Lipi Kise Kahate Hain

Lipi Kise Kahate Hain: हेलो स्टूडेंट्स, आज हमने यहां पर लिपि की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण (Lipi in hindi) के बारे में विस्तार से बताया है। यह हर कक्षा की परीक्षा में पूछा जाने वाले यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।

Lipi Kise Kahate Hain

बोलते समय हमारे मुख से ध्वनियाँ निकलती हैं . इन ध्वनियों को लिखने के लिए प्रयोग किए जाने वाले चिन्हों को लिपि कहते हैं.

लिपि का अर्थ है: किसी भाषा की लेखन शैली अथवा ढंग. दूसरे शब्दों में- एक भाषा को लिखने के लिए जिन चिन्हों का उपयोग किया जाता है उसे लिपि कहते हैं .

जैसे हिंदी भाषा को लिखने के लिए देवनागरी लिपि का प्रयोग किया जाता है वही अंग्रेजी को लिखने के लिए रोमन लिपि का प्रयोग किया जाता है .

Lipi ki Paribhasha

किसी भी भाषा की लिखावट या लिखने के ढंग को ही लिपि कहते हैं।

सरल शब्दों में समझे तो, हर भाषा को बोलने के लिए हमें ध्वनि की जरूरत पड़ती है और इन्हीं ध्वनि को चिह्न के माध्यम से अभिव्यक्त करना ही लिपि कहलाता है। जैसे कि :-

  • हिंदी भाषा – देवनागरी लिपि
  • संस्कृत – देवनागरी
  • नेपाली – देवनागरी

लिपि के प्रकार

  1. चित्र लिपियां
  2. अल्फाबेटिक लिपियां
  3. अल्फासिलेबिक लीपियां

चित्र लिपि

चित्र लिपि के जरिये लोग अपने भावों और अपने विचारों को चित्र के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं, चित्र लिपि के तीन प्रकार हैं।

  • चीनी लिपि: चीनी
  • प्राचीन मिस्त्री लिपी: प्राचीन मिस्त्री
  • कांजी लिपि: जापानी

अल्फाबेटिक लिपियाँ

इसमें स्वर अपने पूरे अक्षर का रूप लिये व्यंजन के बाद आते हैं।

  • लैटिन लिपि(रोमन लिपि) :— अंग्रेज़ी , फ्रांसिसी , जर्मन , कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग और पश्चिमी एवं मध्य यूरोप की सारी भाषाएँ
  • यूनानी लिपि :— यूनानी भाषा , कुछ गणितीय चिन्ह
  • अरबी लिपि :— अरबी , उर्दू , फ़ारसी, कश्मीरी
  • इब्रानी लिपि :— इब्रानी

अल्फासिलेबिक लिपि

अल्फासिलेबिक लिपि के अनुसार इसकी प्रत्येक इकाई में अगर एक या एक से अधिक व्यंजन होता है तो उस पर स्वर की मात्रा का चिन्ह लगाया जाता है। अगर इकाई में व्यंजन नही होता है तो स्वर का पूरा चिन्ह लगा दिया जाता है अल्फासिलेबिक लिपियों के प्रकार निम्न हैं:

  • देवनागरी लिपि: नेपाली, संस्कृत, मराठी
  • ब्राह्मी लिपि: पहले के समय मे संस्कृत और पाली
  • गुजराती लिपि: गुजराती
  • बंगाली लिपि: बंगला
  • तमिल लिपि: तमिल

ब्रेल लिपि का इतिहास

यह लिपि मुख्य रूप से नेत्रहीन लोगों के लिए होती है। ब्रेल लिपि द्वारा दृष्टि बाधित लोगों को पढ़ने में आसानी होती है। यह लिपि छह बिंदुओं पर आधारित होती है।

दृष्टिहीन लोग अपनी उंगलियों के सहारे उभरे हुए बिंदुओं को महसूस करते हैं और उसे समझते हैं। यह अन्य भाषाओं की भांति नहीं होती। यह अंग्रेजी या हिंदी भाषा नहीं होती बल्कि सभी भाषाओं का समग्र रूप होती है। यह लिपि उंगली के स्पर्श से पढ़ी जाती है।

इसकी खोज लुइस ब्रेल नामक व्यक्ति ने की थी। काफी समय तक इस लिपि का इस्तेमाल सेना द्वारा भी किया जाता था। यह लिपि अंधेरे में भी कारगर होती है।

इसे भी पढ़े:

Credit: simple learning in my style

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top