नाभिकीय बल (Nuclear force in hindi):-
नाभिक के अन्दर न्यूक्लिओन्स के मध्य लगने वाले बल को नाभिकीय बल कहते है। इसकी विशेषता निम्न है –
1. यह बल आकर्षण का होता है।
2. यह बल प्रकृति में सबसे अधिक प्रबल है।
3. इसकी परास बहुत कम लगभग 10-14 मीटर होती है अतः यह बल नाभिक के अन्दर ही लगता है।
4. यह बल आवेश पर निर्भर नहीं करता। अतः न्यूट्राॅन-न्यूट्रान, न्यूट्राॅन-प्रोट्रान, प्रोट्राॅन-प्रोट्राॅन, के मध्य समान रूप से लगता है।
5. यदि नाभिकीय कणों के बीच की दूरी 8 फेक्टोमीटर (Fm) के बराबर है तो बल का मान अधिकतम होता है दूरी इससे कम होने पर प्रतिकर्षण का बल लगता है और दूरी इससे अधिक बढ़ने पर तेजी से घटकर शून्य हो जाता है।
रेडियो एक्टिवता (Radio activation) :-
रेडियोएक्टिवता (Radioactivity) की खोज हेनरी बेकरल वैज्ञानिक ने की। कुछ बड़े नाभिक स्वतः ही विघटित होकर विकिरण निकालते रहते है और अन्य नाभिक में विघटित होते रहते है। इस घटना को रेडियोऐक्टिवता कहते है और पदार्थों को रेडियोऐक्टिवता पदार्थ कहते है। रेडियो एक्टिवता की घटना में निम्न विकिरण निकलते है।
1. α-विकिरण- ये हीलियम के नाभिक होते है।
2. β–-इलेक्ट्रान तथा β+ प्रोजिट्रान होता है।
3. y (गामा) किरणे जिनके प्रोट्राॅन की ऊर्जा कुछ Kev होती है। निकलती है।
Remark:
दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर solution प्रदान करेंगे|