शुद्ध प्रतिरोधीय परिपथ में प्रत्यावर्ती वोल्टता तथा प्रत्यावर्ती धारा के मध्य कला संबंध तथा फेजर आरेख

शुद्ध प्रतिरोधीय परिपथ में प्रत्यावर्ती वोल्टता तथा प्रत्यावर्ती धारा के मध्य कला संबंध तथा फेजर आरेख  : जब किसी परिपथ में चित्रानुसार एक वोल्टता स्रोत तथा एक ओमीय प्रतिरोध जुड़ा हुआ हो तो जितना विभवान्तर इस प्रतिरोध के सिरों पर उत्पन्न होगा यह वोल्टता स्रोत के विभवान्तर के बराबर होगा।

ओम का नियम हम पढ़ चुके है जिसके अनुसार
V = IR
सूत्र को देखकर हम स्पष्ट रूप से कह सकते है की धारा का मान सीधे विभवान्तर के समानुपाती है अत: जब धारा का मान शून्य होगा तो विभवान्तर का मान भी शून्य होगा , इसी प्रकार जब धारा का मान अधिकतम होगा तो विभवान्तर भी अधिकतम होगा तथा धारा का मान जब न्यूनतम होगा तो विभवान्तर का मान भी न्यूनतम होगा।
इसी तरह जब धारा का मान ऋणात्मक होगा तो विभवान्तर का मान भी ऋणात्मक प्राप्त होता है।
इससे हम कह सकते है प्रतिरोध में प्रवाहित धारा तथा विभवान्तर के मध्य समान कला है अर्थात यहाँ धारा तथा विभवान्तर समान कला में उपस्थित है।

हम बात कर चुके है की यहाँ धारा तथा विभवान्तर दोनों समान कला में है अत: दोनों को ग्राफीय रूप में निम्न प्रकार निरूपित किया गया है।
अब इसे फेजर आरेख के रूप में व्यक्त करने के लिए , हम फेजर डायग्राम बनाते है तो पाते है की फेजर आरेख में धारा तथा विभवान्तर दोनों एक ही अक्ष पर आरोपित प्राप्त होते है जैसा यहाँ दिखाया जा रहा है

Remark:

दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर solution प्रदान करेंगे|

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top