Cow Essay in Hindi – गाय पर निबंध

cow essay in hindi: हिंदू मान्यताओं के अनुसार गाय को माता का दर्जा दिया जाता है। प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में गाय को एक पूजनीय स्थान प्राप्त है। यह दुनिया में सबसे अधिक शुद्ध सात्विक पर शाकाहारी भोजन खाने वाले जानवरों में से एक हैं।

Cow Essay in Hindi

पहले के समय में किसी व्यक्ति की संपन्नता की गिनती में गाय व बैलों की गिनती भी की जाती थी एवं शादी विवाह, उपहार व दान स्वरूप गायों को दिया जाना अच्छा माना जाता था।

प्रस्तावना

गाय के लिए सबसे अच्छा और पौष्टिक भोजन हरी और ताजी कहां स्कोर माना जाता है और इनसे होने वाला दूध भी अत्यधिक पौष्टिक होता है इसके दूध से अनेकों तरह के खाद्य पदार्थों का निर्माण भी किया जाता है साथ ही साथ गायों के बछड़ों को खेती के लिए उपयोग किया जाता था

किसान इन पर हल बांधकर खेत जोतने का काम करते थे इसके अलावा बैलों को बैलगाड़ी खींचने के लिए भी उपयोग में लाया जाता था जो कि पहले आवागमन का सबसे अच्छा साधन था।

गाय क्या है?

गाय एक पालतू जानवर है। जिसके नर प्रजाति को बैल तथा मादा प्रजाति को गाय के नाम से संबोधित किया जाता है।

अगर गाय की शारीरिक संरचना की बात करें तो एक मुंह, एक जोड़ी आंखें, चार थन, एक जोड़ी सिंघ, दो नथुने तथा चार पैर होते हैं।

गाय के पैर में लगे हुए खूर उसके लिए जूतों का काम करते हैं। गाय की पूंछ लंबी होती है तथा किनारे पर एक बाल का गुच्छा होता है जिससे वह मक्खियां उड़ाने के लिए प्रयोग करती है।

गाय एक दुधारू पशु है। जिसके दूध को मनुष्य तथा अन्य पालतू जानवरों के लिए बेहतरीन माना जाता है। मानव के द्वारा उपयोग में ली जाने वाली ज्यादातर खाद्य पदार्थ दूध पर ही निर्भर होते हैं।

भारत के अलग-अलग स्थानों पर गायों की अलग-अलग प्रजातियां देखने को मिलती हैं। जैसे जर्सी गाय यह ज्यादा दूध देने के लिए प्रसिद्ध है लेकिन यह विदेशी प्रजाति मानी जाती है।

भारत में 40 से भी ज्यादा नस्लों की गाय पाई जाती हैं जिन्हें उनके दूध देने की क्षमता से पहचाना जाता है। भारत में गाय की मुख्य प्रजातियों में गिर, साहिवाल, सुरती और हरियाणवी को शामिल किया जाता है।

गाय पालन के फायदे

घर में गाय पालने के अनेकों फायदे हो सकते हैं। जिसमें सबसे पहला फायदा गाय के दूध से होता है। गाय के दूध में जरूरी मात्रा में प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम और मिनरल होते हैं जो पोषण के लिए जरूरी होते हैं।

गाय के दूध से दही, छास, पनीर जैसे बहुत से खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं जिनमें भरपूर मात्रा में विटामिन और प्रोटीन मौजूद होते हैं।

दूध और पनीर यह भारत में सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली खाद्य पदार्थों में से एक है जो गाय तथा भैंस के दूध से ही बनाए जाते हैं।

सनातन संस्कृति में हर किसी को गाय पालने और गाय की सेवा करने का ज्ञान दिया जाता था क्योंकि गाय से अनेकों फायदे होते हैं। जैसे कि गाय ही एकमात्र पशु है जो ऑक्सीजन ग्रहण करती है और ऑक्सीजन ही त्यागती है।

अन्य दुधारू पशुओं की तुलना में गाय का दूध बहुत ही ज्यादा फायदे कारक होता है खास कर बच्चों को गाय का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है

जहां भैंस का दूध भारी तथा सुस्ती लाने वाला होता है वही गाय का दूध बच्चों में चंचलता बनाए रखता है माना जाता है कि भैंस का बच्चा दूध पीने के बाद सो जाता है वहीं गाय का बच्चा अपनी मां का दूध पीने के बाद उछलता कूदता रहता है।

दुनिया के व्यापार का एक बड़ा हिस्सा दूध से जुड़ा हुआ है। जिसमें गाय का दूध भी मुख्य रूप से पसंद किया जाता है। आज भी  गाय के ऑर्गेनिक दूध की मांग बहुत जोरों शोरों से है।

