Jwar Bhata Kise Kahate Hain

Jwar Bhata Kise Kahate Hain:हेलो स्टूडेंट्स, आज हमने यहां पर ज्वार भाटा की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण के बारे में विस्तार से बताया है।Jwar Bhata Kise Kahate Hain यह हर कक्षा की परीक्षा में पूछा जाने वाले यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।

Jwar Bhata Kise Kahate Hain

ज्वार भाटा एक प्रकार की सागरीय तरंगें है जो सूरज, चन्द्रमा और पृथ्वी के आपसी आकर्षण के कारण उत्पन्न होती है।Jwar Bhata Kise Kahate Hain ज्वार भाटा दो अलग अलग शब्द है।Jwar Bhata Kise Kahate Hain जब सागर का पानी चन्द्रमा या सूरज की आकर्षण शक्ति के कारण ऊपर आता है तो उसे ज्वार कहते है और जब यह पानी नीचे जाता है तो इसे भाटा कहा जाता है।

ज्वार-भाटे तब बनते हैं जब समुद्र या समुद्र का ज्वार चट्टानी तटीय क्षेत्रों से दरारें और छिद्रों को पीछे छोड़ते हुए समुद्र के पानी में चला जाता है। शेष पानी जब ज्वार बाहर निकलता है तो तटीय चट्टानी दरारों के साथ उथले या गहरे ताल की एक श्रृंखला बनाता हैJwar Bhata Kise Kahate Hain। जब उच्च ज्वार के दौरान समुद्र या समुद्र का पानी बढ़ जाता है, तो ज्वारीय पूल फिर से भर जाते हैं, जो एक निरंतर चक्र है।

ज्वार के कुंडों में पीछे छोड़ दिया गया समुद्री जीवन कठोर परिस्थितियों के संपर्क में आता है। मछली और अकशेरुकी के पीछे छोड़ दिया भी शिकारियों द्वारा शिकार हो। Jwar Bhata Kise Kahate Hainइसलिए शोधकर्ताओं ने स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूट के अनुसार, समुद्र और समुद्र में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी समुद्री निवास के रूप में ज्वार पूल का वर्णन किया।

ज्वार की उत्पत्ति कैसे होती हैं

  • ज्वार भाटा आसानी से मापे जा सकते हैं। Jwar Bhata Kise Kahate Hainपृथ्वी के महासागरीय जल के ज्वार की उत्पत्ति चंद्रमा तथा सूर्य के आकर्षण बलों द्वारा होती हैं।
  • पृथ्वी का व्यास 12,800 किलोमीटर है जिससे पृथ्वी की सतह पृथ्वी के केंद्र की तुलना में चंद्रमा से ज्यादा नजदीक हैं।
  • चंद्रमा के सामने वाले भाग पर चंद्रमा की आकर्षण शक्ति का सबसे अधिक प्रभाव होता हैJwar Bhata Kise Kahate Hain और उसके पीछे वाले भाग पर सबसे कम।
  • जिसके कारण चंद्रमा के सामने पृथ्वी का जल उपर खींच जाता है जिस कारण निम्न ज्वार उत्पन्न होता हैं।
  • इसके कारण 24 घंटे में प्रत्येक स्थान पर दो बार ज्वार और दो बार भाटा आता Jwar Bhata Kise Kahate Hainहैं।
  • वैसे ही जब सूर्य और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं तो दोनों की आकर्षण शक्ति मिलकर एक साथ काम करती है।
  • तब उच्च ज्वार उत्पन्न होता है।Jwar Bhata Kise Kahate Hain यह स्थिति सिजगी कहलाती है यह स्थिति पूर्णमासी या अमावस्या को होती हैं।
  • इसके उल्टा जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा मिलकर समकोण बनाते हैं Jwar Bhata Kise Kahate Hainतो सूर्य तथा चंद्रमा के आकर्षण बल एक दूसरे से उल्टा काम करते हैं।
  • जिसके कारण निम्न ज्वार उत्पन्न होता है। यह स्थिति प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की अष्टमी को होती हैं।

