Bhrashtachar Essay In Hindi

परिचय

Bhrashtachar Essay In Hindi:अवैध तरीकों से धन अर्जित करना भ्रष्टाचार है, भ्रष्टाचार में व्यक्ति अपने निजी लाभ के लिए देश की संपत्ति का शोषण करता है। यह देश की उन्नति के पथ पर सबसे बड़ा बाधक तत्व है। व्यक्ति के व्यक्तित्व में दोष निहित होने पर देश में भ्रष्टाचार की मात्रा बढ़ जाती है।

आज भारत में भ्रष्टाचार हर क्षेत्र में बढ़ रहा है, कालाबाजारी जानबूझकर चीजों के दाम बढ़ना, अपने स्वार्थ के लिए चिकित्सा जैसे-क्षेत्र में भी जानबूझकर गलत ऑपरेशन करके पैसे ऐठना, हर काम पैसे लेकर करना, किसी भी समान को सस्ता में लाकर महंगे में बेचना, चुनाव धांधली, घुस लेना, टैक्स चोरी करना, ब्लैकमेल करना, परीक्षा में नकल, परीक्षार्थी का गलत मूल्यांकन करना, हफ्ता वसूली, न्यायाधीशों द्वारा पक्षपात पूर्ण निर्णय, वोट के लिए पैसे और शराब बांटना, उच्च पद के लिए भाई-भतीजावाद, पैसे लेकर रिपोर्ट छापना, यह सब भ्रष्टाचार है।

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Bhrashtachar Essay In Hindi

और यह दिन-ब-दिन भारत के अलावा अन्य देशों में भी बढ़ रहा है और ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जो भ्र्ष्टाचार से नहीं बचा।

“भारत” भ्रष्टाचार मूर्त और अमूर्त दोनों ही रूपों में नजर आता है। यहां भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी अधिक गहरी हैं कि शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र बचा हो, जो इससे बचा रहा है। राजनीति तो भ्रष्टाचार का पर्याय बन गयी है। घोटालों पर घोटाले, दलबदल, सांसदों की खरीद-फरोख्त, विदेशों में नेताओं के खाते, अपराधीकरण-ये सभी भ्रष्ट राजनीति के सशक्त उदाहरण हैं। चुनाव जीतने से लेकर मन्त्री पद हथियाने तक घोर राजनीतिक भ्रष्टाचार दिखाई पड़ता है। ठेकेदार, इंजीनियर निर्माण कार्यो में लाखों-करोड़ों का हेर-फेर कर जाते हैं ।

शिक्षा विभाग भी भ्रष्टाचार का केन्द्र बनता जा रहा है। एडमिशन से लेकर समस्त प्रकार की शिक्षा प्रक्रिया तथा नौकरी पाने तक, ट्रांसफर से लेकर प्रमोशन तक परले दरजे का भ्रष्टाचार मिलता है। चिकित्सा विभाग भी भ्रष्टाचार में कुछ कम नहीं है। बैंकों से लोन लेना हो, पटवारी से जमीन की नाप-जोख करवानी हो, किसी भी प्रकार का प्रमाण-पत्र इत्यादि बनवाना हो, तो रिश्वत दिये बिना तो काम नहीं। हम कही भी जाये हमें भ्रष्टाचार हर कोने पर मिल ही जायेंगे। जैसे जैसे हम बड़े होंगे वैसे वैसे हमें भ्रष्टाचार के बहुत से प्रकार देखने को मिलेंगे।

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भ्रष्टाचार क्या है?

भ्रष्टाचार एक ऐसा अनैतिक आचरण है, जिसमें व्यक्ति खुद की छोटी इच्छाओं की पूर्ति हेतु देश को संकट में डालने में तनिक भी देर नहीं करता है। देश के भ्रष्ट नेताओं द्वारा किया गया घोटाला ही भ्रष्टाचार नहीं है अपितु एक ग्वाले द्वारा दूध में पानी मिलाना भी भ्रष्टाचार का स्वरूप है।

भ्रष्टाचार के कारण

देश का लचीला कानून – भ्रष्टाचार विकासशील देश की समस्या है, यहां भ्रष्टाचार होने का प्रमुख कारण देश का लचीला कानून है। पैसे के दम पर ज्यादातर भ्रष्टाचारी बाइज्जत बरी हो जाते हैं, अपराधी को दण्ड का भय नहीं होता है।

व्यक्ति का लोभी स्वभाव – लालच और असंतुष्टि एक ऐसा विकार है जो व्यक्ति को बहुत अधिक नीचे गिरने पर विवश कर देता है। व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव अपने धन को बढ़ाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है।

आदत – आदत व्यक्ति के व्यक्तित्व में बहुत गहरा प्रभाव डालता है। एक मिलिट्री रिटायर्ड ऑफिसर रिटायरमेंट के बाद भी अपने ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त किए अनुशासन को जीवन भर वहन करता है। उसी प्रकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से लोगों को भ्रष्टाचार की आदत पड़ गई है।

मनसा – व्यक्ति के दृढ़ निश्चय कर लेने पर कोई भी कार्य कर पाना असंभव नहीं होता वैसे ही भ्रष्टाचार होने का एक प्रमुख कारण व्यक्ति की मनसा (इच्छा) भी है।

