Author name: Rajkumar Singh

समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन करती धातु की चकती में प्रेरित विद्युत वाहक बल

समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन करती धातु की चकती में प्रेरित विद्युत वाहक बल माना एक चित्रानुसार समरूप चुम्बकीय क्षेत्र है जिसकी दिशा पृष्ठ (कागज) के लम्बवत बाहर की तरफ है , चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को चित्र में डॉट (.) से प्रदर्शित किया गया है। इस समरूप चुंबकीय क्षेत्र में एक धातु की चकती […]

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समरूप (समांग) चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन करती धातु की छड़ में प्रेरित वि.वा.बल

माना चित्रानुसार एक समरूप चुम्बकीय क्षेत्र B है , इसकी दिशा पृष्ठ के लंबवत है बाहर की तरफ है जिसे चित्र में डॉट (.) से प्रदर्शित किया गया है। इस समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में एक चालक छड रखी हुई है तथा इसकी लम्बाई l है। यह चालक छड इस चुम्बकीय क्षेत्र में w कोणीय वेग

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असमान चुम्बकीय क्षेत्र में नियत वेग से गति के कारण आयताकार लूप में प्रेरित वि.वा.बल एवं धारा

माना एक आयताकार आकृति है जिसे चित्र में abcd से दर्शाया गया है , यह एक असमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखी हुई है। यहाँ असमान से तात्पर्य है की चुम्बकीय क्षेत्र का मान अलग अलग जगह पर भिन्न है। मान लेते है की आयताकार आकृति (कुण्डली) की ab भुजा पर चुंबकीय क्षेत्र का मान B1 है तथा

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फ्लेमिंग का दायें हाथ का नियम

हमने फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण नियम में देखा की कुंडली तथा चुम्बक के आपस में गति करने से प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है तथा इस वि.वा.बल के कारण प्रेरित विद्युत धारा भी उत्पन्न हो जाती है . चुम्बकीय प्रेरण के कारण उत्पन्न इस प्रेरित विद्युत धारा की दिशा का मान ज्ञात

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शैथिल्य हास क्या है

हम सब लोह चुम्बकीय पदार्थ के चुंबकन तथा विचुम्बकन के  बारे में पढ़ चुके है और इसके लिए ग्राफ भी बनाया था जिसे हमने शैथिल्य वक्र कहा था। जब प्राप्त शैथिल्य ग्राफ द्वारा घेरा गया क्षेत्रफल अधिक प्राप्त होता है तो ऊर्जा का हास् भी अधिक होता है इसी प्रकार जब क्षेत्रफल कम होता है

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प्रेरित धारा तथा प्रेरित आवेश में सम्बन्ध

फैराडे के नियम में हमने पढ़ा की चुम्बक तथा कुण्डली के मध्य आपेक्षिक गति के कारण कुण्डली में विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है जिसका मान निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है: E =  – dϴ/dt यदि कुण्डली में फेरो की संख्या N हो तो प्रेरित वि.वा.बल E = -N dϴ/dt यदि कुण्डली का

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क्यूरी नियम तथा क्युरी ताप की परिभाषा क्या है

जब किसी पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो यह कितनी सरलता से चुम्बकित हो जाता है इसे चुम्बकीय प्रवृति कहते है। क्यूरी ने प्रयोग किये और पदार्थों के वर्गीकरण के अनुसार उन पदार्थों की चुम्बकीय प्रवृति ताप के प्रभाव के बारे में बताया। उन्होंने बताया की प्रतिचुम्बकीय पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृति ताप

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फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियम

अपने प्रयोगों के आधार पर फैराडे ने निष्कर्ष निकाले और दो नियम दिए जिन्हें फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियम कहा जाता है। 1:- फैराडे का प्रथम नियम : जब किसी बन्द परिपथ से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स के मान में परिवर्तन होता है तो परिपथ में विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है ,

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अनुचुम्बकीय पदार्थ की परिभाषा क्या है | गुण | उदाहरण तथा व्याख्या

अनुचुम्बकीय पदार्थ : इन पदार्थों को जब चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो ये कम चुंबकीय क्षेत्र से अधिक चुंबकीय क्षेत्र की ओर कम गति से गति करते है अर्थात ये पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र से कम आकर्षित रहते है।इन पदार्थो की उपस्थिति से चुंबकीय क्षेत्र का मान कुछ बढ़ जाता है।परिभाषा : वे पदार्थ जो कम

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प्रतिचुम्बकीय पदार्थ की परिभाषा क्या है | उदाहरण | व्याख्या | गुण

प्रतिचुम्बकीय पदार्थ की परिभाषा : जब इन पदार्थों को असमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाए तो ये पदार्थ अधिक प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र से कम चुंबकीय क्षेत्र की ओर गति करते है दूसरे शब्दों में कहे तो इन पदार्थों की उपस्थिति से चुम्बकीय क्षेत्र का मान कम हो जाता है अत: हम इनको निम्न प्रकार परिभाषित

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