ज्वार-भाटा के प्रकार

  1. दीर्घ अथवा उच्च ज्वार (SPRING TIDE)
  2. लघु या निम्न ज्वार (NEAP TIDE)
  3. दैनिक ज्वार (DIURNAL TIDE)
  4. अर्द्ध-दैनिक ज्वार (SEMI-DIURNAL)
  5. मिश्रित ज्वार (MIXED TIDE)

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अयनवृत्तीय और विषुवत रेखीय ज्वार

दीर्घ अथवा उच्च ज्वार (SPRING TIDE)-

 अमावस्या और पूर्णिमा के दिन सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी तीनों में एक सीध में होते होते हैंJwar Bhata Kise Kahate Hain। इन तिथियों में सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी के संयुक्त प्रभाव के कारण ज्वार की ऊँचाई सामान्य ज्वार से 20% अधिक होती है। इसे वृहद् ज्वार या उच्च ज्वार कहते हैं।

लघु या निम्न ज्वार (NEAP TIDE)-

शुक्ल या कृष्ण पक्ष की सप्तमी या अष्टमी को सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी के केंद्र पर समकोण बनाते हैंJwar Bhata Kise Kahate Hain। इस कारण सूर्य और चंद्रमा दोनों ही पृथ्वी के जल को भिन्न दिशाओं में आकर्षित करते हैं। इस समय उत्पन्न ज्वार औसत से 20% कम ऊँचे होते हैं। इसे लघु या निम्न ज्वार कहते हैं।

दैनिक ज्वार (DIURNAL TIDE)-

स्थान पर दिन में केवल एक बार ज्वार-भाटा आता है, तो उसे दैनिक ज्वार-भाटा कहते हैंJwar Bhata Kise Kahate Hain। दैनिक ज्वार 24 घंटे 52 मिनट के बाद आते हैं। मैक्सिको की खाड़ी और फिलीपाइन द्वीप समूह में दैनिक ज्वार आते हैं।

अर्द्ध-दैनिक ज्वार (SEMI-DIURNAL)-

जब किसी स्थान पर दिन में दो बार (12 घंटे 26 मिनट में) ज्वार-भाटा आता है, तो इसे अर्द्ध-दैनिक ज्वार कहते हैं।Jwar Bhata Kise Kahate Hain ताहिती द्वीप और ब्रिटिश द्वीप समूह में अर्द्ध-दैनिक ज्वार आते हैं।

मिश्रित ज्वार (MIXED TIDE)-

जब समुद्र में दैनिक और अर्द्ध दैनिक दोनों प्रकार के ज्वार-भाटा का अनुभव लेता है, तो उसे मिश्रित ज्वार-भाटा कहते हैं।

अयनवृत्तीय और विषुवत रेखीय ज्वार– चंद्रमा के झुकाव के कारण जब इसकी किरणें कर्क या मकर रेखा पर सीधी पड़ती हैं, जो उस समय आने-वाले ज्वार को अयनवृत्तीय कहते हैं। इस अवस्था में ज्वार और भाटे की ऊँचाई में असमानता होती है।Jwar Bhata Kise Kahate Hain जब चाँद की किरणें विषुवत रेखा पर लम्बवत पड़ती है तो उस समय जवार-भाटे की स्थिति में असमानता आ जाती है। ऐसी अवस्था में आने वाले ज्वार को विषुवत रेखीय ज्वार कहते हैं।

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समुद्री ज्वार

महासागर या समुद्री ज्वार पृथ्वी के घूमने के कारण और तटीय संस्थान के अनुसार पृथ्वी पर चंद्रमा के मजबूत गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण होते हैं। चूंकि पानी एक तरल है जो चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल पर आसानी से प्रतिक्रिया करता है।