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भ्रष्टाचार को रोकने के उपाय:

लोकपाल कानून लागू करने के लिए आवश्यक है।

हर क्षेत्र में कार्य से पहले व्यक्ति को शपथ दिलाई जाए ताकि वह इस शपथ को हमेशा याद रखें।

संक्षिप्त और कारगर कानून हो।

प्रशासनिक मामलों में जनता को भी शामिल किया जाए

प्रशासनिक कार्य के लिए लोकपाल स्वतंत्र रूप से कार्य करें

सही समय पर सही वेतन बढ़ाया जाए

सरकारी कार्यालय में जरूरत के हिसाब से कर्मचारी हो कम ना हो

भ्रष्टाचार का विरोध भी इसे रोकने में काफी कारगर सिद्ध होगा है।

भ्रष्टाचार समाज, देश पर प्रभाव (Effect of Corruption on Society and Country) (Bhrashtachar ke Parinam)

भ्रष्टाचार का समाज और देश पर हमेशा ही बुरा प्रभाव पड़ा हैं जो की स्वाभाविक बात हैं जिसमें से कुछ प्रभाव निम्नलिखित हैं भ्रष्टाचार से देश की उन्नति धीमी होती हैं कुछ परिस्थितियोंमे तो रुख ही जाता हैं और इसके साथ ही जागतिक स्तर पर तो देश के चरित्र का हनन होता हैं।

भ्रष्टाचार की वजह से देश के विकास की योजनाओंका ठीक तरह से पालन नहीं होता और इसके कारण देश के लोगोंको इसका ठीक से लाभ नहीं मिलता।

बढ़ते भ्रष्टाचार से देश के ईमानदार लोगोंको भयंकर मानसिक, नैतिक, शारीरिक तथा आर्थिक नुकसान होता हैं।

अनेक प्रकारके कर के चोरी के कारण देश को आर्थिक क्षति पहुँचती हैं।

देश मे बढ़ने वाली अमीर और गरीब के बीच के दूरी का कारण भी भ्रष्टाचार ही हैं।

देश के प्रतिभाशाली व्यक्ति भ्रष्टाचार की वजह से देश में ठीक तरह से काम नहीं कर पाते और उनको कई तरह की परेशानी का सामान्य करना पड़ता हैं इसकी वजहसे वे परदेश में जाकर काम करना पसंद करते है और इससे भी देश को नुकसान झेलना पड़ता हैं।

कुछ लोगोंके निजी स्वार्थ के कारण देश की विकास की परियोजनाए बंद पड जाती हैं और इससे सरकारी तिजोरी पर करोड़ों का बोझ बढ़ता हैं।

खाने की चीजों में मिलावट के कारण देश के लोगों का स्वास्थ भी खतरे मे रहत हैं। (Bhrashtachar par Nibandh)

जमाखोरी के कारण देश में महंगाई बढ़ती हैं जिसके कारण सामान्य लोगोंको आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता हैं।

भ्रष्टाचार की खिलाफ जागरूकता और अधिनियम (Awareness about Corruption and Laws)

वैश्विक स्तर पर लोगों में भ्रष्टाचार के खिलाफ जररूकता फैलाने के लिए दुनियाभर में ९ दिसम्बर को ‘आंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचारविरोधी दिवस’ मनाया जाता हैं। ३१ अक्टूबर २००३ को संयुक्त राष्ट्र के के महासभा में आंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचारविरोधी दिवस मनाने का फैसला किया जिसको एक प्रस्ताव के जरिए पारित किया गया था।

भारत में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम १९८८ (Prevention of Corruption Act 1988) के आधार पर भ्रष्टाचारी व्यक्ति को दंडित किया जाता हैं। जो की देश की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को बल देता हैं। साथ ही में भारत में ‘जन लोकपाल विधेयक’ भी हैं जिसकी मदत से सामान्य लोगों को इस लड़ाई में और भी बलवान बनाता है। इसी बिल की मदत से लोग अपना हक ना मिलने पर अधिकारी को इसकी वजह पुंछ सकते हैं और संतुष्टि न होने पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

credit:Content Writer

उपसंहार

एक भ्रष्टाचार  मुक्त  समाज बनाने की कोशिश साफ़ तौर पर करनी होगी। आने वाली पीढ़ी इस भ्रष्टाचार के जाल में ना फंसे। भारत के कई सिस्टम में भ्रष्टाचार का कीड़ा घुसा हुआ है। इसे ख़त्म करने का समय आ गया है। स्वार्थी और लालची लोग सम्पूर्ण देश को भ्रष्टाचार जैसे कृत्यों से बदनाम कर रहे है। हमे एक जुट होकर इस पर अंकुश लगाना होगा और राष्ट्र को इस धोखेदारी से बचाना होगा। लोगो को लगता है अधर्म का मार्ग अपनाकर, वह कुछ भी हासिल कर सकते है। इस रवैये को बदलना बेहद आवश्यक है। इसके लिए कानून व्यवस्था को मज़बूत बनाने की ज़रूरत है।

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