विद्युत चुंबकीय तरंगें क्या है | परिभाषा | गुण | उपयोग | उदाहरण

विद्युत चुंबकीय तरंग की परिभाषा: vidyut chumbakiya tarang kya hai in hindi

वे तरंगें जिन्हें संचरित होने के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है उन्हें विद्युत चुम्बकीय तरंग कहते है |

अर्थात विद्युत चुंबकीय तरंगें निर्वात में भी संचरित हो जाती है। चूँकि इन तरंगों को संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए अन्तरिक्ष में संचार के लिए अर्थात वार्ता के लिए इन्ही तरंगों का उपयोग किया जाता है।

विद्युत चुम्बकीय तरंगें प्रकाश के वेग से गति करती है , तथा ये तरंग फोटोन से मिलकर बनी होती है।

जब कोई चुम्बकीय क्षेत्र समय के साथ परिवर्तित हो रहा हो तो इसके कारण विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है और ठीक इसके विपरीत अर्थात एक परिवर्तनशील विद्युत क्षेत्र , चुम्बकीय क्षेत्र को उत्पन्न करता है।

विद्युत चुम्बकीय तरंगों के संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती तथा ये तरंगें निर्वात (space) में भी संचरित हो सकती हैं। ये तरंगें चुम्बकीय एवं विद्युत क्षेत्रों के दोलन से उत्पन्न होने वाली अनुप्रस्थ तरंगें हैं। प्रकाश तरंगें, ऊष्मीय विकिरण, एक्स किरणें, रेडियो तरंगें आदि विद्युत-चुम्बकीय तरंगों के उदाहरण हैं। इन तरंगों का तरंग दैध्र्य परास (wave length) काफी विस्तृत होता है। इनका परास 10-14 मी. से लेकर 104 मी. तक होता है।

विद्युत चुम्बकीय तरंगों के गुण:

  • इन तरंगों पर कोई आवेश विद्यमान नहीं रहता है अर्थात ये उदासीन तरंगें है।
  • इन तरंगों में विद्युत क्षेत्र , चुम्बकीय क्षेत्र और संचरण सदिश , सभी एक दुसरे के लम्बवत स्थित रहते है।
  • ये अनुप्रस्थ तरंगें होती है अर्थात इसमें इन तरंगों का दोलन , संचरण की दिशा के लम्बवत होता है।
  • विद्युतचुम्बकीय तरंगें प्रकाश के वेग से संचरित होती है या गति करती है।
  • इन तरंगों की अवधारणा सबसे पहले मैक्सवेल ने प्रस्तुत की थी इसलिए हम कह सकते है कि विद्युत चुंबकीय तरंगों की खोज मैक्सवेल ने की थी।
  • इन तरंगों में संवेग और ऊर्जा दोनों निहित होती है।
  • विद्युत चुम्बकीय तरंगों के उदाहरण : एक्स किरणें , रेडियों तरंगें आदि।

विद्युत चुंबकीय तरंगें के गुण:

  • विद्युत चुम्बकीय तरंगें की चाल प्रकाश की चाल के बराबर होती है
  • ये विद्युत चुम्बकीय तरंगें प्रकाश की तरह ही परावर्तन और अपवर्तन प्रभाव दर्शाती है
  • ये transverse wave यानि अनुप्रस्थ तरंगें है
  • विद्युत चुम्बकीय तरंगें पर कोई आवेश नहीं होता है
  • विद्युत चुम्बकीय तरंगें जिस सतह से टकराती है उस पर दबाब डालती है

विद्युत चुंबकीय तरंगें के बारे में महत्वपूर्ण बातें:

  • यह एक अनुप्रस्थ (लांगीट्यूडनल) तरंग है। (जबकि ध्वनि एक अनुदैर्ध्य यांत्रिक तरंग है।)
  • इसका अस्तित्व विद्युत क्षेत्र एवं चुंबकीय क्षेत्र के दोलन के कारण होता है।
  • इसके संचरण के लिये किसी माध्यम का होना आवश्यक नहीं है। यह शून्य या निर्वात में भी चल सकता है। (जबकि ध्वनि के लिये माध्यम आवश्यक है।)
  • इसमें विद्युत क्षेत्र एवं चुंबकीय क्षेत्र परस्पर लम्बवत दोलन करते हैं; तथा विद्युत चुंबकीय तरंग के संचरण की दिशा विद्युत एवं चुंबकीय क्षेत्र के लम्बवत होती है।
  • शून्य या निर्वात में प्रकाश का वेग लगभग ३ लाख किमी/से (299,800 किमी/सेकेण्ड) होता है जो एक नियतांक है। कोई भी वस्तु इससे अधिक वेग से गति नहीं कर सकती।
  • अन्य माध्यमों में इसकी चाल शून्य में इसकी चाल से कम होती है।
  • मानव की आँखें, विद्युतचुंबकीय विकिरण के जिस भाग के प्रति संवेदनशील होती हैं उसे दृष्य प्रकाश (visible light) कहा जाता है। दृष्य प्रकाश की तरंगदैर्ध्य (वेभलेंथ) 4000 एंगस्ट्राम से 8000 एंगस्ट्राम तक होती है।
  • विद्युत और चुंबकत्व दोनो ही विद्युतचुंबकीय प्रभाव हैं।
  • विद्युतचुंबकीय विकिरण में ऊर्जा एवं संवेग (मोमेन्टम्) भी होते हैं। जब ये तरंगे किसी पदार्थ से अनुक्रिया (इन्टरैक्शन) करती हैं तो पदार्थ के अणुओं (परमाणुओं या एलेक्ट्रान) को यह उर्जा और संवेग प्रदान करती हैं।
  • विद्युत्चुंबकीय विकिरण के दृष्य प्रकाश के अतिरिक्त अन्य विकिरणों का उपयोग कुछ ही दशकों से आरम्भ हुआ है। मानव जब भी किसी नये विकिरण का पता लगाता है, सभ्यता में एक क्रान्ति आ जाती है।

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