Republic Day Essay in Hindi

Republic Day Essay in Hindi: हर साल 26 जनवरी को भारत अपना गणतंत्र दिवस मनाता है क्योंकि इसी दिन भारत का संविधान लागू हुआ था। इसे हम सभी राष्ट्रीय पर्व के रुप में मनाते है और इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है।

इसके अलावा गाँधी जयंती और स्वतंत्रता दिवस को भी राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है। भारतीय संसद में भारत के संविधान के लागू होते ही हमारा देश पूरी तरह से लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया।

Republic Day Essay in Hindi

गणतंत्र का अर्थ : गणतंत्र को लोकतंत्र, जनतंत्र व प्रजातंत्र भी कहते हैं जिसका अर्थ है प्रजा का राज्य या प्रजा का शासन। जिस दिन देश का संविधान लागू हुआ था उसी दिन को गणतंत्र दिवस कहते हैं। हमारे देश में संविधान 26 जनवरी, 1950 से लागू हुआ था इसीलिए इस तारीख को गणतंत्र दिवस कहते हैं।

प्रस्तावना

हमारा देश 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र हुआ था लेकिन उससे पहले हमारे देश पर राजाओं, सम्राटों और ब्रिटिशों की सरकार का शासन था। स्वतंत्रता के बाद हमारे देश के विद्वान् नेताओं ने देश में प्रजातंत्र शासन पद्धति लागू करने के लिए संविधान बनाया जिसको बनाने में चार साल लगे थे।

सन् 1946 से संविधान बनाना शुरू हो गया था और दिसम्बर सन् 1949 में बनकर तैयार हो गया था। इस संविधान को 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था। तभी से हर साल 26 जनवरी को हमारे देश में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

गणतंत्र दिवस का इतिहास

आजादी के बाद एक ड्राफ्टिंग कमेटी को 28 अगस्त 1947 की मीटिंग में भारत के स्थायी संविधान का प्रारुप तैयार करने को कहा गया। 4 नवंबर 1947 को डॉ बी.आर.अंबेडकर की अध्यक्षता में भारतीय संविधान के प्रारुप को सदन में रखा गया। 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन में संविधान बनकर तैयार हुआ। आखिरकार इंतजार की घड़ी 26 जनवरी 1950 को इसको लागू होने के साथ ही खत्म हुई। साथ ही पूर्णं स्वराज की प्रतिज्ञा का भी सम्मान हुआ।

26 जनवरी का आयोजन

26 जनवरी एक राष्ट्रीय पर्व है। इसका आयोजन दिल्ली में विशेष उत्साह और धूम धाम के साथ किया जाता है। इस दिन परेड का भी आयोजन किया जाता है। यह परेड विजय चैंक से प्रारम्भ होती है और लाल किले तक जाती है। इस परेड को देखने के लिए लोग प्रातः काल से ही एकत्र होने शुरू हो जाते हैं। लगभग आठ बजे प्रातः राष्ट्रपति की सवारी विजय चैंक पर पहुँचती है। प्रधानमंत्री उनकी अगवानी करते हें। इसके बाद तीनों सेनाओं के सैनिक राष्ट्रपति महोदय को सलामी देते हैं। सैनिकों के बाद स्कूलों के बच्चों की टोलियाँ अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करती हैं। बच्चों की विभिन्न प्रकार की क्रियाओं को देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। इसके बाद विभिन्न प्रदेशों और केन्द्र शासित प्रदेशों की आकर्षक झाँकियाँ निकलती हैं। इन झांकियों में राष्ट्र के विकास की झलक मिलती है। विभिन्न प्रान्तों की सांस्कृतिक झलक तथा उपलब्धियों का भी पता चलता है।

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विद्यालयों में गणतन्त्र दिवस

 विद्यालयों में भी गणतन्त्र दिवस बहुत धूम धाम तथा उत्साह से मनाया जाता है। विद्यालयों में छात्र प्रातः आठ बजे के लगभग इकट्ठे होने लगते हैं। राष्ट्रध्वज के आरोहण के बाद छात्र राष्ट्रध्वज को सलाम देते हैं। गणतन्त्र दिवस के महत्व को दर्षाने वाले गीत तथा अन्य कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जाते हैं। इस अवसर पर मिष्टान्न वितरण भी किया जाता है।

प्रान्तों में गणतन्त्र दिवस

विभिन्न राज्यों की राजधानियों में भी गणतन्त्र दिवस बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। कवि सम्मेलन रखे जाते हैं। देश के सभी सरकारी भवनों पर रोशनी की जाती है। राष्ट्रपति भवन पर रोशनी का विशेष कार्यक्रम होता है।

गणतंत्र दिवस पर समारोह

सर्वप्रथम 26 जनवरी को भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय ध्वज दिल्ली के लाल किले पर फहराया जाता है और उसके बाद सामूहिक रूप से राष्ट्रगान गया जाता है! इस अवसर पर हर साल एक परेड इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक आयोजित की जाती है! जिसमें भारतीय सेना के विभिन्न अंग जैसे नौसेना, जलसेना, वायुसेना भाग लेती है! इसी दिन परेड प्रारंभ करते हुए प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति (सैनिकों के लिए एक स्मारक) पर पुष्प माला डाल कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं!

