विद्युत धारा किसे कहते है | S.I मात्रक | सूत्र

इस पोस्ट में आप Class 12th Chemistry के विद्युत धारा किसे कहते है | S.I मात्रक | सूत्र टॉपिक के बारे विस्तार से बताया गया है | आपको इन नोट्स से बहुत हेल्प मिलेगी |

किसी भी चालक या सर्किट में आवेश (Charge) के प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं।  विद्युत धारा को I से दर्शाते है |

अधिकांश धातुओं के परमाणुओं की अन्तिम कक्षा में केवल एक-दो इलेक्ट्रॉन्स ही होते हैं और नाभिक से दूर होने के कारण इनमें नाभिक के प्रति आकर्षण बल का मान काफी कम होता है।

अतः ऐसे तत्वों के परमाणुओं में से कुछ बल लगाकर जैसे- विद्युत वाहक बल लगाकर इलैक्ट्रॉन्स को गतिमान किया जा सकता है।

ऐसे इलेक्ट्रॉन्स(मुक्तइलेक्ट्रॉन्स) एक परमाणु से दूसरे परमाणु में होते हुए उस तत्व के टुकड़े के आरपार प्रवाहित किए सकते हैं। इस प्रकार किसी तत्व का पदार्थ में से इलैक्ट्रॉन्स का प्रवाह विद्युत धारा कहलाता है।

विद्युत धारा का सूत्र – Vidyut Dhara Ka Sutra:

विद्युत धारा = आवेश/समय

या

I= Q/T

I= lt

विद्युत धारा का मात्रक –  Vidyut Dhara Ka Matrak:

S.I पद्धति में विद्युत धारा का मात्रक एम्पियर(Ampere) है। इसका चिन्ह I है इसको एंपियर मीटर या एमीटर से नापी जाती है।

धारा का मात्रक = कुलाम /समय  = Cs-1 

विद्युत धारा की विमा – Vidyut Dhara Ki Vima:

धारा की विमा = चूँकि यह मूल राशि है इसलिए इसकी विमा A1 होती है।

विद्युत धारा की दिशा – Vidyut Dhara Ki Disha

प्रारम्भिक अवधारणा (conventional Concept) के अनुसार विद्युत धारा की दिशा धन (+) वस्तु के ऋण (-) वस्तु की ओर होती है परन्तु इलैक्ट्रॉन्स की खोज एवं परमाणु संरचना ज्ञात हो जाने के बाद यह पता चला कि जिस वस्तु के परमाणु कुछ इलैक्ट्रॉन्स त्याग देते हैं, वह वस्तु धनावेशित (positively charged) कहलाती है।

इसी प्रकार, जिस वस्तु के परमाणु कुछ इलैक्ट्रॉन्स ग्रहण कर लेते हैं वह वस्तु ऋणावेशित (negatively charged) वस्तु कहलाती है अर्थात् मुक्त इलैक्ट्रॉन्स की बहुलता वाली वस्तु ऋणावेशित एवं इनकी कमी वाली वस्तु, धनावेशित वस्तु होती है जिस वस्तु के पास मुक्त इलैक्ट्रॉन्स की बहुलता है, वही दूसरी मुक्त इलैक्ट्रॉन्स की कमी वाली वस्तु को मुक्त इलैक्ट्रॉन्स दे सका है। अतः इलैक्ट्रॉन्स के बहाव की दिशा ऋण वस्तु से धन वस्तु की ओर होती है।

   अतः हम कहे तो धन आवेश का प्रवाह उच्च विभव से निम्न विभव की ओर होता है तथा धारा का प्रवाह भी उच्च विभव से निम्न विभव की ओर होता है अतः हम कह सकते है की धन आवेश तथा धारा की दिशा एक ही होती है धन (+) वस्तु के ऋण (-) वस्तु की ओर।

ऋण आवेश का प्रवाह निम्न विभव से उच्च विभव की ओर होता है। अतः कह सकते है की ऋण आवेश (इलेक्ट्रॉन) का प्रवाह धारा की दिशा के विपरीत होता है।

विद्युत धारा के प्रकार – Types of Electric Current in Hindi

1. डायरेक्ट करट – Direct Current in Hindi 

 यह वह करंट है जो हमेशा एक दिशा में बहती है। इसे लगातार या एक ही दिशा में बहने वाली (Unidirectional) करंट भी कहते हैं। इसे (D.C) द्वारा प्रदर्शित करते हैं |

इस तरह की करंट का निर्माण सैल, बैटरी D.C. जनरेटर, D.C रेक्टिफायर इत्यादि से किया जाता है। इसे बैटरी को चार्ज करने, इलैक्ट्रोप्लेटिंग के कार्य इत्यादि के लिए प्रयोग किया जाता है।

2. आल्टरनेटिंग करंट – Alternating Current in Hindi

आल्टरनेटिंग करंट वह करंट है जिसका मान और दिशा समयानुसार बदलते रहते हैं। यह A.C द्वारा दर्शायी जाती है । यह करंट एक दिशा में शून्य से अधिकतम (Maximum) मान तक बढ़ती है|

और फिर उसी दिशा में शून्य तक घट जाती है और फिर दोबारा विपरीत दिशा में शून्य से अधिकतम मान की ओर बढ़ती है और फिर उसी दिशा में शून्य तक घट जाती है ।

एम्पियर की परिभाषा क्या है –  ( १ एम्पियर की परिभाषा )

यह धारा की इकाई किसी है। विद्युत परिपथ में 1 कूलॉम आवेश 1 सेकण्ड में प्रवाहित होता है तो उस परिपथ में विद्युत धारा का मान 1 एम्पीयर है।

अर्थात यदि किसी चालक तार में 1 एंपियर की विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है तो इसका अर्थ है , कि उस तार में प्रति सेकेंड 6.25×1018 इलेक्ट्रॉन एक सिरे से प्रविष्ट होते हैं उतने ही इलेक्ट्रॉन प्रति सेकेंड दूसरे सिरे से बाहर निकल जाते हैं।

UP Board Class 12 Physics Notes in Hindi

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