Darpan Kise Kahate Hain

Darpan Kise Kahate Hain: हेलो स्टूडेंट्स, आज हमने यहां पर दर्पण की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण के बारे में विस्तार से बताया है। यह हर कक्षा की परीक्षा में पूछा जाने वाले यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।

Darpan Kise Kahate Hain

दर्पण की परिभाषा(Definition of mirror.)

दर्पण वह युक्ति है जो अपने ऊपर आपतित संपूर्ण प्रकाश विकीरणो को नियमित रूप से परावर्तित कर देती है |

दर्पण कितने प्रकार के होते हैं? (What are the types of mirrors?)

दर्पण मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं-

1. समतल दर्पण(plane mirror)

2. गोलीय दर्पण(spherical mirror)

3. परवलयाकार दर्पण(parabolic mirror)

1. समतल दर्पण की परिभाषा(Plane mirror) – ऐसा दर्पण जिसका परावर्ती पृष्ठ समतल होता है उसे समतल दर्पण कहते हैं|

2. गोलीय दर्पण की परिभाषा(Spherical Mirror) – ऐसा दर्पण जिसका परावर्ती पृष्ठ गोलीय होता है उसे गोलीय दर्पण कहा जाता है|

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गोलीय दर्पण भी दो प्रकार के होते हैं:

I. अवतल दर्पण ( Concave mirror )

II. उत्तल दर्पण ( convex mirror  )

3. परवलयाकार दर्पण की परिभाषा( parabolic mirror) – ऐसा दर्पण जिसका परावर्ती पृष्ठ परवलयाकार होता हैDarpan Kise Kahate Hain उसे परवलयाकार दर्पण कहते हैं|

गोलीय दर्पण किसे कहते है?(Goliya Darpan Kise Kahate Hain)

गोलीय दर्पण बनाने के लिए कांच के खोखले गोले के किसी भाग को काटकर उसके एक पृष्ठ पर यदि कलई कर दी जाए तो दूसरे पृष्ठ से प्रकाश का परावर्तन होने लगता है |Darpan Kise Kahate Hain इस प्रकार बने दर्पण का परावर्ती पृष्ठ गोलीय होता है इसलिए इन्हें गोलीय दर्पण कहा जाता है|

गोलीय दर्पण के प्रकार(goliye Darpan ke Prakar)

 गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं –

I. अवतल दर्पण (  concave mirror) – इस प्रकार के दर्पण का परावर्ती पृष्ठ दबा हुआ होता है Darpan Kise Kahate Hain| इसे अभिसारी दर्पण(Convergent mirror) भी कहा जाता है|

II. उत्तल दर्पण (  convex mirror) – इस प्रकार के दर्पण का परावर्ती पृष्ठ उभरा हुआ होता है | इसे अपसारी दर्पण(Divergent mirror) भी कहा जाता है|

अवतल और उत्तल दर्पण के उपयोग( uses of concave and convex Mirrors) :

 अवतल दर्पण के उपयोग( uses of concave mirror) :

1. दाढ़ी या हजामत बनाने में अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है क्योंकि यदि किसी वस्तु को अवतल दर्पण के सामने उसके ध्रुव और मुख्य फोकस के मध्य रखा जाए तो उसका सीधा तथा आवर्धित( बड़ा) प्रतिबिंब बनता है| Darpan Kise Kahate Hainइसी कारण से अवतल दर्पण का उपयोग दाढ़ी या हजामत बनाने में किया जाता है|

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2. डॉक्टरों द्वारा नाक, कान और गला इत्यादि की जांच करने में- नाक, कान और गला इत्यादि की जांच करने वाले डॉक्टर एक अवतल दर्पण बेल्ट के द्वारा अपने सिर पर पहन लेते हैं तथा समांतर आने वाली प्रकाश किरणों को इस अवतल दर्पण के ऊपर डाला जाता है|Darpan Kise Kahate Hain अवतल दर्पण इन प्रकाश किरणों को किसी स्थान विशेष पर फोकस कर देता है| अतः डॉक्टर उस स्थान का सूक्ष्म निरीक्षण कर सकते हैं|