राष्ट्रपति अपने अंगरक्षकों के साथ 14 घोड़ों की बग्घी में बैठकर इंडिया गेट पर आते हैं, जहाँ प्रधानमंत्री उनका स्वागत करते हैं। राष्ट्रीय धुन के साथ ध्वजारोहण करते हैं, उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाती है, हवाई जहाजों द्वारा पुष्पवर्षा की जाती है। आकाश में तिरंगे गुब्बारे और सफेद कबूतर छोड़े जाते हैं।

भारत की अलग अलग राज्यों की संस्कृति, विशेषता, उनके लोक गीत , कला और विशेषता को परेड में झाँकियौं के रूप में दिखाया जाता है इस परेड को पूरे भारत में उसी समय सभी टेलीविज़न और रेडियो पर भी दिखाया जाता है।

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26 जनवरी का पावन पर्व आज भी हर दिल में राष्ट्रीय भावना की मशाल को प्रज्वलित कर रहा है। लहराता हुआ तिरंगा रोम-रोम में जोश का संचार कर रहा है, चहुँओर खुशियों की सौगात है। किसी ने सच ही कहा है- “कण-कण में सोया शहीद, पत्थर-पत्थर इतिहास है।“ ऐसे ही अनेक देशभक्तों की शहादत का परिणाम है, हमारा गणतान्त्रिक देश भारत। आइये हम सब मिलकर उन सभी अमर बलिदानियों को अपनी भावांजली से नमन करें!

राष्ट्रिय स्तर पर मनाने की परम्परा

 गणतंत्र दिवस का समारोह हर साल 26 जनवरी को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रिय स्तर पर दिल्ली में बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस समारोह की तैयारियां भारत सरकार कई दिन पहले से ही करना शुरू कर देती है। गणतंत्र दिवस से पहली संध्या को देश का राष्ट्रपति देश के नाम संदेश देता है। जिसका प्रसारण संचार के माध्यमों से किया जाता है।

गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम सुबह की शहीद ज्योति के अभिवादन से शुरू होता है इसे देश के प्रधानमंत्री इण्डिया गेट पर प्रज्ज्वलित करके शहीद ज्योति का अभिनंदन करके देश के शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित करते हैं। उसके बाद विजय चौक पर निर्मित सलामी मंच पर राष्ट्रपति जी की सवारी शाही सम्मान के साथ पहुंचती है।

उस स्थान पर प्रधानमंत्री और गणमान्य जन उनका हार्दिक स्वागत करते हैं। उसके बाद गणतंत्र दिवस की परेड का शुभारंभ किया जाता है जो बहुत ही दर्शनीय होती है। सेना के तीनों अंगों के जवानों की कई विभिन्न टुकडियां अपने-अपने बैंडों की आवाज के साथ पद संचालन करते हुए तथा राष्ट्रपति को अभिवादन करते हुए परेड करते हैं।

इसके बाद युद्ध में प्रयुक्त होने वाले हथियारों की ट्रालियां आती हैं जो सेना में प्रयुक्त विविध रक्षा साधनों से सुसज्जित होती हैं। इसके बाद भारत की विभिन्न सांस्कृतिक झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं। देश के छात्र-छात्राओं की टुकडियां अपने विवध कौशल को दिखाते हुए आगे बढती हैं। आखिर में वायु सेना ने लड़ाकू विमान भी अपना अनुपम व विचित्र कौशल दिखाते हुए आकाश में विलीन हो जाते हैं। उक्त सारी सवारियां विजय चौक से शुरू होकर लाल किले तक पहुंचती हैं।

सरकारी प्रयत्न

जब सन् 1929 को लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था तो उसमें श्री जवाहर लाल नेहरु जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। जवाहर लाल नेहरु जी ने यह प्रस्ताव पारित किया था कि 26 जनवरी के दिन हर भारतीय राष्ट्रिय पताका के नीचे खड़ा होकर प्रतिज्ञा करे कि हम भारत के लिए पूरी स्वाधीनता की मांग करेंगे और उसके लिए अंतिम दम तक संघर्ष करेंगे।

