Varn Kise Kahate Hain: हेलो स्टूडेंट्स, आज हमने यहां पर वर्ण की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण ( Varn in hindi) के बारे में विस्तार से बताया है। यह हर कक्षा की परीक्षा में पूछा जाने वाले यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।
Varn Kise Kahate Hain
मानव द्वारा प्रकट की गई सार्थक व अर्थपूर्ण ध्वनि को भाषा की संज्ञा दी जाती है। इस भाषा को कुछ चिन्हों द्वारा लिखित भाषा में परिवर्तित किया जाता है। इन्हीं चिन्ह को वर्ण कहा जाता है। साधारण अर्थों में समझे तो भाषा की सबसे लघुतम इकाई वर्ण है।
वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है इस के टुकड़े नहीं किए जा सकते जैसे – क् ,प् , ख् , च ,आदि
वर्ण की परिभाषा
मानव के द्वारा प्रस्तुत की गई सार्थक व अर्थ से परिपूर्ण ध्वनि को भाषा की संज्ञा दी जाए और भाषा को चिन्हों के द्वारा लिखी गयी भाषा मे परिवर्तित किया जाए, इसी चिन्ह को वर्ण कहा जाता है।
अथवा
वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं , जिसके खंड या टुकड़े नहीं हो सकते।
वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है व इसके टुकड़े या खण्ड नहीं किये जा सकते हैं। जैसे:- क, ख, व, च, प आदि।
उदाहरण के द्वारा मूल ध्वनियों को स्पष्ट कर सकते हैं।
जैसे:- काम (क + आ + म + अ) में चार मूल ध्वनियां हैं।
वर्णमाला (Alphabet)
वर्णों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी वर्णमाला में निम्नलिखित वर्ण या ध्वनियाँ प्रयुक्त होती हैं
स्वर 11 — अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ऋ , ए , ऐ , ओ , औ
अयोगवाह 2 — अं ( अनुस्वार ) , अः ( विसर्ग )
स्पर्श व्यंजन 25 —
क , ख , ग , घ , ङ
च , छ , ज , झ , ञ
ट , ठ , ड , ढ , ण
त , थ , द , ध , न
प , फ , ब , भ , म
अंतःस्थ व्यंजन 4 — य , र , ल , व
ऊष्म व्यंजन 4 — श , ष , स , ह
संयुक्त व्यंजन 4 — क्ष , त्र , ज्ञ , श्र
हिन्दी के अपने व्यंजन 2 — ड़ , ढ़
वर्ण के भेद
हिंदी भाषा के अनुसार वर्ण 2 प्रकार के होते हैं।
(1). स्वर वर्ण ( Vowel )
(2). व्यंजन वर्ण ( Consonant )
स्वर किसे कहते हैं?
स्वर की परिभाषा: वह वर्ण जिनके उच्चारण के लिए कोई अन्य वर्ण की सहायता की जरूरत नहीं पड़ती, उसे स्वर कहते हैं।
जब भी हम स्वर का उच्चारण करते हैं तो हमारे कंठ और तालु का ही प्रयोग किया जाता है, जीभ व होंठ का उपयोग नहीं किया जाता है।
जैसे:- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः, ऋ, ॠ, ऌ, ॡ आदि होते हैं।
स्वर के भेद
स्वर के 2 प्रकार होते हैं।
- मूल स्वर
- संयुक्त स्वर
मूल स्वर
मूल स्वर – अ ,आ ,इ ,ई ,उ ,ऊ, ए , ओ।
मूल स्वर 3 प्रकार के होते हैं।
- हस्व स्वर
- दीर्घ स्वर
- प्लुत स्वर
हस्व स्वर:- इनके उच्चारण में समय बहुत ही कम लगता है, इसलिए इन्हें हस्व स्वर कहते हैं। जैसे – अ, इ, उ।
दीर्घ स्वर: इन स्वरों का जब हम उच्चारण करते हैं तो इनमें हस्व स्वर से कही ज्यादा समय का उपयोग होता है, इसलिए इन्हें दीर्घ स्वर कहा जाता है। जैसे – आ, ई,ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, लृ आदि।
प्लुत स्वर: इस स्वर का उच्चारण जब हम करते हैं तो इसमें हस्व स्वर व दीर्घ स्वर से अधिक समय लगता है, इसलिए इन्हें प्लुत स्वर कहा जाता है। जैसे – ओउम
संयुक्त स्वर
संयुक्त स्वर- ए (अ+ए) और औ (अ+ओ)।
व्यंजन किसे कहते हैं?
व्यंजन की परिभाषा: व्यंजन की परिभाषा के अनुसार जिन वर्णों के उच्चारण में स्वरों की सहायता ली जाती है, उसे व्यंजन कहा जाता है। जितने भी व्यंजन वर्ण होते हैं, उनका उच्चारण बिना स्वर के संभव नहीं है।
जैसे- क, ख, ग, च, द, म, भ, त, थ आदि।
व्यंजन के भेद
व्यंजन 3 प्रकार के होते हैं।
- स्पर्श व्यंजन
- अंतःस्थ व्यंजन
- उष्म व्यंजन
स्पर्श व्यंजन (Sparsh Vyanjan): स्पर्श व्यंजन की बात करें तो क से म तक के जो वर्ण होते हैं, उन्हें हम स्पर्श व्यंजन कहते हैं। यह कंठ, तालु, दांत, ओष्ठ के स्पर्श से भी बोले जाते हैं, जिस कारण इन्हें वर्गीय व्यंजन भी कहा जाता है।
स्पर्श व्यंजन 5 वर्गों के अंतर्गत विभाजित होते हैं।
- क वर्ग:- क, ख, ग, घ, ङ
- च वर्ग:- च, छ, ज, झ, ञ्
- ट वर्ग:- ट, ठ, ड, ढ़, ण
- त वर्ग:- त, थ, द, ध, न
- प वर्ग:- प, फ़, ब, भ, म
अन्तःस्थ व्यंजन (Antastha Vyanjan): अन्तःस्थ व्यंजन अर्धस्वर व्यंजन भी कहलाते हैं, इनका उच्चारण जीभ तालू दांत और होंठ के परस्पर हटाने से होता है लेकिन पूरी तरह से स्पर्श नहीं होता है।
जैसे- य, र, ल, व।
उष्म व्यंजन (Ushma Vyanjan): यह चार होते हैं, उष्म व्यंजन का उच्चारण मुह से गर्म सांस लेने से निकलता है। जैसे – श, ष, स, ह।
- क + ष = क्षा – क्षत्रिय, क्षमा
- त + र = त्र – त्रस्त, त्राण, त्रुटि
- ज़ + ञ = ज्ञ – ज्ञानी यज्ञ अज्ञान
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Note:
- जब किसी स्वर का उच्चारण नासिका और मुख से किया जाता है तब उसके ऊपर चंद्र बिंदी लगाया जाता है।
- अनुस्वार का उच्चारण(न् ,म्) के समान होता है इसका चिन्ह बिंदी आकार होता है जैसे – मंगल , जंगल , हंस आदि।
- विसर्ग (:) का उच्चारण हो के समान होता है जैसे – अतः, दुखः