तात्क्षणिक मान (Instantaneous value in hindi ):
किसी भी क्षण मापे गए या लिए गए प्रत्यावर्ती धारा के मान को चाहे यह धारा के रूप में हो या वोल्टेज के रूप में तो इसे प्रत्यावर्ती धारा का क्रमश: धारा तथा वोल्टेज के तात्क्षणिक मान कहते है।
यह शून्य , ऋणात्मक या धनात्मक कुछ भी हो सकता है। निचे दिखाए चित्र में 1 , 2 , 3 सेकंड पर धारा का तात्क्षणिक मान क्रमशः I1
, I2 , I3 है।
शिखर मान (peak value in hindi ):
जब प्रत्यावर्ती धारा अपना एक पूर्ण चक्कर पूरा कर लेती है अब इस पूर्ण चक्कर में जो धारा या वोल्टता का अधिकतम मान प्राप्त होता है इसे ही शिखर मान कहते है।
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चित्र में बिन्दु P पर हमें अधिकतम मान प्राप्त हो रहा है अत: यह धारा का शिखर मान है।
प्रत्यावर्ती धारा काऔसत मान (Average value of alternating current in hindi ):
चूँकि हम पढ़ चुके है की प्रत्यावर्ती धारा अपने एक पूर्ण चक्कर में आधे चक्कर में धनात्मक दिशा में अधिकतम मान तक पहुंच कर शून्य हो जाती है तथा आधे चक्कर में ऋणात्मक दिशा में अधिकतम मान तक पहुंच कर पुन: शून्य हो जाती है।
अतः एक पूर्ण चक्कर में प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान शून्य होता है क्यूंकि जितना मान धनात्मक होता है उतना ही ऋणात्मक होता है।
यही कारण है की जब एक धारामापी को प्रत्यावर्ती धारा के परिपथ में जोड़ा जाता है तो इसमें शून्य विक्षेप दिखता है क्यूंकि धारामापी में विक्षेप इसमें बहने वाली धारा के समानुपाती होता है और प्रत्यावर्ती धारा 50 हर्ट्ज़ की भारत में प्रयोग होती है अर्थात 1 सेकण्ड में प्रत्यावर्ती धारा अपने 50 चक्कर पूरे करती है।
अतः 1 सेकंड में 50 धनात्मक अर्द्ध चक्कर होते है तथा 50 ऋणात्मक अर्द्ध चक्कर।
अतः परिपथ में लगी धारामापी इतनी जल्दी विक्षेप उत्पन्न करने में असमर्थ हो जाती है और इस पर हमें शून्य विक्षेप दिखाई देता है।
अतः हम प्रत्यावर्ती धारा के लिए आधे चक्कर के लिए औसत मान ज्ञात करते है
प्रत्यावर्ती धारा के आधे चक्कर के लिए औसत मान
माना प्रत्यावर्ती धारा का शिखर मान I0 है अतः धारा का तात्क्षणिक मान
I = I0 sin wt
प्रत्यावर्ती धारा के आधे चक्कर का औसत मान = आधे चक्कर में घेरा क्षेत्र / π
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![](https://1.bp.blogspot.com/-4USmf4T0oXE/Wq0q2SDPVZI/AAAAAAAAASs/ter3GTHNNocyXV_ZDBsTt-XsDCSMyrRwwCLcBGAs/s1600/latex.png)
![](https://4.bp.blogspot.com/-2XZnrHSjPHU/Wq0rFZJXBHI/AAAAAAAAASw/wTitU58rkYk8pm4Fdcgmt6PWuvu5WDJzACLcBGAs/s1600/latex%2B%25281%2529.png)
इसी प्रकार वोल्टेज के लिए यहाँ I के स्थान पर V कर दीजिये बाकी चीजे समान रहती है।
प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान :
हमने देखा की जब प्रत्यावर्ती धारा के लिए पूर्ण चक्कर का औसत मान ज्ञात किया जाता है तो यह शून्य प्राप्त होता है इसलिए पूर्ण चक्कर के लिए वर्ग माध्य मूल मान ज्ञात करना पड़ता है।
” एक पूरे चक्र के लिए प्रत्यावर्ती धारा के वर्ग के औसत मान के वर्गमूल को ही धारा का वर्ग मध्य मूल मान कहते है। अर्थात इसमें पहले धारा का वर्ग किया जाता है , फिर औसत और फिर इसका वर्गमूल किया जाता है प्राप्त मान को धारा का वर्ग मध्य मूल मान कहते है।
![](https://4.bp.blogspot.com/-FGCT09rDP3s/Wq0t1KvBYvI/AAAAAAAAATE/Kk-OFPvRk1QUzdBtPLLVJLUwllREyNuswCLcBGAs/s1600/latex.png)
पूर्ण चक्कर के लिए सूत्र स्थापना
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![](https://4.bp.blogspot.com/-kRovDZoxYoM/Wq0uZl8kD9I/AAAAAAAAATQ/y_eH3jq84iwvyTgJkkBaT8qimzvzttGCgCLcBGAs/s320/latex.png)
![](https://2.bp.blogspot.com/-GHeJlXk3t40/Wq0uhwPNuoI/AAAAAAAAATU/wLN7K_tgbQwCLUuSDjuRJvGujUERnt49wCLcBGAs/s320/latex%2B%25281%2529.png)
![](https://2.bp.blogspot.com/-jgk9VEteCf8/Wq0u3qwaA9I/AAAAAAAAATY/D6newWmaL1cRNl38Nld58lWGKfjl9MsqwCLcBGAs/s1600/latex%2B%25281%2529.png)
![](https://1.bp.blogspot.com/-eymupF1TVCc/Wq0vNmx3kgI/AAAAAAAAATo/WO4OtERYOPEP4HMmN3IDtA1WB3yDTDz4wCLcBGAs/s1600/latex%2B%25282%2529.png)
![](https://4.bp.blogspot.com/-DPy3fkD2QaA/Wq0vTGh8UhI/AAAAAAAAATs/Zc1zaoaH0ms3TaE0pmjKH8_7JfG3DAz4QCLcBGAs/s1600/latex%2B%25283%2529.png)
Remark:
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