम्भवतः घोंसले से गिर पड़ा था। कौए उस पर चोंच से प्रहार कर रहे थे। ऐसी स्थिति में लेखिका ने उसे आश्रय दिया।

प्रश्न 7. गिल्लू के किन-किन व्यवहारों से पता चलता है कि वह समझदार प्राणी था?
उत्तर- भूख लगने पर गिल्लू चिक-चिक करके सूचना देता था। काजू और बिस्कुट मिल जाने पर पंजे से पकड़कर कुतरकुतर कर खाता । लेखिका कहती है कि जब मैं खाने की मेज पर बैठती तो गिल्लू थाली के पास आकर बैठ जाता और एक-एक चावल मेरी थाली से निकालकर खाता। गर्मी के मौसम में गर्मी से बचने के लिए कमरे में रखी मेरी सुराही पर लेट जाता। इससे यह मालूम होता है कि गिल्लू एक समझदार प्राणी था।

प्रश्न 8. गिल्लू पाठ से दस सुन्दर वाक्य लिखिए।
उत्तर- सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है। हमारे बेचारे पुरखे न गरुड़ के रूप में आ सकते हैं, न मयूर के, न हंस । के। मैं उसे गिल्लू कहकर बुलाने लगी। भूख लगने पर वह चिक-चिक की आवाज करती। काजू या बिस्कुट मिल जाने पर पंजे से पकड़कर उसे कुतरता रहता था। फिर गिल्लू के जीवन का प्रथम बसन्त आया। नीम-चमेली की गन्ध मेरे कमरे में हौले-हौले आने लगी। मेरे पास बहुत से पशु-पक्षी थे। गिल्लू इनमें अपवाद था। जब मैं खाने की मेज पर बैठती तो गिल्लू मेरी थाली के पास बैठ जाता और थाली में से एक-एक चावल निकालकर कुतरता रहता। मेरे साथ खाने की हिम्मत अन्य पशु-पक्षियों की कभी नहीं हुई। काजू गिल्लू का प्रिय खाद्य था। कई दिन तक काजू न मिलने पर वह अन्य खाने की चीजें या तो लेना बन्द कर देता था या झूले के नीचे फेंक देता था।

प्रश्न 9. लेखिका के किन व्यवहारों से ज्ञात होता है कि गिल्लू को वह अपने परिवार के एक सदस्य की तरह मानती थी?
उत्तर- लेखिका गिल्लू को अपने परिवार के सदस्य की तरह थाली में खाना खिलाती थी। उसे बिस्कुट और काजू खिलाती थी।

प्रश्न 10. अपने किसी पालतू जन्तु के विषय में वर्णन कीजिए।
उत्तर- मेरे पास एक नेवला है। यह बहुत ही जानकार जन्तु है। यह पूरे घर में टहलता रहता है। जब मैं घर से बाहर निकलता हूँ तो यह भी मेरे साथ निकल पड़ता है। यह घर के आस-पास कीड़े-मकोड़ों को खाता रहता है। नेवले के कारण घर के आस-पास सर्प का भय नहीं होता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. महादेवी वर्मा की दो रेखाचित्र कृतियों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर- ‘स्मृति की रेखाएँ’ और ‘अतीत के चलचित्र’ महादेवी वर्मा के दो रेखाचित्र हैं।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से सही वाक्य के सम्मुख सही (√) का चिह्न लगाइए –
(अ) गिल्लू तीन वर्ष तक महादेवी जी के घर में रहा।                  (×)
(ब) गिल्लू महादेवी जी के साथ उनकी थाली में भी खाता था।     (√)
(स) गिल्लू को कौए ने मार डाला था।                                         (×)
(द) सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू को समाधि दी गयी।           (√)

प्रश्न 3. महादेवी वर्मा किस युग की लेखिका थीं?
उत्तर- महादेवी वर्मा शुक्लोत्तर युग की लेखिका थीं।

प्रश्न 4. गिलहरियों के जीवन की अवधि कितने वर्ष की होती है?
उत्तर- गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष की होती है।

प्रश्न 5. ‘गिल्लू’ नामक पाठ महादेवी जी की किस कृति से लिया गया है?
उत्तर- ‘गिल्लू’ नामक पाठ महादेवी जी द्वारा लिखित ‘मेरा परिवार’ नामक पुस्तक से लिया गया है।

व्याकरण-बोध

प्रश्न 1.‘समादरित’ शब्द का सन्धि-विच्छेद करते हुए सन्धि का नाम बताइए –
उत्तर- समादरित – सम + आदरित – दीर्घ सन्धि

प्रश्न 2. वाक्य-विश्लेषण कीजिए –
यह कागभुशुण्डि भी विचित्र पक्षी है-एक साथ समादरित, अनादरित, अति सम्मानित, अति अवमानित।
उत्तर- कागभुशुण्डि एक ऐसा विचित्र पक्षी है जिसका आदर भी होता है, अनादर भी होता है, जो सम्मानित भी होता है और अपमानित भी।

प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों का वाक्य-प्रयोग कीजिए –
गिल्लू, सोनजुही, बसंत, जाली, काजू, गिलहरी।
उत्तर-

  • गिल्लू – महादेवी वर्मा ने जिस गिलहरी को पाला था उसका नाम गिल्लू रखा।
  • सोनजुही- सोनजुही में एक पीली कली लगी है।
  • बसंत- बसंत का मौसम अत्यन्त प्यारा होता है।
  • जाली- गिल्लू काजू न पाने पर अन्य चीजें काट-काटकर जाली से गिरा देता था।
  • काजू- गिल्लू को काजू बहुत पसन्द था।
  • गिलहरी- गिलहरी की अवधि दो वर्ष होती है।

All Chapter UP Board Solutions For Class 9 Hindi

—————————————————————————–

All Subject UP Board Solutions For Class 9 Hindi Medium

*************************************************

I think you got complete solutions for this chapter. If You have any queries regarding this chapter, please comment on the below section our subject teacher will answer you. We tried our best to give complete solutions so you got good marks in your exam.

यदि यह UP Board solutions से आपको सहायता मिली है, तो आप अपने दोस्तों को upboardsolutionsfor.com वेबसाइट साझा कर सकते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top