ज्वार का बल, पृथ्वी के उस तरफ सबसे मजबूत है जो चंद्रमा का सामना कर रहा है। लेकिन चंद्रमा से पृथ्वी के विपरीत तरफ, ज्वार कमजोर है। गुरुत्वाकर्षण बलों में यह अंतर एक ही समय में समुद्र के पानी के दो स्थानों पर बढ़ने के परिणामस्वरूप होता है। Jwar Bhata Kise Kahate Hainउच्च समुद्र या महासागर का ज्वार चंद्रमा की ओर पृथ्वी की ओर होता है, और निम्न ज्वार पृथ्वी के विपरीत तरफ होता है जो चंद्रमा से दूर होता है।Jwar Bhata Kise Kahate Hain यह कम ज्वार समुद्र या समुद्र के तटों पर बनने वाले ज्वार पूलों की एक श्रृंखला का कारण बनता है।

टाइड पूल जोन

समुद्र या महासागर की तरह, एक ज्वार पूल में विभिन्न गहराई के क्षेत्र हैं।Jwar Bhata Kise Kahate Hain ये स्प्लैश, इंटरटाइडल और सब-टाइडल ज़ोन हैं, जिनमें से प्रत्येक में समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की बदलती घनत्व हैं।

छप क्षेत्र

शीर्ष पर छप क्षेत्र समुद्री जीवन के लिए सबसे कठोर है।Jwar Bhata Kise Kahate Hain वहां मौजूद एकमात्र पानी में समुद्र या समुद्र के पानी से होने वाली बेढब धुंध या गश है। सूरज निकलने के कारण स्प्लैश ज़ोन बेहद गर्म है, और लगातार वाष्पीकरण के कारण बहुत नमकीन है। नतीजतन, कुछ शैवाल और छिटपुट बार्नकल आर्थ्रोपोड्स की तरह इस पर बहुत कम समुद्री जीवन है।

अंतर्ज्वारिय क्षेत्र

स्प्लैश ज़ोन के नीचे इंटरटाइडल ज़ोन होता है जिसमें समुद्री जीवन अधिक होता है।Jwar Bhata Kise Kahate Hain इंटरटाइडल ज़ोन में उच्च, मध्य और निम्न इंटरटाइडल ज़ोन होते हैंJwar Bhata Kise Kahate Hain जो प्रतिदिन ज्वार की अलग-अलग ताकत द्वारा बनाए जाते हैं। स्पलैश ज़ोन के तहत उच्च इंटरटाइडल ज़ोन केवल उच्चतम ज्वार के दौरान पानी द्वारा कवर किया जाता है। इस क्षेत्र में घोंघे, बार्नाकल, केकड़े और एनामोन फूल दिखाई देने लगते हैं। मध्य से निम्न अंतर्दाह तक अधिक पानी, भोजन और आश्रय है, और समुद्री की विविधता और मात्रा बढ़ जाती है। इन क्षेत्रों में, केकड़े, समुद्री तारे, एनीमोन और घोंघे मध्य से निम्न अंतःस्थलीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

उप-ज्वारीय क्षेत्र

उप-ज्वारीय क्षेत्र सबसे गहरा और अंतिम क्षेत्र है और यहां पानी हमेशा मौजूद रहता हैJwar Bhata Kise Kahate Hain। इस क्षेत्र में मछली और समुद्री अकशेरुकी जीव पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में वयस्क सामन, समुद्री ऊदबिलाव, जवानों और गोताखोरी करने वाले पक्षियों के क्षेत्र भी हैं। उप-ज्वारीय क्षेत्र में kelp वन भी हैं जो अमेरिकी राष्ट्रीय उद्यान सेवा के शोध के अनुसार समुद्री अर्चिन और विविध समुद्री अकशेरुकी के लिए निवास स्थान और मछली के लिए प्रजनन भूमि प्रदान करते हैं।

मानव जीवन के लिए ज्वारभाटा कैसे महत्वपूर्ण है :-

प्रत्येक प्राकृतिक घटना मानव जीवन के लिए प्रासंगिक है और जीवित प्राणियों पर अपना प्रभाव डालती हैJwar Bhata Kise Kahate Hain। इसी संदर्भ में ज्वार के महत्व पर नीचे चर्चा की गयी है