गाय के दूध को बेचकर एक बड़ा जनसमुदाय अपने लिए आजीविका कमाता है। गाय के गोबर से बेहतरीन उर्वरक बनाए जाते हैं। ऐसे उर्वरकों को बनाने में खर्च तथा उसके खराब असर न के बराबर होते हैं।

जहां गाय जीवित रहने पर हर प्रकार से मनुष्य के लिए जरूरी चीजें प्रदान करती हैं वही मरने के पश्चात भी वह अपने चमड़े तथा हड्डियों के माध्यम से मनुष्य के जीवन को सरलता प्रदान करती है।

गाय की संरचना –

गाय बहुत ही साधारण और सरल जानवर होती हैं। यह स्वभाव से भी बहुत ही शांत होती है, इनका शरीर इंसान द्वारा पालतू बनाए जाने वाले अन्य पालतू जानवरों की तुलना में थोड़ा बड़ा और भारी होता है।

गाय के पास 2 लंबे आकार के कान, दो बड़ी व सुंदर आंखें, नाक और एक लंबा थूथन होता है। गाय की जीभ का आकार भी थोड़ा लंबा ही होता है। जिसकी सहायता से यह अपने नाक आदि की सफाई आसानी से कर लेती है। इनके  चार थन होते हैं जिससे वह अपने बछड़ों को दूध पिलाती है और हम उसका उपयोग दूध दुहने के लिए करते हैं।

इसके अलावा इनके पास चार लंबे और मजबूत पैर होते हैं जिनके निचले सिरे पर जूते से भी अधिक मजबूत सोल होती है जिसे आम भाषा में ‘ खुर्र ‘ कहा जाता हैं। गाय को एक लंबी पूछ होती है जिस के आखिरी छोर पर एक बालों का गुच्छा होता है इनकी पूंछ की लंबाई गाय की लंबाई से थोड़ी ही कम होती है। अपनी पूंछ की सहायता से गाय अपने पर आकर बैठने वाले कीड़े, मकोड़े, मक्खी आदि को भगाने में सक्षम होती है।

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गाय के प्रकार

भारत में गाय की कई किस्में है पाई जाती है जिसमें भारत में मिलने वाली किस्म छोटे आकार की होती है। इनमे गीर, थारपारकर, सहिवाल, करनफ्राई मुख्य है एवं विदेशी नस्लों में जर्सी गाय अधिक पसंद की जाती है। इनकी शारीरिक बनावट भी देसी गाय की नस्लों की तुलना में अधिक बड़ा व भारी होता है।

गाय की उपयोगिता व महत्व

गाय दुधारू पशु होने के साथ ही अन्य अनेकों उपयोगी वस्तुएं भी हमें प्रदान करती है इनका गोबर घर के आंगन में लीपने में उपयोग में लिया जाता है जिसकी खुशबू की वजह से घरों में कीड़े मकोड़े नहीं आते इसके आलवा इनके गोबर का उपयोग कंडे बनाने में भी किया जाता है जिसका उपयोग खाना बनाने एवं इसका धुआ करने से मच्छर भी भाग जाते है।

गऊ मुत्र को पीना भी सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। भारतीय आयुर्वेद के अनुसार इसके सेवन से कई बीमारियां दुर होती है।

गाय से उत्पन्न होने वाली हर एक चीज हमारे लिए उपयोगी होती हैं। यहां तक कि इनके मर्णो उपरांत भी इनकी खाल, हड़ियों से भी अनेकों उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।

भारत में गाय का महत्व

कहा जाता है कि आजादी से पहले हर भारतीय परिवार के पास कम से कम एक गाय जरूर होती थी। ऐसी मान्यता है कि जिसके घर में गाय की उपस्थिति होती है उस घर में भुखमरी नहीं आती।

सनातन संस्कृति में गाय को विशेष महत्व प्रदान किया जाता है। गाय की इतनी खूबियों के कारण ही इसे देवता का दर्जा प्राप्त है।

ऐसी मान्यता है कि गाय के शरीर में 33 करोड़ देवताओं का निवास है इसलिए दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की पूजा की जाती है जिसमें मोर पंखों से उसका श्रृंगार किया जाता है।

गाय को पालने के लिए ज्यादा खर्च की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि गाय सिर्फ हरे और सूखे चारे पर निर्भर रहती है। गाय के गोबर को सुखाकर इंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। जिससे हवा में रहे बैक्टीरिया का नाश होता है।

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पाश्चात्य रिसर्च के अनुसार गाय के पीठ पर 5 मिनट हाथ फेरने से मन प्रसन्न रहता है। प्राचीन भारत में गाय को समृद्धि का प्रतीक माना जाता था और युद्ध के समय सोना चांदी और अन्य आभूषणों के साथ गाय को भी लूट लिया जाता था।

