जब किसी परिपथ में प्रतिरोध (R) तथा प्रेरकत्व (L) जुड़े हुए हो और इसमें कोई प्रत्यावर्ती स्रोत जुड़ा हुआ हो तो इस प्रकार बने परिपथ को LR परिपथ कहते है।
यहाँ हम ज्ञात करेंगे की इस परिपथ में वोल्टता तथा धारा के मध्य कला में क्या सम्बन्ध होगा तथा साथ ही इस परिपथ के लिए वोल्टता तथा धारा के मध्य फेजर डायग्राम भी आरेखित करेंगे।
![](https://2.bp.blogspot.com/-7xU4s5_UdLY/WrMj-qI1_pI/AAAAAAAAAW8/-KdkbKad3pIVyCUBsWDlhQ6pH0L0CmS9wCLcBGAs/s320/ind67.gif)
प्रत्यावर्ती स्रोत को चालू करने से प्रतिरोध R के सिरों पर तथा प्रेरकत्व के सिरों पर विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है , माना प्रतिरोध के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर का मान VR है तथा प्रेरकत्व के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर VL है।
हम पढ़ चुके है की जब प्रतिरोध परिपथ में अकेला लगा हो तो प्रत्यावर्ती धारा तथा विभवान्तर समान कला में रहते है।
तथा जब प्रेरकत्व परिपथ में अकेला लगा हो तो विभवान्तर धारा से कला में π/2 आगे रहता है।
माना प्रत्यावर्ती धारा I = I0sinwt है।
प्रतिरोध के सिरों के मध्य विभवान्तर VR
= V0sinwt है।
तथा प्रेरकत्व के सिरों के मध्य विभवान्तर VL
= V0sin(wt + π/2 ) है।
इन तीनो मानो को जब सदिश आरेख पर प्रदर्शित करेंगे तो यह निम्न प्रकार प्राप्त होगा
![](https://3.bp.blogspot.com/-IIMFrBpI8XI/WrMn6PVnAHI/AAAAAAAAAXI/Hjqn5xJZhaA3FzmXTSJbtCSnDyiXrmTiwCLcBGAs/s1600/ind67%2B%25281%2529.gif)
यहाँ परिणामी V का मान निम्न होगा तथा इससे प्रतिरोध तथा प्रेरकत्व के सिरों के मध्य उत्पन्न विभवान्तर का मान निम्न प्रकार ज्ञात किया जाता है
![](https://3.bp.blogspot.com/-cTBMO8yFTx0/WrMpdJySl5I/AAAAAAAAAXU/BzM2CIS3X7EkqvJXIqIUqvILkTH5ZyM1wCLcBGAs/s320/ind68.gif)
परिपथ में आरोपित प्रत्यावर्ती स्रोत का विद्युत वाहक बल तथा धारा का मान निम्न होगा
![](https://1.bp.blogspot.com/-1jmLHAB7a5k/WrMp27-OriI/AAAAAAAAAXY/fn48Y0jfKfgzjheRTZU31lO318F1xMKSACLcBGAs/s1600/ind68.gif)
LR प्रत्यावर्ती धारा स्रोत में हम कह सकते है की यहाँ परिणामी विभवान्तर V , धारा I से कला में आगे है।
Remark:
दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर solution प्रदान करेंगे|