स्थिर वैद्युत साम्यावस्था (electrostatic equilibrium in hindi) :
वह बिंदु जहाँ आवेशित कण पर परिणामी बल शून्य हो जाता है , उस बिन्दु को साम्यावस्था या सन्तुलन अवस्था कहलाती है।
अस्थायी संतुलन :
यदि आवेश को थोडा विस्थापित करने पर यह उसी साम्यावस्था पर न आये व माध्य स्थिति से दूर चला जाए तो यह संतुलन अस्थायी कहलाता है।
अस्थायी संतुलन के लिए शर्तें –
d2U/dx2 = ऋणात्मक
स्थायी संतुलन :
यदि आवेश को थोड़ा विस्थापित करने पर यह पुनः उसी साम्यावस्था पर आने की कोशिश करे तो यह स्थायी संतुलन कहलाता है।
स्थितिज ऊर्जा (U) = न्यूनतम
d2U/dx2 = धनात्मक
उदासीन साम्यावस्था :
यदि आवेश को अल्प दूरी तक विस्थापित किया जाए और यह फिर भी साम्यावस्था में रहे तो इस स्थिति को उदासीन साम्यावस्था कहते है।
Ques: दो बिन्दुवत आवेश Q1 व Q2 है , इन दोनों की प्रकृति समान है एवं प्रत्येक आवेश का द्रव्यमान m है को इस प्रकार रखा जाता है कि गुरुत्वाकर्षण बल एवं वैद्युत प्रतिकर्षण बल को संतुलित कर देता है।
क्या वे स्थायी साम्यावस्था में है ? और यदि नहीं तो साम्यावस्था की प्रकृति क्या है ?
Ans : Q1 व Q2 दोनों आवेश समान प्रकृति के है अत: दोनों के मध्य कार्यरत प्रतिकर्षण बल का मान = KQ1Q2/r2
Q1 व Q2 दोनों आवेशों का द्रव्यमान m है अत: इन पर कार्यरत गुरुत्वाकर्षण बल का मान = Gm2/r2
प्रशनानुसार KQ1Q2/r2 = Gm2/r2
दूरी पर अनिर्भर आवेश हमेशा साम्यावस्था में रहेंगे। यदि अब दूरी बढ़ा या घटा दी जाए तो साम्यावस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा अत: यह उदासीन साम्यावस्था है।
Ques : एक छड को रगड़ने पर उस पर 8.0 x 10-7 कूलाम ऋण आवेश उत्पन्न होता है। छड़ पर कितने इलेक्ट्रॉन अधिक एकत्र हो गए ? छड के द्रव्यमान में कितनी वृद्धि हुई है ?
Ans : माना छड पर 8.0 x 10-7 कूलाम आवेश उत्पन्न होने से n इलेक्ट्रॉन एकत्र हो गए है , अत:
सूत्र q = ne
q = 8.0 x 10-7 कूलाम
n = ?
e = इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1.6 x 10-19 कूलाम
सूत्र में मान रख कर हल करने पर –
8.0 x 10-7 = n x 1.6 x 10-19
n = 8.0 x 10-7/1.6 x 10-19
n = 5 x 1012 इलेक्ट्रॉन एकत्र हो गए है।
छड के द्रव्यमान में वृद्धि = m.n
जहाँ m = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = 9.1 x 10-31 Kg
छड के द्रव्यमान में वृद्धि = 9.1 x 10-31 Kg x 5 x 1012
छड के द्रव्यमान में वृद्धि = 4.55 x 10-18 Kg