Author name: Rajkumar Singh

क्रांतिक कोण | पूर्ण आन्तरिक परावर्तन | शर्तें | उदाहरण

क्रांतिक कोण (critical angle in hindi):- सघन माध्यम में आपतन कोण का वह मान जिसके लिए विरल माध्यम में आपवर्तन कोण 90 degree होता है। क्रान्तिक कोण कहते है। नोट:- 1. काँच और हवा के लिए क्रान्तिक कोण का मान लगभग 42 डिग्री होता है। 2. हीरे और हवा के लिए क्रांतिक कोण का मान […]

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अपवर्तन की परिभाषा क्या है | स्नेल का नियम | उदाहरण

1. अपवर्तन (Refraction in hindi ):- जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम से प्रवेश करती है तो अपने पथ से विचलित हो जाती है। इस घटना को अपवर्तन कहते है। चित्र 2.  अपवर्तन का नियम – (स्नेल का नियम) (Snell’s law in hindi): – आपतन कोण की ज्या और अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात

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दिष्ट धारा | प्रत्यावृति | वर्गाकार | त्रिकोणीय तरंग | ज्यावक्रिय तरंग धारा परिभाषा क्या है

1. दिष्ट धारा (direct current in hindi ) : जब किसी धारा का मान तथा दिशा समय के साथ परिवर्तित न हो रही हो तो ऐसी धारा को दिष्ट धारा कहते है। अत: हम कह सकते है की दिष्ट धारा का मान समय के साथ नियत बना रहता है तथा दिशा भी समान रहती है।

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फोकस बिन्दु | फोकस दूरी | फोकस तल | परावर्तन की परिभाषा क्या है

1. फोकस बिन्दु (focus point in hindi):- मुख्य अक्ष के समानान्तर आने वाली किरणे दर्पण से परावर्तनप के पश्चात मुख्य अक्ष के जिस बिन्दु पर आकर मिलती है अथवा मिलती हुई प्रतीत होती है उसे फोकस बिन्दु (M) कहते है। 2. फोकस दूरी (focus distance in hindi):- दर्पण के ध्रुव और फोकस बिन्दु के बीच की दूरी को

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दो समाक्षीय परिनालिकों के मध्य अन्योन्य प्रेरकत्व

दो परिनालिका चित्रानुसार एक समान अक्ष पर रखी हुई, एक को हमने चित्र में S1 नाम दिया है तथा दूसरी को S2.  S1 परिनालिका में N1 फेरें लिपटे हुए है तथा S2 परिनालिका में N2 फेरें लिपटे हुए है जैसा चित्र में दिखाया गया है। हम चित्र में स्पष्ट रूप से देख सकते है की

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अन्योन्य प्रेरण की परिभाषा क्या है

हम देख रहे की चित्रानुसार पास में रखी दो कुण्डलियों के एक कुण्डली में परिवर्तित धारा प्रवाहित करते है तो पास में रखी दूसरी कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होने इस द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है इस घटना को अन्योन्य प्रेरण कहते है। परिभाषा : जब कुण्डली

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धारावाही परिनालिका का स्वप्रेरकत्व

माना एक धारावाही परिनालिका है जिसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A तथा इसकी लम्बाई L है तथा इस पर N फेरे लिपटे हुए है। जब इसमें I परिमाण की धारा प्रवाहित की जाती है तो इस परिनालिका के अन्दर इसकी अक्ष पर एक चुम्बकीय क्षेत्र हो जाता है जिसका मान निम्न सूत्र से ज्ञात कर

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स्वप्रेरण गुणांक या स्वप्रेरकत्व की परिभाषा क्या है |सूत्र | SI मात्रक | विमा

माना किसी N फेरो वाली कुण्डली में I धारा प्रवाहित हो रही है , I धारा प्रवाहित होने से इस कुण्डली के प्रत्येक फेरे के कारण ϴ चुम्बकीय फ्लक्स उत्पन्न हो जाता है।  अतः सम्पूर्ण फेरों या कुण्डली के कारण कुल उत्पन्न चुम्बकीय फ्लक्स का मान Nϴ होगा।  कुण्डली में उत्पन्न चुम्बकीय फ्लक्स Nϴ का मान इसमें प्रवाहित धारा

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भँवर धाराएँ क्या है या फोको धारा परिभाषा

सन 1895 में फोकॉल्ट वैज्ञानिक ने ज्ञात किया की जब एक बन्द परिपथ से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन किया जाता है तो फ्लक्स में परिवर्तन के कारण परिपथ में एक प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है। इस प्रेरित विद्युत वाहक बल के उत्पन्न होने के कारण परिपथ में प्रेरित धारा बहने लगती है। फोकॉल्ट

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समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में आयताकार कुण्डली की घूर्णन गति के कारण उत्पन्न विद्युत वाहक बल

मान लीजिये एक B समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में एक आयताकार कुण्डली रखी हुई है ,इसे चित्र में abcd द्वारा दर्शाया गया है। इस आयताकार कुण्डली abcd को इस प्रकार रखा जाता है की इसकी घूर्णन की अक्ष चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत हो। अब इस आयताकार कुण्डली को w कोणीय वेग से घुमाया जाता है ,

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