तभी से हर साल 26 जनवरी मनाने की परंपरा चलनी शुरू हुई थी। जब स्वाधीनता प्राप्त हो गई तो उसके बाद भारतीय नेताओं ने 26 जनवरी को नवीन संविधान को भारत पर लागु करना उचित समझा था। 26 जनवरी, 1950 को सुबह अंतिम गवर्नर जनरल सी० राज गोपालाचार्य ने नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डॉ० राजेन्द्र प्रसाद को कार्य भार सौंपा था।

स्वतंत्रता पूर्व स्थिति

ब्रिटिश शासन काल में 26 जनवरी, 1930 के बाद से लेकर हर साल 26 जनवरी को एक राष्ट्रिय पर्व के रूप में मनाया जाने लगा। 26 जनवरी के दिन जगह-जगह सभा करके लाहौर में रावी नदी के तट पर की गयी पूर्ण स्वाधीनता की प्रतिज्ञा को दोहराया जाता था। एक तरफ भारतियों ने पूर्ण स्वाधीनता की प्रतिज्ञा की थी तो दूसरी तरफ अंग्रेजों ने भारत के दमन को और अधिक तेजी से करना शुरू कर दिया था।

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जो लोग पूर्ण स्वाधीनता के प्रेमी थे उनके सिरों को लाठियों से फोड़ा जाने लगा। बहुत सी जगहों पर गोलियों की बौछारें भी की गयी और देशप्रेमियों को मारा गया। बहुत से नेताओं को भी जेलों में बंद कर दिया गया लेकिन भारतीय अपने रास्ते पर अडिग बनकर खड़े रहे। भयानक-से-भयानक यातनाएं भी उन्हें उनके रास्ते से हटा नहीं सकीं थीं। उसी देशभक्ति के फलस्वरूप आज हमारा भारत स्वतंत्र है। हमारी भाषा, हमारी संस्कृति, हमारा धर्म और हमारी सभ्यता आज पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं।

भारत का गणतंत्र राज्य घोषित होना

 सन् 1950 में जब भारतीय संविधान बनकर तैयार हुआ था उस समय यह विचार किया गया कि किस तारीख को इसे भारतवर्ष में लागू किया जाये। बहुत विचार-विमर्श करने के बाद 26 जनवरी को ही इसके लिए उचित तिथि समझा गया। अत: 26 जनवरी, 1950 को भारत को संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न गणतंत्र घोषित किया गया था।

देश का शासन पूरी तरह से ही भारतवासियों के हाथों में आ गया था। देश का हर नागरिक देश के प्रति अपने कर्तव्य का अनुभव करने लगा था। देश की उन्नति और मान-मर्यादा को हर नागरिक अपनी मान-मर्यादा और उन्नति समझने लगा था। भारत के इतिहास में भी 26 जनवरी का दिन एक बहुत महत्वपूर्ण दिन है।

राष्ट्र का पावन पर्व : 26 जनवरी को राष्ट्र का एक बहुत ही पावन पर्व माना जाता है। 26 जनवरी का दिन हमारे सामने अनेक बलिदानों की पावन स्मृति को लेकर प्रस्तुत होता है। बहुत से वीरों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों को हँसते-हँसते कुर्बान कर दिया था।

कितनी माताओं ने अपनी गोद की शोभा, कितनी पत्नियों ने अपनी मांग का सिंदूर और कितनी ही बहनों ने अपने रक्षा-बंधन के त्यौहार को हंसते-हंसते स्वतंत्रता संग्राम को भेंट स्वरूप दान कर दिया था। आज के दिन हम उन सभी शहीदों को याद करते हैं जिन्होंने स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए स्वतंत्रता की अग्नि में अपने खून की आहूति आर्पित की थी। आज के दिन उन सभी शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है।

दिल्ली में आयोजित समारोह

आज के समय में राष्ट्रिय पर्वों को मनाने का ढंग राष्ट्रिय नहीं बल्कि सरकारी है। ये समारोह इस तरीके से मनाये जाते हैं कि न ही तो साधारण जनता को इससे प्रेरणा मिलती है और न ही इन समारोहों से उनके अंदर आंतरिक उल्लास और स्फूर्ति जागृत होती है। सरकार 26 जनवरी को लोकप्रिय उत्सव बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है।

26 जनवरी के दिन दिल्ली में असाधारण समारोह होता है। हमें आशा करनी चाहिए कि यह उत्सव नगरों तक ही सीमित न रहकर ग्रामीण जनता के लिए भी सुरुचिपूर्ण और आकर्षण का केंद्र बन जाए। यह समारोह देश के प्रत्येक कोने में बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है लेकिन भारत की राजधानी दिल्ली की शोभा ही अलग होती है।

