UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 8 बाग

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अभ्यास

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर के सामने सही (✓) का निशान लगाइए –

(i) फलदार वृक्ष होते हैं –

(क) अल्प आयु
(ख) दीर्घायु
(ग) एक वर्षीय
(घ) द्विवर्षीय

(ii) बाग के लिए सबसे उपयुक्त मृदा है –

(क) दोमट 
(ख) बलुई
(ग) काली
(घ) लाल

(iii) नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते हैं –

(क) बीज से
(ख) तने से
(ग) जड़ से
(घ) उपर्युक्त सभी से 

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

(क) शहर के पास की भूमि में षट्भुजाकार विधि से पौधे लगाए जाते हैं।
(ख) बाग की सुरक्षा के लिए चारों तरफ बाड़ लगाई जाती है।
(ग) बाग लगाने की सबसे प्रचलित वर्गाकार विधि है।

प्रश्न 3.
दिए गए प्रश्नों में सही कथन के सामने सही (✓) तथा गलत के सामने गलत (✗) का निशान लगाइए –

(क) बाग लगाने की कंटूर विधि मैदानी क्षेत्रों में अफ्नाई जाती है। (✗)
(ख) बाग लगाने की वर्गाकार विधि सबसे प्रचलित विधि है। (✓)
(ग) बाग लगाने की पंचकोणीय विधि को पूरक विधि के नाम से जाना जाता है। (✓)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित कथनों में सत्य व असत्य कथन छाँटिए –

(क) पौधशाला में मातृ वृक्ष पूर्णतः स्वस्थ होना चाहिए। (सत्य)
(ख) नर्सरी हेतु क्यारियाँ जमीन से नीची होनी चाहिए। (असत्य)
(ग) नर्सरी के लिए मृदा बलुई या बलुई दोमट होनी चाहिए। (सत्य)
(घ) संवेष्टन क्षेत्र में खादों का रख-रखाव होता है। (असत्य।)

प्रश्न 5.
बाग लगाने की किस विधि में 15 प्रतिशत पौधे अधिक लगाए जाते हैं?
उत्तर :
षट्भुजाकार विधि में

प्रश्न 6.
कंटूर विधि द्वारा पौधे किन क्षेत्रों में लगाए जाते हैं?
उत्तर :
पहाड़ी क्षेत्रों में।

प्रश्न 7.
बाग क्यों लगाते हैं?
उत्तर :
बाग आहार उपलब्ध कराने, पर्यावरण सन्तुलन बनाने तथा प्राकृतिक सौंदर्य बढ़ाने वाले होते हैं। इन्हीं कारणों से लोग बाग लगाते हैं।

प्रश्न 8.
बाग लगाने की कौन-कौन सी विधियाँ हैं?
उत्तर :
बाग लगाने की निम्न विधियाँ हैं –

  1. वर्गाकार विधि
  2. आयताकार विधि
  3. त्रिभुजाकार विधि
  4. पंचकोणीय विधि
  5. षट्भुजाकार विधि
  6. कंटूर विधि

प्रश्न 9.
बाग लगाने के पहले किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?
उत्तर :
बाग लगाने से पहले निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए –

  1. बाग का स्थान चुनते समय सड़क एवं यातायात सुविधा देखनी चाहिए।
  2. उस स्थान की मिट्टी बलुई दोमट, दोमट या चिकनी हो।
  3. सिंचाई और जल निकास सुविधा हो।
  4. जानवरों से नुकसान की सम्भावना कम हो।
  5. चयनित स्थान की जलवायु फलवृक्षों के अनुकूल हो।
  6. फल विपणन की सुविधा हो।

प्रश्न 10.
पौंधघर (नर्सरी) से आप क्या समझते हैं? इसकी आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर :
पौधे बीज, जड और तना आदि से तैयार किए जाते हैं। पौधे जिस स्थान पर तैयार किए जाते हैं, उसे हम पौधघर या नर्सरी के नाम से पुकारते हैं। अच्छी किस्म के पौधे प्राप्त करने के लिए पौधघर की आवश्यकता होती हैं। उद्यान की सफलता के लिए अच्छी नर्सरी जरूरी होती है।

प्रश्न 11.
एक व्यावसायिक पौथशाला में मुख्यतः कौन-कौन से भाग होने चाहिए? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
एक व्यावसायिक पौधशाला में मातृ पौधों का क्षेत्र अलग होने के साथ-साथ निम्नलिखित भाग शामिल होने चाहिए –

  1. बीज की क्यारियाँ (सीड बेड)
  2. रोपण क्यारियाँ गमला क्षेत्र
  3. संवेष्टन क्षेत्र (Packing Yard)
  4. कार्यालय
  5. भण्डार
  6. मालीगृह
  7. खाद के गड्ढे आदि।

प्रश्न 12.
बाग लगाने की वर्गाकार विधि एवं त्रिभुजाकार विधि का चित्र की सहायता से अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 13.
पौध रोपण करते समय किन-किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर :
पौध रोपण करते समय बरती जाने वाली सावधानियाँ –

  1. पौधों के रोपण से पहले, रोपण विधि के अनुसार स्थान चिन्हित कर लेना चाहिये।
  2. औसतनं आधा मीटर लम्बाई, चौड़ाई एवं गहरायी के गंडूढे खोदकर तथा इन गड्ढों को गोबर की खाद, बालू, तालाब की मिट्टी आदि मिलाकर भर देना चाहिये, तत्पश्चात् इन गड्ढों में ही पौध रोपन करना चाहिये।
  3. पौधों को गड्ढे के केन्द्र में रोपित करना ५४चाहिये।
  4. रोपण करते समय पौधे की पिण्डी फूटने न पाये परन्तु पिण्डी में लगी पालिथीन को ब्लेड आदि से काटकर सावधनीपूर्वक हटा देनी चाहिए।
  5. पौध को मिट्टी में पिण्डी तक ही दबाना चाहिये। पौधा किसी भी दशा में रोपण के समय तिरछा न होने पाये। यदि तना किसी तरफ झुक रहा हो तो बाँस आदि की छड़ी की सहायता से बाँध कर सहारा देना चाहिये।
  6. रोपण के बाद तुरन्त हल्की सिंचाई कर देनी चाहिये।
  7. रोपण वर्षा ऋतु में या फरवरी मार्च में करना चाहिये।

प्रश्न 14.
पौध खरीदते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर :
पौध खरीदते समय बरती जाने वाली सावधानियाँ –

1. प्रजाति के अनुसार चुनाव – पौध विक्रेता एवं नर्सरी मालिक कई प्रकार की प्रजातियों के पौधों को एक में मिलाकर बेच देते हैं। जब यह पौधे दस बारह साल बाद फलते हैं तब उनकी प्रजाति का पता चलता है और पूरा बाग खराब हो जाता है। अतः पौधे खरीदते समय वांछित प्रजाति की पहचान करके ही खरीदें।

2. कलमी पौधों की जगह देशी पौधों का रोपण – पौध विक्रेता देशी पौधे सस्ते होने के कारण कलमी पौधे के साथ देशी पौधों को बेच देते हैं। पौध खरीदते समय तनां पर कलिकायने अथवा ग्राफ्टिंग का चीरा देखकर कलमी पौधे पहचाने जा सकते हैं तथा धोखाधड़ी से बचा जा सकता है।

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