प्राचीन समय में जिस राज्य में जितनी गाय होती थी उसको उतना ही संपन्न माना जाता था। यही कारण है की भगवान कृष्ण ने अपनी ज्यादातर लीलाएँ एक ग्वाले के रूप में की हैं। इसलिए उनका एक नाम गोपाल भी है।

दुर्भाग्य से आज गायों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो रही हैं। शहरीकरण और पाश्चात्य शिक्षा के कारण भारतीयों का एक बड़ा जनसमूह गायों को सिर्फ एक सामान्य पशु के रूप में देखने लगा है।

कई स्थानों पर गाय भूख और प्यास के कारण दम तोड़ देती हैं, कई जगहों पर अन्न की तलाश में वे रोड पर निकल आती हैं तथा एक्सीडेंट से उनकी हानि भी होती है।

सामाजिक परिस्थिति और बौद्धिक ज्ञान की अल्पता के कारण मनुष्य ने गायों को दुत्कारना शुरू कर दिया जिसके वे जहरीले पदार्थ जैसे प्लास्टिक इत्यादि को खाने के लिए मजबूर हो जाती हैं तथा उन्हें तमाम रोगों और मृत्यु का सामना करना पड़ता है।

दुनिया का एक बड़ा तबका अपनी राक्षसी प्रवृत्ति के कारण गायों को मारकर उनका भक्षण करता है। गायों की इस स्थिति के लिए भारतीयों का उनके वास्तविक धर्म और ज्ञान के प्रति विमुखता ही है।

वर्तमान भारतीय सरकार ने गायों के संरक्षण के लिए तमाम कदम उठाए हैं तथा गायों की हत्या करने पर विशेष दंड का प्रावधान बनाया है जिससे गायों की स्थिति कुछ प्रतिशत बेहतर हुई है।

गाय पर 10 लाइन

  1. गाय एक पालतू जानवर है। जिसके नर प्रजाति को बको गाय के नाम से संबोधित किया जाता है।
  2. भारत में 40 से भी ज्यादा नस्लों की गाय पाई जाती हैं जिन्हें उनके दूध देने की क्षमता से पहचाना जाता है।
  3. गाय एक दुधारू पशु है। जिसके दूध को मनुष्य तथा अन्य पालतू जानवरों के लिए बेहतरीन माना जाता है।
  4. भारत में गाय की मुख्य प्रजातियों में गिर, साहिवाल, सुरती और हरियाणवी को शामिल किया जाता है।
  5. गाय के दूध में जरूरी मात्रा में प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम और मिनरल होते हैं जो पोषण के लिए जरूरी होते हैं।
  6. गाय के दूध से दही, छास, पनीर जैसे बहुत से खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं।
  7. सनातन संस्कृति में हर किसी को गाय पालने और गाय की सेवा करने का ज्ञान दिया जाता था।
  8. जहां भैंस का दूध भारी तथा सुशील आने वाला होता है वही गाय का दूध बच्चों में चंचलता बनाए रखता है।
  9. दुनिया के व्यापार का एक बड़ा हिस्सा दूध से जुड़ा हुआ है। जिसमें गाय का दूध भी मुख्य रूप से पसंद किया जाता है।
  10. दुर्भाग्य से आज गायों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो रही हैं।

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उपसंहार –

गाय जैसा अत्यंत शालीनता पूर्ण जानवर हमारे समाज के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जो की हमें पौष्टिक दूध के साथ साथ अन्य उपयोगी चीजें भी देती है जैसे कि गाय के गोबर से कंडे बनाए जाते हैं एवं गाय का गोबर लिपाई पुताई के काम भी लिया जाता है इसके अलावा आयुर्वेद की दृष्टि से गोमूत्र भी हमारे लिए किसी अमृत से कम नहीं माना जाता यह अनेकों बीमारियों का नाश करने वाला होता है।

Credit: Hindi-English Learning

हम सभी बढ़ती आधुनिकता का युग में हमारी पुरानी परंपराओं को भुलाते चला जा रहे है। गाय को पालने की प्रवृत्ति भी लगातार कम होती चली जा रही है। ऐसे हाल में संपूर्ण मानव प्रजाति का यह कर्तव्य है कि हमें गाय के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए गाय के लिए अनेकों गौशालाओं का निर्माण कर वहां उनके लिए उपयुक्त भोजन व पानी की व्यवस्था भी करनी चाहिए जिससे कि गाय यहां वहां लावारिस पशुओं की तरह घूमने पर विवश ना हो एवं रास्तों में पड़े हानिकारक केमिकल युक्त कचड़े और पॉलीथिन को खाकर खुद को हानि ना पहुंचाएं।

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