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मुख्य समारोह सलामी में पुरस्कार वितरण आदि तो इंडिया गेट पर ही होता है। 31 तोपों को दागा जाता है। सैनिक द्वारा वधिक यंत्रों को बजाया जाता है। राष्ट्रपति जी अपने भाषण में राष्ट्र को कलयाणकारी संदेश देते हैं। भिन्न-भिन्न प्रान्तों की मनोहारी झांकियां प्रस्तुत की जाती है। शोभा यात्रा नई दिल्ली की सभी सडकों पर घूमती है।

इसके साथ-साथ तीनों सेनाएं, घुड़सवार, टैंक, मशीनगने, टैंक नाशक तोपें, विध्वंसक तथा विमान भेदी यंत्र रहते हैं।

बहुत से प्रान्तों के लोग नृत्य और शिल्प आदि का प्रदर्शन करते हैं। इस अवसर पर कई एतिहासिक महत्व की वस्तुएं भी उपस्थित की जाती हैं। छात्र-छात्राएं भी इसमें भाग लेती हैं और अपनी कला का प्रदर्शन करती हैं।

गणतंत्र दिवस को पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। देश की राजधानी दिल्ली में इस दिन की शोभा को देखने के लिए देश के भिन्न-भिन्न राज्यों से लोग आते हैं। बहुत से स्थानों पर खेल, तमाशे, सजावट, सभाएं, भाषण, रौशनी, कवि-गोष्ठियाँ, वाद-विवाद प्रतियोगिता जैसे अनेक प्रकार के खेल खेले जाते हैं।

जनता और सरकार दोनों के द्वारा ही इस मंगल पर्व को मनाया जाता है। सारे देश में प्रसन्नता और हर्ष की लहर दौड़ने लगती है। यह पर्व हमारे राष्ट्रिय गौरव और स्वाभिमान का प्रतीक होता है। आज के दिन बहुत सी झाँकियाँ निकाली जाती हैं जो अनेकता में एकता का प्रतिक होती हैं।

स्वदेश व विदेश में

26 जनवरी को हर साल देश की प्रांतीय राजधानियों में राज्यपाल व मुख्यमंत्री ध्वजारोहण के साथ गणतंत्र दिवस का शुभारंभ करते है उसके बाद पूरे दिन विवध कार्यक्रम चलते रहते हैं। विद्यालयों व कॉलेजों में छात्र बड़े हर्षोल्लास के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं।

शाम के समय सांस्कृतिक कार्यक्रम में नाटक, प्रहसन, कवि सम्मेलन आदि सम्पन्न होते हैं। विदेशों में भी गणतंत्र दिवस को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हर देश में विद्यमान भारत के दूतावासों में यह पर्व प्रवासी भारतीय लोगों द्वारा बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। संबंधित देशों के शासनाध्यक्ष भारत के राष्ट्रपति एवम् प्रधानमंत्री को बधाई संदेश देते हैं।

उपसंहार

हर पर्व का जीवन में बहुत महत्व होता है। गणतंत्र दिवस को हमारे संविधान के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है यह हमारे लिए बहुत बड़ा संदेश देता है। 26 जनवरी के उत्सव को जन साधारण समाज का पर्व बनाने के लिए हर भारत वासी को इसमें जरुर भाग लेना चाहिए।

इस दिन राष्ट्रवासियों का आत्म-निरिक्षण भी करना चाहिए और हमें यह भी विचार करना चाहिए कि हमने क्या खोया है और क्या पाया है। हमें यह भी विचार करना चाहिए कि अपनी निश्चित की गई योजनाओं में हमें कहाँ तक सफलता प्राप्त हुई है। हमने जो भी लक्ष्य निर्धारित किए थे क्या हम वहाँ तक पहुंच पाए हैं। इस दृष्टि से हमें हमेशा आगे बढने का संकल्प करना चाहिए।

Credit: Learn Essay Speech

26 जनवरी के इस दिन में भारतीय आत्माओं के त्याग, तपस्या, और बलिदान की अमर कहानी निहित होती है। हर भारतीय का यह कर्तव्य बनता है कि वह इस पर्व को उल्लास और प्रसन्नता के साथ मनाए और अपने देश की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहे।

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सहयोग और एकता में विश्वास रख कर हम स्वतंत्रता को बनाये रखने में मदद कर सकते हैं। हमारे देश में सभी को समान अधिकार प्राप्त होते हैं। देश को धर्म-निरपेक्ष, प्रभुत्ता संपन्न राष्ट्र का स्वरूप प्रदान किया इसीलिए हमें इस पर्व की रक्षा के लिए सदैव कटिबद्ध रहना चाहिए।

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