डिश एंटीना का जो परावर्तक पृष्ठ होता है वह अवतल होता है| Darpan Kise Kahate Hain सेटेलाइट से आने वाली तरंगों को यह परावर्तक पृष्ठ एंटीना के ऊपर फोकस कर देता है|

4. टार्च, सर्च लाइट तथा वाहनों की हेड लाइट  इनके परावर्ती पृष्ठ के रूप में अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है|

 उत्तल दर्पण के उपयोग( uses of convex mirror) :

1. उत्तल दर्पण का मुख्य उपयोग है मोटर वाहनों में पीछे का ट्रैफिक देखने के लिए |Darpan Kise Kahate Hain उत्तल दर्पण द्वारा किसी भी वस्तु का प्रतिबिंब सीधा तथा छोटा बनता है|

अतः उत्तल दर्पण का उपयोग करके हम कार, मोटर वाहनों के पीछे के विस्तृत क्षेत्र का छोटा और सीधा प्रतिबिंब उत्तल दर्पण में देख सकते हैं|

2. सड़क या चौराहों पर लगी बत्तियों में परावर्तक के रूप में भी उत्तल दर्पण का उपयोग किया जाता है क्योंकि उत्तल दर्पण प्रकाश किरणों को अपसारित(फैला) कर देता है| अतः प्रकाश अधिक क्षेत्रफल में फैल सके इसीलिए इन बत्तियों के परावर्तक पृष्ठ उत्तल होते हैं|

अवतल और उत्तल दर्पण में अंतर( difference between concave and convex mirror) :

1. अवतल दर्पण का परावर्ती पृष्ठ अंदर की ओर दबा हुआ तथा उत्तल दर्पण का परावर्ती पृष्ठ उभरा हुआ होता है|

2. अवतल दर्पण को अभिसारी दर्पण तथा उत्तल दर्पण को अपसारी दर्पण कहा जाता है|

3. अवतल दर्पण में प्रतिबिंब वास्तविक और आभासी दोनों प्रकार का बनता हैDarpan Kise Kahate Hain किंतु उत्तल दर्पण में प्रतिबिंब हमेशा आभासी बनता है|

4. अवतल दर्पण में प्रतिबिंब वस्तु से बड़ा, वस्तु के बराबर या वस्तु से छोटा बन सकता है किंतु उत्तल दर्पण में प्रतिबिंब हमेशा वस्तु से छोटा बनता है|

5. अवतल दर्पण की फोकस दूरी ऋणात्मक तथा उत्तल दर्पण की फोकस दूरी धनात्मक होती है|

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 दर्पण से संबंधित कुछ परिभाषाएँ:

1. ध्रुव(pole) :- गोलीय दर्पण के परावर्ती पृष्ठ के मध्य बिंदु को दर्पण का ध्रुव कहते हैं| चित्र में P  दर्पण का ध्रुव है|

2. वक्रता केंद्र(centre of curvature) :- गोलीय दर्पण जिस गोले का भाग होता है, उसके केंद्र को दर्पण का वक्रता केंद्र कहते हैं| चित्र में C  वक्रता केंद्र है|

3. वक्रता त्रिज्या(Radius of curvature) :- दर्पण के ध्रुव से वक्रता केंद्र के बीच की दूरी को दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहते हैं|Darpan Kise Kahate Hain इसे R से प्रदर्शित करते हैं|

4. मुख्य अक्ष(principal axis) :- दर्पण के ध्रुव और वक्रता केंद्र से होकर जाने वाली रेखा को दर्पण का मुख्य अक्ष कहते हैं| चित्र में PC  मुख्य अक्ष है|

5. मुख्य फोकस (principal focus) :- गोलीय दर्पण में मुख्य अक्ष के समांतर आपतित किरणें परावर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के जिस बिंदु से होकर जाती है(अवतल दर्पण में) या जिस बिंदु से होकर आती हुई प्रतीत होती है(उत्तल दर्पण में) उस बिंदु को दर्पण का मुख्य फोकस कहते हैं| Darpan Kise Kahate Hainइसे F से प्रदर्शित करते हैं|

आर्टिकल में अपने पढ़ा कि दर्पण किसे कहते हैं, हमे उम्मीद है कि ऊपर दी गयी जानकारी आपको आवश्य पसंद आई होगी। इसी तरह की जानकारी अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करे ।

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