परिश्रम पर निबंध – Parishram Ka Mahatva Essay in hindi

Parishram Ka Mahatva Essay in hindi: हेलो स्टूडेंट, हम आपको इस आर्टिकल मे परिश्रम पर निबंध बताया गया है | पोस्ट अंत तक पढ़े |

Parishram Ka Mahatva Essay in hindi


प्रस्तावना

अगर हम जीवन में सफलता और खुशी चाहते हैं, तो इसका हमारे पास एकमात्र तरीका है परिश्रम करना। परिश्रम से संबंधित भर्तृहरि जी ने एक श्लोक कहा है।
उद्यमें नहि सिध्यंति
कार्याणि ना मनोरथि
न हीं सुप्तस्य सिंहस्य
प्रविशांति मुखे मृगा
इसका मतलब है सिर्फ मन में कामना कर लेने भर से कोई कार्य संपन्न नहीं हो जाता है। उसके लिए हमें कठिन परिश्रम करना पड़ता है। ठीक उसी तरह जैसे सोते हुए शेर के मुख में हिरण खुद नहीं आ जाता।Parishram Ka Mahatva Essay in hindi

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परिश्रम का महत्व


देखा जाए तो परीक्षण को कुछ ही शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है क्योंकि किसी व्यक्ति के जीवन में परिश्रम है अर्थात वह परिश्रम करने से नहीं डरता तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। वह हर असंभव काम को संभव बना सकता है। इसीलिए कहा जाता है कि दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है। जरूरी है तो हमारा परिश्रम करना।
इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि जो इंसान अधिक परिश्रम करता है। वह जिंदगी में सब कुछ पा सकता है उसके लिए कोई भी सीमा बाधित नहीं है।
परिश्रम से सिर्फ धनसंपदा की प्राप्ति नहीं होती बल्कि साथ में यश कीर्ति सुख और आनंद की भी प्राप्ति होती है। इसी के साथ परिश्रमी व्यक्ति सिर्फ अपना ही भला नहीं करता है बल्कि अपने साथ-साथ समाज और देश का भी भला करता है।
मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। हर प्राणी के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। इस संसार में कोई भी प्राणी काम किये बिना नहीं रह सकता है। प्रकृति का कण-कण बने हुए नियमों से अपना-अपना काम करता है। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है| सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है।वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं। कीड़े, पशु, पक्षी अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते हैं। ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो सकें। जो पुरुष दृढ प्रतिज्ञ होते हैं उनके लिए विश्व का कोई भी कार्य कठिन नहीं होता है। वास्तव में बिना श्रम के मानव जीवन की गाड़ी चल नहीं सकती है। श्रम से ही उन्नति और विकास का मार्ग खुल सकता है। परिश्रम और प्रयास की बहुत महिमा होती है। अगर मनुष्य परिश्रम नहीं करता तो आज संसार में कुछ भी नहीं होता। आज संसार ने जो इतनी उन्नति की है वह सब परिश्रम का ही परिणाम है।परिश्रम और भाग्य : कुछ लोग परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। ऐसे लोग केवल भाग्य पर ही निर्भर होते हैं। वे भाग्य के सहारे जीवन जीते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि भाग्य जीवन में आलस्य को जन्म देता है और आलस्य जीवन मनुष्य के लिए एक अभिशाप की तरह होता है। वे लोग यह समझते हैं कि जो हमारे भाग्य में होगा वह हमें अवश्य मिलेगा। वे परिश्रम करना व्यर्थ समझते हैं।भाग्य का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है लेकिन आलसी बनकर बैठे हुए असफलता के लिए भगवान को कोसना ठीक बात नहीं है। आलसी व्यक्ति हमेशा दूसरों के भरोसे पर जीवन यापन करता है। वह अपने हर काम को भाग्य पर छोड़ देता है। हमारे इसी भाव की वजह से भारत देश ने कई वर्षों तक गुलामी की थी। परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।Parishram Ka Mahatva Essay in hindi


परिश्रम का वास्तविक स्वरूप


देखा जाए तो, हम सब इसी उलझन में रहते हैं कि आखिर परिश्रम का वास्तविक स्वरूप क्या है? किसी को अपने जीवन में कब परिश्रम करना चाहिए? इसका सही समय क्या होना चाहिए? इत्यादि उलझनों में हम घेरे रहते हैं।
परिश्रम का वास्तविक स्वरूप यह है कि हमें बिना फल के कर्म करते रहना चाहिए। भगवान कृष्ण ने भी गीता में यही कहा था कि कर्म करते रहो फल की इच्छा ना करो। अगर आपको कुछ भी चाहिए तो आप उसके लिए परिश्रम करते रहिए। कभी ना कभी वह आपको जरूर हासिल होगा।


परिश्रम के लाभ


सब लोग यही चाहते हैं, कि हमें सफलता पाने का कोई भी आसान सा तरीका मिल जाए। लेकिन सफलता सिर्फ परिश्रम से ही पाई जा सकती है। इसीलिए आपको निरंतर परिश्रम करते रहना चाहिए।
आजकल के लोगों का रहन सहन बहुत ही आरामदायक हो गया है। जिससे लोग आलसी स्वभाव के बन गए हैं। लेकिन युवाओं को यह समझाना चाहिए कि परिश्रम के बिना सफलता नहीं मिलती है।

