बिंदु आवेश के कारण विभव क्या है:
विभव की परिभाषानुसार किसी आवेश को उस बिंदु तक लाने में किया गया कार्य ही विद्युत विभव कहलाता है। मान लीजिये कोई बिंदु O है जिस पर कोई आवेश +q रखा हुआ है , इस आवेश (q) अर्थात O बिन्दु से r दूरी पर एक बिंदु P स्थित है तथा हमें P बिंदु पर विभव का मान ज्ञात करना है या दूसरे शब्दों में कहे तो अनंत से एकांक धनावेश को P बिंदु तक लाने में किया गया कार्य ज्ञात करेंगे। एकांक धन आवेश को अनंत से P बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य अर्थात P बिंदु पर विद्युत विभव ज्ञात करने के लिए OP दिशा में O बिंदु से x दुरी पर एक बिंदु A चुन लेते है। धन परीक्षण आवेश (q0) A बिंदु पर लगने वाला बल (कूलॉम नियम से )
इस बल (F) के विरुद्ध धन परिक्षण आवेश को dx विस्थापित करने में किया गया कार्य dW = F.dx dW = F.dx Cos180 dW = F.dx (-1) dW = -F.dx अतः धन परिक्षण आवेश (q0) को अनन्त से P बिंदु तक लाने में किया गया कार्य W = ∞∫rdW = ∞∫r –F.dx
निम्न समीकरण को हल करने पर
हम जानते है की विभव V = W/q अतः P बिंदु पर विभव V = W/q0
हमने O बिंदु पर धनात्मक q आवेश की कल्पना की है अतः विद्युत विभव भी धनात्मक है यदि यह आवेश ऋणात्मक होता तो विद्युत विभव का मान भी ऋणात्मक होता। सूत्रानुसार विभव का मान दूरी(r) के व्युत्क्रमानुपाती है अतः विद्युत विभव व विद्युत विभव के मध्य ग्राफ खींचने पर वह निम्नानुसार प्राप्त होता है
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