कभी कभी ऐसा होता है की धारामापी में इसकी क्षमता से अधिक धारा प्रवाहित हो जाती है , अधिक धारा प्रवाहित होने से इसमें अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न हो जाती है इस ऊष्मा के कारण धारा में उपयोग की गयी कुण्डली के जलने का खतरा बन जाता है। या अचानक से धारामापी में अत्यधिक मात्रा में धारा प्रवाहित होने पर इसमें प्रयोग होने वाली संकेतक (सुई) पर झटके से परिवर्तन के कारण टूटने का खतरा रहता है।
इस प्रकार धारामापी में कई प्रकार की क्षतियाँ उत्पन्न हो सकती है , इस प्रकार की सभी समस्याओं से धारामापी को सुरक्षित रखने के लिए धारामापी के समान्तर क्रम में एक अल्प मान का प्रतिरोध जोड़ दिया जाता है , इस जोड़े गए अल्प प्रतिरोध को ही शंट (shunt) कहा जाता है।
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शंट से सम्बन्धित कुछ तथ्य:
धारामापी में शण्ट का प्रयोग करने से मुख्य धारा (I) का अधिकांश भाग शंट से होकर गुजरता है , ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रयोग किया गया शण्ट अल्प प्रतिरोध का होता है अतः यह मार्ग धारा के मार्ग कम प्रतिबाधा उत्पन्न करता है।
यही कारण है की आवश्यकता से अधिक धारा प्रवाहित होने पर भी धारामापी सुरक्षित रहता है क्योंकि धारा शंट प्रतिरोध से होकर गुजर जाती है तथा धारामापी से उतनी ही धारा गुजरती है जितनी आवश्यक होती है।
Remark:
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