परिश्रम से होने वाले कुछ लाभ निम्नलिखित हैं।

नई चीजें सीखते हैं।
हमें पता है आज कल का जो दौर है, वह प्रतिस्पर्धा का दौर है। आए दिन हर कार्य में यहां पर दौड़ लगी हुई है। अगर हम मेहनत करके वह चीज सीख लेते हैं, तो हमें भी नई चीज़ सीखने को मिलती है। ऐसे
में कोई भी व्यक्ति किसी जगह पर तभी तक स्थाई रह सकता है जब तक वह उस जगह के लायक होगा। इसके लिए जरूरी है, कि वह खुद को हमेशा और बेहतर बनाने की कोशिश करता रहे खुद में नए बदलाव लाने के लिए और वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए जरूरी है कि हम परिश्रम करने के लिए तैयार रहे।


परिश्रम और भाग्य

क्या भाग्य ही सब कुछ है? क्या भाग्य के आगे परिश्रम का कोई महत्व नही है? कई लोगो द्वारा भाग्य को ही सब कुछ मान लिया जाता है और उसे ही अत्याधिक महत्व देते हैl
ऐसे लोग भाग्य पर निर्भर होने के कारण जीवन में बड़ा हासिल नही कर पाते और भाग्य के सहारे ही जीवन जीते है और आलस का दामन थाम लेते है जबकि परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

परिश्रम के उदाहरण


अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहिम लिकंन ने एक गरीब मजदूर परिवार में जन्म लिया, बचपन में ही वो अनाथ हो गये लेकिन परिश्रम के बल पर एक झोंपड़ी से निकलकर अमेरिका के राष्ट्रपति भवन तक का सफर पूरा किया ।
वर्तमान भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का भी बचपन संघर्ष में रहा लेकिन परिश्रम के बल पर आज देश के प्रधानमंत्री बने और विश्व में अपने भारत देश की अलग पहचान बनवाई l इनके संघर्षों से सिख लेनी चाहिए, और खूब मेहनत करके अपने जीवन को अच्छा बनाना चाहिए।
स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले लाल बहादुर शास्त्री, महात्मा गाँधी और सुभाष चन्द्र जैसे महापुरुषों ने अपने परिश्रम के बल पर भारत को स्वतंत्रता दिलवाई थी l
डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी भी अपने परिश्रम के दम पर ही राष्ट्रपति बने थे।

परिश्रम के लाभ

परिश्रम से मनुष्य के जीवन में अनेक लाभ होते हैं। मनुष्य द्वारा किये गये परिश्रम से सभी कार्य संपन्न होते है l परिश्रमी व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है साथ ही उनका शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है एवं परिश्रम करने से मनुष्य का शरीर रोगों से मुक्त रहता है। परिश्रम से ही जीवन में विजय और धन दोनों ही पाए जा सकते है।
भाग्य के भरोसे रहने वाले लोग जीवन में बस भाग्य तक ही सीमित रह जाते है और जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते। भाग्य के भरोसे रहने के कारण इन लोगो में आलस्य पैदा हो ज्यादा है जो उनको कभी भी आगे नहीं बढ़ने देता है।
ईश्वर ने ये जीवन परिश्रम करने के लिए बनाया है। यही एक ऐसी पूंजी है जो किसी की भी दुनिया बदल सकती है। ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो सकें।
परिश्रम करने से किसी भी ब्यक्ति की उन्नति और विकास पूरी तरह से होता है। परिश्रम से ही विकास की रचना होती है। जिन व्यक्तियों के जीवन में आलस भरा होता है वे कभी भी जीवन में उन्नति नहीं कर सकते हैं। परिश्रमी व्यक्ति ही अपने राष्ट्र और देश को ऊँचा उठाने के लिए काम करते रहते है।Parishram Ka Mahatva Essay in hindi

आलस्य से हानियाँ


जीवन में आलस्य से जीवन अभिशाप बन जाता है। आलसी व्यक्ति दुसरो पर निर्भर हो जाता है और खुद से प्रयास नही करता
आलस ही असफलता का कारण होता है, जो व्यक्ति आलसी हो जाता है उसका विकास रुक जाता है और सफलता पाना उसके लिए नमुमकिन हो जाता हैl जबकि परिश्रमी व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता हैl विद्यार्थी को परिश्रम करना चाहिए जिससे वह परीक्षा में सफल होकर जीवन में भी सफल हो सके।
इस प्रकार परिश्रम का हमारे जीवन में एक विशेष महत्व है इसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है l मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है, कवि और लेखकों ने परिश्रम के बल पर अपनी रचनाओं से देश को मंत्रमुग्ध किया है।
जो लोग परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार, और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो हमें भाग्य पर निर्भर होना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। यही हमारे जीवन के लिए सबसे अच्छा है। जीवन में ऐसा कोई भी कार्य नही है जिसे परिश्रम के द्वारा न किया जा सकेl

source:
Silent Course

निष्कर्ष

इस परिश्रम पर निबंध पर आपने जाना की कड़ी मेहनत और लगन से हमें क्या लाभ है। साथ ही परिश्रम के लाभ, हानी और उदाहरण भी हमने बताए।

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