चालक किसे कहते है ? | सुचालक की परिभाषा क्या है?

चालक क्या है (conductor in hindi) :

प्रकृति में पाए जाने वाली अधिकांश पदार्थो को दो भागो में बाँटा गया है –

1. चालक पदार्थ

2. अचालक पदार्थ

चालक को निम्न प्रकार से परिभाषित कर सकते है –

“वह पदार्थ जो आवेश को ले जाने या आवेश को एक स्थान से दुसरे स्थान तक ले जाने के लिए प्रयोग किया जाता है उसे चालक कहलाता है। “

अर्थात चालक में आवेश का प्रवाह आसानी से हो सकता है।

चाँदी सर्वोत्तम चालक है , चांदी के अलावा सभी धातुएं भी चालक पदार्थो की श्रेणी में आते है जैसे लोहा , एल्युमिनियम , ताम्बा , पारा आदि भी चालक के उदाहरण है।

हालाँकि सबसे अच्छा चालक या सुचालक सोना होता है लेकिन वह बहुत महंगा होता है इसलिए काम में नहीं लिया जाता है , सोने के बाद सबसे अच्छा चालक या सुचालक चाँदी ही होती है |

पृथ्वी भी विद्युत की सुचालक होती है तथा मानव शरीर भी विद्युत का अच्छा सुचालक होता है अर्थात पृथ्वी और मानव शरीर से भी विधुत (आवेश) का प्रवाह आसानी से हो सकता है।

सभी प्रकार के लवणों , अम्लो और क्षारों के जलीय विलयन भी विद्युत् या आवेश के सुचालक होते है। इन घोलो में उपस्थित आयन , आवेश वाहक का कार्य करते है। धातुओं में उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉन (फ्री इलेक्ट्रॉन) आवेश वाहक का कार्य करते है।

मुक्त इलेक्ट्रॉन परमाणुओं की सबसे बाहरी कक्षा के इलेक्ट्रॉन होते है जो थोड़ी बहुत ऊर्जा पाकर संगत परमाणु को छोड़कर चालक की परिसीमाओं के अन्दर कही भी घूम सकते है। लेकिन ये मुक्त इलेक्ट्रॉन चालक को छोड़कर नहीं जा सकते है। अर्थात मुक्त इलेक्ट्रॉन सम्पूर्ण चालक में गति करने के लिए स्वतंत्र होते है इसलिए ही इन्हें मुक्त इलेक्ट्रॉन कहा जाता है।

इन मुक्त इलेक्ट्रॉनों की तुलना किसी बंद बर्तन में उपस्थित गैस के अणुओं से की जा सकती है जो सम्पूर्ण बर्तन के अन्दर गति कर सकते है लेकिन चूँकि बर्तन बंद है इसलिए ये गैस के अणु इस बर्तन से बाहर नहीं निकल सकते है। अत: इनके समूह को इलेक्ट्रॉन गैस भी कहा जा सकता है।

ये मुक्त इलेक्ट्रॉन चालक में गति के दौरान आपस में एक दुसरे से टकराते रहते है तथा साथ ही चालक के अणुओं के साथ भी टकराते रहते है इनकी इस टक्कर के कारण इन मुक्त इलेक्ट्रॉनों की दिशा अनियमित होती है अर्थात ये मुक्त इलेक्ट्रॉन चालक में अनियमित गति करते रहते है।

बाहरी विधुत क्षेत्र की उपस्थिति में ये मुक्त इलेक्ट्रॉन विद्युत क्षेत्र की विपरीत दिशा में गति करते है , इनकी इस गति को अनुगमन (ड्रिफ्ट मोशन) कहते है और दो उतरोत्तर टक्करों के बीच उनके औसत वेग को अनुगमन वेग (ड्रिफ्ट वेलोसिटी) कहते है।

विद्युत अपघट्यों में गतिमान आवेश इलेक्ट्रॉन और आयन दोनों होते है।

मुक्त इलेक्ट्रॉन जब चालक पदार्थ में गति करते है तो ये आपस में टकराते है साथ ही चालक पदार्थ के अन्य अणुओं के साथ भी टक्कर करते रहते है और इधर उधर मुक्त गति करते है इसलिए ही इन्हें मुक्त इलेक्ट्रॉन कहा जा सकता है क्योंकि इनकी गति निश्चित नहीं होती है तथा इनकी इस मुक्त गति को अनियमित गति कहा जाता है।

लेकिन जब इस चालक पदार्थ पर विद्युत क्षेत्र आरोपित किया जाता है तो ये अपने स्वभाव के कारण हमेशा इस विद्युत क्षेत्र की दिशा के विपरीत दिशा में गति करते है , यह इलेक्ट्रॉन या ऋण आवेश का गुण होता है कि वे हमेशा विद्युत क्षेत्र के विपरीत दिशा में गति करते है |

और धन आवेश सदैव विद्युत क्षेत्र की दिशा में गति करते है और चूँकि चालक में आवेश वाहक इलेक्ट्रॉन होते है अर्थात मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या बहुत अधिक होती है और ये ही आवेश वाहक का कार्य करते है |

अत: चालक में विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में इलेक्ट्रॉन या आवेश वाहक विद्युत क्षेत्र की दिशा की दिशा के विपरीत दिशा में एक नियमित गति करने लगते है , इन मुक्त इलेक्ट्रॉनों की इस नियमित गति को अर्थात एक निश्चित दिशा में गति को अनुगमन कहते है।

दो लगातार टक्करों के मध्य उनके औसत वेग को अनुगमन वेग कहते है।

Remark:

दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर solution प्रदान करेंगे|

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