Author name: Rajkumar Singh

चुम्बकीय फ्लक्स की परिभाषा क्या है | चुंबकीय फ्लक्स का मात्रक | विमा

मात्रक , विमा : जब किसी चुम्बकीय क्षेत्र में किसी सतह को रखा जाता है तो स्वाभाविक है की इस सतह से चुम्बकीय बल रेखाएं गुजरेंगी , हम चुम्बकीय फ्लक्स को निम्न प्रकार परिभाषित कर सकते है ” किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखे किसी तल से गुजरने वाली चुंबकीय क्षेत्र रेखाओ की संख्या को इस […]

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चुम्बकन की तीव्रता | क्षेत्र | चुम्बकीय प्रवृति | पारगम्यता की परिभाषा | सूत्र | विमा

1. चुम्बकन की तीव्रता (Intensity of magnetism in hindi): हम जानते है की जब किसी पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो वह पदार्थ चुम्बकित होने लगता है अत: ” किसी भी पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखकर अधिकतम कितना चुम्बकित किया जा सकता है उस अधिकतम सीमा को चुम्बकन की तीव्रता कहते

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पदार्थों का चुम्बकीय क्षेत्र में व्यवहार

एक धारावाही परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर यह एक दण्ड चुम्बक की तरह व्यवहार करती हैपदार्थों के चुम्बकीय प्रभाव के सन्दर्भ में फैराडे ने बताया की जब भिन्न भिन्न पदार्थों को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो इनका व्यवहार भिन्न भिन्न होता है , इसको समझाने के लिए उन्होंने एक प्रयोग कियाजैसा

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भू चुम्बकत्व | पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के अवयव | दिक्पात का | नमन | नति कोण | क्षैतिज घटक

किसी भी स्थान पर भू चुम्बकत्व अर्थात पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का पूर्ण अध्य्यन करने के लिए कुछ राशियों का उपयोग किया जाता है , इन राशियों को ही भू चुम्बकत्व (पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र) के अवयव कहते है।भू चुम्बकत्व (पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र) के निम्न तीन अवयव है1.  दिक्पात का कोण2. नमन या नति

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भू चुम्बकत्व | पृथ्वी के चुम्बकत्व का कारण

पृथ्वी भी एक चुम्बक की तरह व्यवहार करती है। पर ऐसा क्यों होता है अर्थात पृथ्वी चुम्बक के भांति व्यवहार क्यों करती है इसके बारे में यहाँ अध्ययन करेंगे। पृथ्वी के चुम्बकत्व के बारे में पता लगाने के लिए विभिन्न वैज्ञानिको में अध्ययन करके अपने अपने मत रखे और इसके अलग अलग कारण बताएं 1.

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भू चुम्बकत्व की परिभाषा क्या है | पृथ्वी के चुम्बकत्व की पुष्टि

पृथ्वी भी एक चुम्बक की तरह व्यवहार करती है , ऐसा लगता है जैसे पृथ्वी के गर्भ में कोई चुम्बक रखी गयी और इस चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव भौगोलिक उत्तर दिशा में हो तथा उत्तरी ध्रुव भौगोलिक दक्षिण दिशा में हो। पृथ्वी के इस चुंबकत्व को ही भू (पृथ्वी) चुम्बकत्व कहते है। पृथ्वी के चुम्बकीय

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चुम्बकीय क्षेत्र में दण्ड चुम्बक पर बल आघूर्ण या चुम्बकीय द्विध्रुव तथा घुमाने में किया गया कार्य

माना किसी चुम्बकीय क्षेत्र B में एक दण्ड चुम्बक ab रखी हुई है , इस चुम्बक के ध्रुव की प्रबलता m है तथा प्रभावी लम्बाई का मान 2L है।  इसके अलावा दण्ड चुम्बक तथा चुम्बकीय क्षेत्र के मध्य कोण θ है जैसा चित्र में दिखाया गया है चुम्बकीय क्षेत्र में रखे इस दंड चुम्बक के उत्तरी ध्रुव पर

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चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता | दण्ड चुम्बक के अक्ष | निरक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र

चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता : जब एक एकांक परिक्षण उत्तरी ध्रुव को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो इस एकांक उत्तरी ध्रुव द्वारा किसी बिंदु पर महसूस किये जाने वाले बल को ही चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता कहते है।अर्थात किसी बिंदु पर जितना बल इस एकांक परिक्षण ध्रुव पर लगता है उसे ही

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दण्ड चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण

चुम्बकीय द्विध्रुव के बारे में अध्ययन करते समय यह पढ़ा था की जब किसी दंड चुंबक को बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाए तो यह एक द्विध्रुव की भांति व्यवहार करता है तथा इस पर एक बल आघूर्ण कार्य करता है। अब हम यहाँ अध्ययन करते है की दण्ड चुम्बक के कारण कितना चुम्बकीय आघूर्ण

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चुम्बकीय द्विध्रुव तथा चुंबकीय द्विध्रुव आघूर्ण की परिभाषा क्या है | सूत्र | मात्रक 

चुम्बकीय द्विध्रुव (Magnetic dipole in hindi) : हमने विद्युत क्षेत्र का अध्ययन करते समय पढ़ा था की विद्युत द्विध्रुव को किसी विधुत क्षेत्र में रखने पर विधुत द्विध्रुव पर एक बलयुग्म कार्य करता है। ठीक इसी प्रकार “जब किसी वस्तु को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाए और इस वस्तु पर बल युग्म कार्य करे तो यह

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