वाटहीन धारा :- किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में औसत शक्ति क्षय या व्यय उर्जा का मान परिपथ में प्रवाहित धारा तथा विभवांतर के वर्ग माध्य मूल के व दोनों के मध्य कलान्तर की कोज्या के , तीनों के गुणनफल के बराबर होता है।
अर्थात प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में व्यय ऊर्जा या औसत शक्ति क्षय को निम्न प्रकार दर्शाया जाता है
जब किसी परिपथ में केवल प्रेरकत्व उपस्थित हो तो इस स्थिति में प्रत्यावर्ती वोल्टता धारा से π/2 आगे होती है अतः इस स्थिति में p = 0 इसी प्रकार जब प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में केवल संधारित्र उपस्थित हो तो वोल्टता धारा से π/2 पीछे रहता है अर्थात दोनों के मध्य π/2 कलांतर होता है अतः इस स्थिति में भी p = 0 होगा।
इन दोनों स्थितियों में परिपथ में प्रवाहित धारा को वाटहीन धारा कहते है।
वाटहीन धारा की परिभाषा:
जब किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में केवल प्रेरकत्व उपस्थित हो या केवल संधारित्र उपस्थित हो या प्रेरकत्व व संधारित्र एक साथ उपस्थित हो तो इस स्थिति में प्रत्यावर्ती धारा व वोल्टता के मध्य π/2 कलांतर उत्पन्न होता है जिससे परिपथ में औसत शक्ति क्षय या व्यय ऊर्जा का मान शून्य होता है
अर्थात
p = VI(cosπ/2) = 0
P = 0\
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अतः हम कह सकते है की इन स्थितियों में परिपथ में धारा तो प्रवाहित हो रही है लेकिन औसत शक्ति क्षय का मान शून्य होता है अत: परिपथ में प्रवाहित इस प्रकार की धारा को वाटहीन धारा कहते है।
अर्थात हम कह सकते है की प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रवाहित वह धारा जिसका औसत शक्ति क्षय में कोई योगदान नहीं होता वाटहीन धारा कहलाती है।
Remark:
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