Jivashm Kise Kahate Hain

Jivashm Kise Kahate Hain: हेलो स्टूडेंट्स, आज हमने यहां पर जीवाश्म की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण Jivashm Kise Kahate Hain) के बारे में विस्तार से बताया है। यह हर कक्षा की परीक्षा में पूछा जाने वाले यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।

Jivashm Kise Kahate Hain

पृथ्वी के भीतर कालांतर में जीव अवशेषों से बने इंधन जीवाश्म ईंधन कहलाते हैं।जीवाश्मीकरण यह एक भौतिक-रासायनिक परिवर्तन है जो जीव सैकड़ों-हज़ारों वर्षों के दौरान (चाहे वह जानवर हो या पौधा) जब तक जीवाश्म नहीं बन जाता है।Jivashm Kise Kahate Hainइस तथ्य के अलावा कि जीवाश्म प्रक्रिया को कई, कई वर्षों की आवश्यकता होती है, यह भी लंबे समय और धैर्य की प्रक्रिया है, जीवाश्मों की खोज और पुनर्प्राप्त करना.

जीवाश्म क्या है?-

मृत जीव जंतुओं तथा वृक्षों की वे संरचनाएं जिन्हें प्रकृति द्वारा हजारों वर्षों तक सुरक्षित रखा गया हो, जीवाश्म ईंधन कहलाते हैं।

ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड नामक स्थान पर डायनासोर के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि ये डायनासोर 15 से 21 मीटर लंबाई का रहा होगा।

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जीवाश्म ईंधन-

कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस हमें पृथ्वी के भीतर से प्राप्त होते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ये सभी जीवाश्म ईंधन है क्योंकि ये सभी पदार्थ जीवों (वनस्पति एवं जंतु)के अवशेषों से बने हैं।

पेट्रोलियम से प्राप्त विभिन्न इंधन जैसे एल.पी.जी., पेट्रोल तथा केरोसिन (मिट्टी का तेल) भी जीवाश्म ईंधन की श्रेणी में आते हैं।

करोड़ों वर्ष पूर्व प्राकृतिक आपदाओं के कारण पृथ्वी पर उपस्थित वनस्पति एवं जीव जंतु पृथ्वी की गहराई में दब गए। धीरे-धीरे उन पर मिट्टी एवं रेत की परतें जमती गई। पृथ्वी के भीतर ऑक्सीजन की अनुपस्थिति, उच्च ताप एवं दाब के कारण कालांतर में जीव अवशेष कोयले में परिवर्तित हो गए।

पेट्रोलियम भी समुद्री जीव अवशेषों के समुद्र तल में दब जाने के कारण अनेक प्राकृतिक क्रियाओं के फल स्वरुप कालांतर में उत्पन्न हुआ माना जाता है।

करोड़ों वर्षों में बने कोयले एवं पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के अमूल्य भंडार हैं, जिनका मानव द्वारा निरंतर उपयोग हो रहा है। Jivashm Kise Kahate Hainबढ़ती हुई जनसंख्या, नए-नए उद्योग लगने तथा हमारी जीवनशैली में बदलाव के कारण इन ऊर्जा स्रोतों का अत्यधिक दोहन हो रहा है। कोयले के खनन के कारण जल एवं वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। पेट्रोलियम शोधन के कारखाने वायुमंडल को प्रदूषित कर रहे हैं, साथ ही इन ईंधनों के उपयोग से निकलने वाला धुंआ भी वायुमंडल को अत्यधिक प्रदूषित कर रहा है जिससे अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

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आज का मानव, आदि मानव की तुलना में 100 गुना अधिक उर्जा का उपयोग करता है। ऐसा अनुमान है कि यदि उर्जा खपत की दर में इसी प्रकार बढ़ोतरी होती गई तो जीवाश्म ईंधनों के ये भंडार लगभग 21 वी शताब्दी के मध्य तक समाप्त हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में क्या होगा? सभी उद्योग एवं कारखाने बंद हो जाएंगे। सभी कार्य बिना मशीनों की सहायता से अर्थात् पेशियों द्वारा करने होंगे, यह एक गंभीर चिंता का विषय है। क्या हम वर्तमान समय में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस तथा बिजली के बिना जीवन की कल्पना कर सकते हैं? यदि नहीं तो ऊर्जा संकट के से निपटने के लिए आवश्यक है कि-

1.ऊर्जा के अपव्यय को रोका जाए अर्थात् आवश्यकता के अनुसार ही कम से कम मात्रा में ऊर्जा का उपयोग किया जाए।

2. ऊर्जा के नवीन एवं वैकल्पिक स्रोतों को खोजा जाए, जिनसे लंबे समय तक असीमित मात्रा में ऊर्जा प्राप्त की जा सके है।

आर्टिकल में अपने पढ़ा कि जीवाश्म  किसे कहते हैं, हमे उम्मीद है कि ऊपर दी गयी जानकारी आपको आवश्य पसंद आई होगी। इसी तरह की जानकारी अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करे ।

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