April 2020

ट्रांसफार्मर के प्रकार , उच्चायी , अपचायी ट्रांसफॉर्मर हानि

कार्य के आधार पर इनको दो भागो में विभाजित किया गया है 1. उच्चायी ट्रांसफार्मर (step up transformer in hindi) : जैसा की हम बात कर चुके है की इसमें प्राथमिक तथा द्वितीयक दो कुण्डलियाँ होती है तथा दोनों पर तांबे के तार लिपटे होते है। जब प्राथमिक कुण्डली में फेरों की संख्या द्वितीयक कुण्डली […]

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ट्रांसफार्मर क्या है | सिद्धांत | रचना | कार्यविधि | परिभाषा प्रिन्सिपले ऑफ़ ट्रान्सफार्मर

यह एक एक ऐसी युक्ति है जो अन्योन्य प्रेरण के सिद्धांत पर आधारित है तथा इसका उपयोग प्रत्यावर्ती धारा वोल्टता में परिवर्तन के लिए किया जाता है अर्थात प्रत्यावर्ती धारा की वोल्टता को कम या अधिक करने के लिए किया जाता है। ट्रांसफार्मर का सिद्धांत (principle of transformer in hindi): यह अन्योन्य प्रेरण के सिद्धांत

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चोक कुंडली की परिभाषा क्या है | सिद्धान्त | कार्यविधि

चोक कुंडली :- ऐसी युक्ति जिसका उपयोग प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में बिना ऊर्जा क्षय के धारा को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है उसे चोक कुंडली कहा जाता है। चोक कुंडली का सिद्धांत: हम पढ़ चुके है की प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में व्यय उर्जा का मान निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है यहाँ θ विद्युत

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वाटहीन धारा की परिभाषा क्या है

वाटहीन धारा :- किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में औसत शक्ति क्षय या व्यय उर्जा का मान परिपथ में प्रवाहित धारा तथा विभवांतर के वर्ग  माध्य मूल के व दोनों के मध्य कलान्तर की कोज्या के , तीनों के गुणनफल के बराबर होता है। अर्थात प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में व्यय ऊर्जा या औसत शक्ति क्षय को

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शक्ति गुणांक की परिभाषा क्या है

शक्ति गुणांक :- हमने प्रत्यावर्ती परिपथ में औसत शक्ति में हम पढ़ चुके है की औसत शक्ति का मान धारा तथा विभवान्तर (वोल्टता) के वर्ग मध्य मूल तथा दोनों के मध्य कलान्तर की कोज्या के गुणनफल के बराबर होता है। यहाँ कलान्तर की कोज्या को ही शक्ति गुणांक कहते है।शक्ति गुणांक की परिभाषा :किसी भी

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प्रत्यावर्ती परिपथ में औसत शक्ति

प्रत्यावर्ती परिपथ में औसत शक्ति :- किसी भी विद्युत परिपथ में ऊर्जा व्यय होने की दर को ही “शक्ति” कहा जाता है।यदि किसी दिष्ट धारा परिपथ हो तथा इसमें i धारा t समय तक प्रवाहित हो रही हो तथा विभवान्तर V हो तो परिपथ में व्यय उर्जा को निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता हैव्यय

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श्रेणी अनुनादी परिपथ में विशेषता गुणांक

श्रेणी अनुनादी परिपथ में विशेषता गुणांक( Quality factor in LCR resonance circuit in hindi) : जब किसी LCR अनुनादी परिपथ में अर्द्ध शक्ति आवृत्ति f0 के मान में थोडा सा भी परिवर्तन किया जाता है तो इस थोड़े से परिवर्तन से भी परिपथ की धारा में बहुत अधिक परिवर्तन आता है।जब अर्द्ध शक्ति आवृत्ति f0 के मान में इस

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श्रेणी अनुनादी परिपथ में बैण्ड चौड़ाई

श्रेणी अनुनादी परिपथ में बैण्ड चौड़ाई : श्रेणी LCR अनुनादी परिपथ में दो आवृत्तियाँ ऐसी होती है जिनके मध्य शक्ति क्षय का मान कुल शक्ति क्षय का आधा होता है इन आवृतियों को अर्द्ध शक्ति आवृत्तियाँ कहते है तथा इन दोनों आवृत्तियों के अन्तर को  श्रेणी अनुनादी परिपथ में बैण्ड चौड़ाई कहते है। माना f1 तथा f2 दो ऐसी आवृत्तियाँ

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अर्द्ध शक्ति बिन्दु या आवृत्तियाँ

श्रेणी LCR परिपथ के लिए जब आवृति f में परिवर्तन किया जाता है तो उसके अनुसार परिपथ में प्रवाहित धारा के मान में भी परिवर्तन आता है। जब हम परिवर्तनशील आवृत्ति f तथा परिपथ में प्रवाहित धारा I के मध्य ग्राफ खीचते है तो यह चित्र के अनुसार प्राप्त होता है। LCR परिपथ जब अनुनाद

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श्रेणी L-C-R अनुनादी परिपथ

जब एक परिपथ में प्रेरकत्व L , प्रतिरोध R तथा संधारित्र C को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है तो इस परिपथ को श्रेणी LCR परिपथ कहते है।जब इसमें एक प्रत्यावर्ती धारा स्रोत लगाया जाता है तो इसमें विभवान्तर तथा धारा के मध्य कलांतर प्राप्त होता है और यह कला अंतर प्रेरकीय प्रतिघात तथा धारितीय प्रतिघात

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