Karak Kise Kahate Hain: हेलो स्टूडेंट्स, आज हमने यहां पर कारक की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण ( Karak in hindi) के बारे में विस्तार से बताया है। यह हर कक्षा की परीक्षा में पूछा जाने वाले यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।
Karak Kise Kahate Hain
वाक्य में प्रयुक्त वह शब्द जिसका क्रिया के साथ प्रत्यक्ष संबंध स्थापित होता है उसे कारक कहते हैं। कारक शब्द ‘कृ’ धातु में ‘अक’ प्रत्यय के जुड़ने से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ ‘करने वाला’ होता है। हिंदी व्याकरण में 8 कारक होते हैं, जिन्हें मूल शब्द से अलग करके कारक विभक्ति या कारक चिह्न के रूप में लिखा जाता है।
कारक की परिभाषा
कारक का अर्थ होता है किसी कार्य को करने वाला। यानी जो भी क्रिया को करने में भूमिका निभाता है, वह कारक कहलाता है।
कारक के उदाहरण
- रमेश ने फल काटा।
- सुरेश ने दौड़ लगाई।
- अनिल साईकिल चला रहा है।
- मैंने स्नान किया।
- राम ने रावण को मारा।
कारक के भेद
कारक के मुख्य रूप से 8 भेद होते हैं, जो निम्न है:
- कर्ता कारक
- कर्म कारक
- करण कारक
- सम्प्रदान कारक
- अपादान कारक
- सम्बन्ध कारक
- अधिकरण कारक
- संबोधन कारक
कारक के चिन्ह
कारक | चिह्न | अर्थ |
कर्ता | ने | कार्य करने वाला |
कर्म | को | कार्य का जिस पर प्रभाव पड़े |
करण | से, के | कर्ता जिसके द्वारा कार्य करे |
सम्प्रदान | के लिए, को | क्रिया जिसके लिए की जाए |
अपादान | से (अलग होने के लिए) | जिससे अलग हो |
सम्बन्ध | का, के, की, ना, ने, नो, रा, रे, री | सम्बन्ध के लिए |
अधिकरण | भीतर अंदर, ऊपर, बीच | आधार (क्रिया का) |
संबोधन | हे!, अरे!, अजी! | बुलाना या पुकारना |
कर्ता कारक
जिस शब्द से क्रिया को करने का पता चलता है. उस उसे कर्ता कारक कहते हैं. और यह हमेशा सर्वनाम या संख्या होता है इसका संबंध क्रिया से होता है उदाहरण के लिए जैसे
उदाहरण :-
- मोहित ने पानी पिया
- सोहन ने दूध पिया
कर्म कारक
जिस क्रिया के कर्ता का फल पड़ने का पता कराने संज्ञा सर्वनाम को के रूप को कर्म कारक कहते है. इसका विभक्ति चिन्ह ‘को’ है.उदाहरण के लिए जैसे
उदाहरण :-
- राम ने रावण को मारा
- ने रावण को मारा
- माता जी बालक को समझती है
यहाँ मारने की क्रिया का फल रावण पर पड़ा है. यानी जिसके ऊपर कोई भी बात आती हो वह कर्म कारक कहलाता है. यहां पर रावण के ऊपर राम के मारने का रूप दर्शाया गया है.
करण कारक
जिस चीज के द्वारा काम संपन्न होता होगी या काम पूर्ण होता हुआ उसे करण कारक कहते हैं.यानी जिस चीज के द्वारा पता चले कि यह काम किस चीज से पूरा हुआ है. किसके द्वारा पूरा किया गया है उसे करण कारक कहते हैं..उदाहरण के लिए जैसे
उदाहरण :-
- बच्चा ठंड के द्वारा कांप रहा था
- राम ने बाण से बालि को मारा
सम्प्रदान कारक
इस कार्य को दर्शाने के लिए को या के लिए जिन्हें प्रयोग में लिया जाता है.यानी संप्रदान कारक का सीधा अर्थ है या तो किसी को कुछ दिया जाए या किसी के लिए कुछ किया जाए. इन दोनों बातों का बोध जिस भी चीज में होता है. वह संप्रदान कारक कहलाता है. यानि जिसे कुछ दिया जाए या जिसके लिए कुछ किया जाए उसका बोध कराने वाले संज्ञा के रुप को सम्प्रदान कारक कहते है. इसका विभक्ति चिन्ह ‘के लिए’ या ‘को’ है. उदाहरण के लिए जैसे
उदाहरण :-
- यह पुस्तक सीता को दे दी
- अध्यापक विद्यार्थियों के लिए पुस्तके लाया
अपादान कारक
संज्ञा के जिस रूप से किसी भी चीज के अलग होने का भाव उत्पन्न हो या बोध हो उसे अपादान कारक कहते हैं. इसका विभक्ति चिन्ह से है वैसे तो विभक्ति चिन्ह से करण कारक का भी चिन्ह है. लेकिन इस कारक में से का अर्थ किसी चीज को अलग करना होगा. उदाहरण के लिए जैसे
उदाहरण :- पेड़ से पत्ता नीचे गिर गया
सम्बन्ध कारक
जैसा की आपको इस कारक के नाम से ही पता चल रहा है. कि यह किसी के संबंध को बता रहा है. यानी संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से किसी वाक्य या किसी दूसरी चीज का आपस में संबंध प्रकट हो उसे संबंध कारक कहते हैं.इस कारक के चिन्ह है. का, के, की, ना, ने, नो, रा, रे, री आदि है. उदाहरण के लिए जैसे
उदाहरण :-
- यह कुत्ता राम का है
- यह मोहन का घर है
अधिकरण कारक
इस कारक में समय, स्थान या किसी अवसर आदि का बोध होता है, यानि किसी संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से किसी क्रिया के आधार का बोध हो उसे अधिकरण कारक कहते हैं. इसका विभक्ति चिह्न ‘का’, ‘के’, ‘की’ है उदाहरण के लिए जैसे
उदाहरण :-
- जब मैं कमरे में गया तो कमरे में अंधेरा था
- वीर सैनिक युद्धभूमि में मार गया
सम्बोधन कारक
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से किरिया को किसी के संबोधन का बोध हो उसे संबोधन कारक कहते हैं. जैसे कि किसी को पुकारा बुलाया जाए. इसमें ‘हे’, ‘अरे’ का प्रयोग किया जाता है.उदाहरण के लिए जैसे
उदाहरण :-
- हे अर्जुन तुम्हें यह कार्य करना चाहिए
- हे ईश्वर हमारी रक्षा करो
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