  • मत्स्य पालन (Fishing): ज्वार समुद्री जीवन जैसे समुद्री पौधों और मछलियों की प्रजनन गतिविधियों को भी प्रभावित करता है।
  • ज्वारपूर्ण खाद्य क्षेत्र (Tidal Zone Foods): ज्वारभाटा की नियमिता के कारण ज्वारीय क्षेत्र के समुद्री जीव जैसे केकड़े, मसल, घोंघे, समुद्री शैवाल आदि की संख्या संतुलित रहती है अगर ज्वारभाटा नियमित ना हो तो इनकी संख्या कम या ये विलुप्त हो सकते हैं।
  • नौ-परिवहण (Navigation): उच्च ज्वार समुद्री यात्राओं में मदद करते हैं। वे समुंद्री किनारों के पानी का स्तर बढ़ा देते हैं जिसकी वजह से जहाज को बंदरगाह पर पहुंचाने में मदद मिलती है।
  • मौसम (Weather): ज्वारभाटा के नियमिता के कारण समुंद्री जलवायु समुंद्री जल जीवन के रहने योग्य बनती है और पृथ्वी के तापमान को संतुलित करता है।
  • ज्वार ऊर्जा (Tidal Energy): ज्वारभाटा प्रतिदिन दो बार आता है जिसके कारण पानी में तीव्रता आती है। Jwar Bhata Kise Kahate Hainअगर हम इस उर्जा को संचित कर ले तो यह अक्षय उर्जा का एक और स्रोत हो सकता है। जिसके कारण तट के किनारे रहने वाले समुदायों को नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान किया जा सकता है।

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ज्वार भाटा के लाभ

  • कभी किसी स्थान पर स्थित बंदरगाहों तक जहाज आसानी से नहीं पहुंच पाते हैं। लेकिन ज्वार आने से जल की मात्रा इतनी बढ़ जाती हैं की जहाज बंदरगाहों तक आसानी से पहुंच जाते हैं।
  • इस प्रकार ज्वार भाटे के कारण हुगली तथा टेम्स नदी पर कोलकाता तथा लंदन महत्त्वपूर्ण बांध बन पाए हैं।
  • मछली पकड़ने वाले नाविक ज्वार के साथ खुले समुंद्र में मछली पकड़ने जाते हैं और भाटे के साथ सुरक्षित तट पर लौट आते हैं।
  • जल विद्युत के उत्पादन के स्रोत के रूप में भी ज्वारीय बल का प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए फ्रांस और जापान में कुछ ऐसे विद्युत केंद्र हैं जो ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत में परिवर्तित करते हैं।
  • ज्वार भाटे की वापसी लहर समुद्री तट पर बसे नगरों की सारी गंदगी समुद्र में बहा कर ले जाती हैं।
  • ज्वार भाटे की लहर वापस जाते समय कई समुद्री वस्तुएं जैसे शंख, घोंघे आदि किनारे पर छोड़ देती हैं।
  • ज्वार भाटा के कारण समुद्री जल गतिशील रहता है जिससे वह जल गर्म रहता है और जमता नहीं है। इंग्लैंड के बंदरगाहों के शीत ऋतु में ना जमने का एक महत्वपूर्ण कारण ज्वार भाटा भी हैं।
  • ज्वार-भाटा समुद्री जल का स्तर बढ़ाते हैं।
  • ज्वारीय धाराएँ ज्वारीय ऊर्जा का एक बहुत ही संभावित स्रोत हैं। जिसका उपयोग कई विकसित देशों द्वारा बहुत बड़े पैमाने पर और कुछ हद तक भारत में भी किया जाता हैं। 
  • मैंग्रोव वनों और प्रवाल भित्तियों जैसे पारिस्थितिक तंत्रों के बढ़ने और बनाए रखने के लिए ज्वार बहुत सहायक होते हैं।

ज्वार भाटा के नुकसान

  • इससे मिट्टी का कटाव होता हैं।
  • यह उन मामलों में विनाशकारी हो सकता है जहां ज्वार बहुत अधिक हो जाता है और इसके परिणामस्वरूप आसपास के तटीय क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती हैं।

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