रागी की खेती कैसे करें? – Ragi Ki Kheti Kaise Karen

Ragi Ki Kheti Kaise Karen: रागी की खेती अनाज के लिए की जाती है, जिसे मोटे अनाज के रूप में भी जाना जाता है। इसे African Ragi, Millet, Maduwa और red millet के नाम से भी जाना जाता है। अकेले भारत में दुनिया के रागी उत्पादन का 58% हिस्सा है। इसके पौधे एक से डेढ़ मीटर लंबे होते हैं और साल भर उपज देते हैं। रागी के बीज में calcium की मात्रा अधिक होने के कारण इसका सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं।

Ragi Ki Kheti Kaise Karen

यह बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए एक अच्छा भोजन है। यह Protein, fiber, fat and carbohydrates के साथ-साथ Thiamine, Niacin और Riboflavin जैसे Acid में उच्च है।ये सभी शारीरिक कार्यों को करने में मदद करते हैं। किसान भाई रागी की खेती करके अधिक लाभ कमा सकते हैं।

उपयुक्त जलवायु, मिट्टी और तापमान

रागी की खेती के लिए organic matter युक्त बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए भूमि में जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि जलभराव वाली भूमि में पौधे नष्ट हो जाएंगे। इसकी खेती में भूमि का Ph. value 5.5और 8 के बीच होना चाहिए। चट्टानी फसल शुष्क और आर्द्र शुष्क जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ती है। इसकी खेती Caribbean मौसम में की जाती है।

इसके पौधे गर्म जलवायु में अच्छी तरह विकसित होते हैं, और इसे ठंडे मौसम से पहले काटा जाना चाहिए। इसकी खेती के लिए सामान्य वर्षा की आवश्यकता होती है। चट्टानी पौधे 35 degree के temperature पर अच्छी तरह विकसित होते हैं। लेकिन इसके बीजों को बीज के अंकुरण के समय 20 से 22 degree temperature की आवश्यकता होती है। इसके पौधे अधिकतम 35 temperature और न्यूनतम 15 degree temperature सहन कर सकते हैं।

रागी की उन्नत किस्में (Ragi Improved Varieties)

जी पी यू 45(GPU 45)-यह रागी बीज बुवाई के 100 दिन बाद उपज के लिए तैयार हो जाता है। इस प्रकार का पौधा हरा होता है। पत्तियां मुड़ जाती हैं और कोई विल्ट नहीं होता है। यह किस्म प्रति हेक्टेयर 30 क्विंटल उपज देती है।

चिलिका(Chile)-  इस किस्म को तैयार होने में 120 से 125 दिन लगते हैं। इस प्रकार की चट्टान को OEB 10 के नाम से भी जाना जाता है। इसके पौधों की ऊंचाई सामान्य से थोड़ी बड़ी होती है, जिसमें पत्तियां ज्यादा चौड़ी होती हैं। यह किस्म 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है।

आर एच 374(RH 374)-आरएच 374 पौधे कम समय में उपज देने लगते हैं। उभरे हुए पौधे तीन फीट से अधिक लंबे होते हैं और उनमें कोई कीट नहीं दिखता है। यह किस्म 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है।

इसके अलावा विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के अनुसार उच्च पैदावार देने के लिए रागी की विभिन्न किस्मों की खेती की जाती है, जैसे:- PR 202, Bhairavi, MR 374, NR 981, KM 65, JNR 852, Akshay और Shuvra आदि।

रोग एवं उनकी रोकथाम

भुरड रोग (liver disease)-झाड़ी रोग उत्पादन के दौरान रागी के पौधों पर हमला करता है। इस प्रकार के रोग पौधों पर कवक के रूप में आक्रमण करते हैं। प्रभावित दानों पर भूरा चूर्ण दिखाई देता है और कुछ समय बाद पौधा सड़ कर नष्ट हो जाता है। रागी के पौधों को इस रोग से बचाने के लिए उचित मात्रा में mangosteen या carbendazim का छिड़काव करें।

जड़ सडन(root rot)-इस प्रकार का रोग पौधों पर ठहरे हुए पानी के दौरान सबसे अधिक पाया जाता है। रोगग्रस्त पौधा शुरू में सड़ने लगता है, जिसके बाद पत्तियां पीली हो जाती हैं और पौधा सड़ जाता है और सड़ जाता है। खेत में रुके हुए पानी की समस्या को दूर कर इस समस्या से बचने के लिए खेत में रुके हुए पानी में Bordeaux mix का छिड़काव करें।

तैयारी और उवर्रक (Preparation and Fertilizer)

रागी के बीज बोने से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए। ऐसा करने के लिए सबसे पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करें। इस प्रकार खेत में पुरानी फसलों के अवशेष पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं। वे खेत जोतेंगे और उसे कुछ देर के लिए खोलेंगे। इसके बाद 12 से 15 गाड़ियाँ प्रति हेक्टेयर पुरानी गोबर को प्राकृतिक खाद के रूप में खेत में डालना चाहिए। खाद को मिट्टी में डालने के बाद अच्छी तरह से जुताई करें ताकि गाय का गोबर खेत की मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाए। इसके बाद हल से खेत में दो से तीन झुकाव बनाए जाते हैं।

रोपाई का सही समय और तरीका क्या है?

रागी के बीज बोने के लिए drilling विधि सबसे उपयुक्त मानी जाती है। यदि छिड़काव करके बीज बोना है तो समतल जमीन पर बीज छिड़कें और फिर हल से हल्के से दो बार हल से खेत को गूंथ लें ताकि बीज मिट्टी में ही रहें। इसे लगभग 3 CM की गहराई पर दफनाया गया है।

फील्ड पंक्तियों को ड्रिलिंग के लिए तैयार किया जाता है, और इन पंक्तियों को एक फुट की दूरी पर रखा जाता है। जिसमें बीज को मशीन द्वारा बोया जाता है, इन बीजों को 15 cm की दूरी पर बोया जाता है। इन बीजों को मिट्टी में 4 से 5 cm की गहराई पर लगाना चाहिए ताकि बीज अच्छे से अंकुरित हो सकें। चट्टानी बीजों को मई से जून तक लगाना चाहिए। इसके अलावा कुछ जगहों पर इसके बीज June के बाद भी लगाए जाते हैं।

सिंचाई (Irrigation)

चट्टानी पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि उनके बीज बरसात के मौसम में बोए जाते हैं और उनके पौधे लंबे समय तक सूखे का सामना कर सकते हैं। यदि वर्षा ऋतु में वर्षा नहीं होती है, तो बुवाई के एक महीने बाद पहली बार बीजों को पानी पिलाया जाता है। इसके बाद जब पौधों में फूल और दाने उग आते हैं, उस समय पौधों को 10 से 15 दिनों के अंतराल पर दो से तीन बार पानी पिलाया जाता है। इससे बीज अच्छी स्थिति में उपलब्ध होते हैं और उत्पादन में वृद्धि होती है।

खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)

प्राकृतिक रूप से खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए रागी के पौधों से खरपतवार निकाले जाते हैं। इसके पौधों को केवल दो या तीन फावड़ियों की जरूरत होती है। इसकी शुरूआती निराई बीज बोने के 20 दिन बाद करनी चाहिए और फिर पहली निराई से 15 दिन के अंतराल पर निराई करनी चाहिए। यदि खरपतवारों को रासायनिक साधनों से नियंत्रित करना है तो बीज बोने से पहले खेत में isoproterenol या Oxyfluorbone का उचित छिड़काव करना चाहिए।

कटाई, पैदावार और लाभ (Harvesting,Yield and Benefits)

रागी की फसल बीज बोने के 110 से 120 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके सिरों को काट कर अलग कर लिया जाता है, खेत में इकट्ठा करके अच्छी तरह सुखा लिया जाता है। इसके बाद अनाज को अलग कर Machine द्वारा बोरियों में भर दिया जाता है।

उपज 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। रागी का बाजार भाव 2700 रुपए प्रति क्विंटल है, जो किसान भाइयों को एक बार इसकी खेती कर 60 हजार रुपए कमा सकता है।

निष्कर्ष

रागी का उपयोग न केवल अनाज खाने के लिए बल्कि कई तरह के उत्पाद बनाने के लिए भी किया जाता है। इसके दानों को पीसकर साधारण Bread, double bread और dosa के आटे से बनाया जाता है। शराब बनाने के लिए चट्टानी अनाज को उबालकर खाया जा सकता है।

तो दोस्तों हमने रागी की खेती (ragi Farming) कैसे करें की सम्पूर्ण जानकारी आपको इस लेख से देने की कोशिश की है उम्मीद है आपको यह लेख पसंद आया होगा अगर आपको हमारी पोस्ट अच्छी लगी हो तो प्लीज कमेंट सेक्शन में हमें बताएँ और अपने दोस्तों के साथ शेयर भी करें। Thanks for reading          

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