UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 12 बाल गंगाधर तिलक

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UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 12 बाल गंगाधर तिलक

बाल गंगाधर तिलक शब्दार्थ

तल्लीन = पूरी तरह मग्न
मस्तिष्क = दिमाग
प्रतिभा = योग्यता
कुशाग्र = तीव्र
चेतना = ज्ञान, आत्मा का विकास, बुद्धि
रुष्ट = नाराज
जन्मसिद्ध = जन्म से प्राप्त
कुरीति = बुरी प्रथा
विद्वता = ज्ञान, अध्ययनशीलता
निष्ठा = विश्वास, श्रद्धा।

बाल गंगाधर तिलक पाठ का सारांश

कक्षा में जब बालक प्रश्न हल करने में लगे थे, एक बालक बैठा था। शिक्षक के पूछने पर बालक ने प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए। यह विलक्षण बालक बाल गंगाधर तिलक था।

तिलक का जन्म २३ जुलाई, १८५६ को महाराष्ट्र के कोंकण जिले के रत्नागिरि में हुआ था। पिता का नाम गंगाधर राव और माता का नाम पार्वती बाई थी। इनके बचपन का नाम केशव था।

तिलक मेधावी छात्र थे। गणित, इतिहास और संस्कृत में इनकी विशेष रुचि थी। १८७७ ई० में बी०ए० पास करके कानून की डिग्री भी प्राप्त की। फिर ये वकालत करने लगे। .

इन्होंने सन १८८० में न्यू इंगलिश और सन १८८५ में दक्षिणी शिक्षा समाज की स्थापना की। इन्होंने देशभक्ति और राष्ट्रीय चेतना जगाने के लिए पत्र-पत्रिकाओं का प्रयोग किया, ‘केसरी’ और ‘मराठा’ समाचार पत्र निकाले। इन्होंने स्वतंत्रता के प्रति लोगों में चेतना जगाई। इनके कार्यों और विचारों के कारण लोग इन्हें लोकमान्य कहने लगे।

तिलक ने विधवा विवाह और स्त्री-शिक्षा पर बल दिया। इन्होंने स्वदेशी की भावना का प्रचार किया। इनके उग्र विचारों के कारण अंग्रेज सरकार इन्हें जेलों में डालती रही। १९०७ में कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में इन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा दिया, “स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर रहूँगा।” १९०८ ई० में राजद्रोह के मुकदमे में इन्हें छह साल के लिए मांडले जेल भेज दिया गया। इन्होंने जेल में तीन पुस्तकें लिखीं। पहली पुस्तक गीता रहस्य इनकी विद्वता का परिचय देती है। १९१४ ई० में ये जेल से बाहर आए। ये लगन और निष्ठा से स्वतंत्रता प्राप्ति के लक्ष्य में जुटे रहे।

‘१ अगस्त, १९२० को इनका देहावसान हो गया।

बाल गंगाधर तिलक अभ्यास प्रश्

शब्दों का खेल

प्रश्न १.
वाक्य पूरा करो
प्रत्येक वाक्य की खाली जगह में उसके दाईं ओर लिखे शब्द का सही रूप लिखो। उदाहरण के लिए पहला वाक्य देखो
तिलक नियमित रूप में व्यायाम करते थे।   (नियम)
तिलक शिक्षा को स्वतन्त्रता का आधार मानते थे। (स्वतन्त्र)
उनके लेख सबका ध्यान आकर्षित करते थे। (आकर्षण)

प्रश्न २.
नीचे दिए गए शब्दों को उदाहरण के अनुसार स्त्रीलिंग में बदलो (स्त्रीलिंग में बदलकर) जैसे
लेखक – लेखिका
बालक – बालिका
शिक्षक – शिक्षिका
नायक – नायिका

प्रश्न ३.
शुद्ध उच्चारण के साथ पढ़ो
उत्तर:
विद्यार्थी शुद्ध उच्चारण के साथ स्वयं पढ़ें।

प्रश्न ४.
नीचे दिए गए शब्दों का अर्थ बताते हुए अपने वाक्यों में उनका प्रयोग करो (प्रयोग करके)
उत्तर:
स्वदेशी – अपने देश की
कुरीति – बुरे रीति-रिवाज
आदर – सम्मान
कुशाग्र – तीक्ष्ण, तीव्र

वाक्य प्रयोग
आदर – सुधाकर बलदेव का बहुत आदर करता था।
स्वेदशी – तिलक ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार और स्वदेशी का प्रचार किया।
कुरीति – राजा राममोहन राय ने सती-प्रथा जैसी कुरीति का बहिष्कार किया।
कुशाग्र – तिलक कुशाग्र बुद्धि के विद्यार्थी थे।

प्रश्न ५.
समान अर्थ वाले शब्द बताओ (समान अर्थ बताकर)
उत्तर:
रुष्ट – नाराज
सम्मान – आदर
कठिन – मुश्किल
निर्धन – गरीब

प्रश्न ६.
“स्वतंत्र’ शब्द में ‘ता’ लगाने पर ‘स्वतंत्रता’ बनता है। इसी प्रकार नीचे दिए गए शब्दों में ‘ता’ जोड़कर नए शब्द बनाओ (नए शब्द बनाकर)
निर्धन – निर्धनता
मानव – मानवता
सज्जन – संज्जनता
उदार – उदारता

बोध प्रश्न

प्रश्न १.
पाठ के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दो
(क) बालक गंगाधर तिलक ने प्रश्नों को कैसे हल किया?
उत्तर:
बालक गंगाधर तिलक ने प्रश्नों को मौखिक रूप में हल किया।

(ख) तिलक के नाम के साथ ‘लोकमान्य’ कैसे जुड़ा?
उत्तर:
तिलक के अच्छे कार्यों और विचारों के कारण इनके नाम के साथ लोकमान्य शब्द जुड़ा।

(ग) लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने क्या नारा दिया?
उत्तर:
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने नारा दिया”स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर रहूँगा।”

(घ) पाठ में लोकमान्य तिलक की किन-किन विशेषताओं का वर्णन किया गया है?
उत्तर:
पाठ में लोकमान्य तिलक की कई विशेषताओं का वर्णन किया गया है। तिलक मेधावी विद्यार्थी थे। इनकी पुस्तक ‘गीता रहस्य’ से उनकी विद्वता और अध्ययनशीलता का परिचय मिलता है। ये देशभक्त और क्रांतिकारी थे। ये समाज सुधारक थे। इन्होंने विधवा विवाह और महिला-शिक्षा पर जोर दिया और बाल विवाह की कुरीति का विरोध किया।

प्रश्न २.
नीचे लिखे प्रत्येक शीर्षक पर दो-तीन वाक्य लिखो
उत्तर:
तिलक का बचपन-बचपन में तिलक का नाम ‘केशव’ था। इनके पिता का नाम गंगाधर राव और माता का नाम पार्वतीबाई था। छोटे होने से इन्हें घर में ‘बाल’ कहकर पुकारा जाता था।

तिलक की शिक्षा – इनके पिता ने पुत्र की शिक्षा-दीक्षा पर पूरा ध्यान दिया। तिलक कुशाग्र बुद्धि के थे। ये गणित के कठिन प्रश्न मौखिक रूप में हल कर लेते थे। इनकी खेलों में रुचि नहीं थी।

स्वतन्त्रता के लिए तिलक का योगदान – तिलक ने स्वतन्त्रता के प्रति लोगों में नई चेतना जगाई। इन्होंने ‘मराठा’ और ‘केसरी’ समाचार पत्रों के माध्यम से ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष किया। १९१४ में जेल से निकलने के बाद भी स्वतन्त्रता प्राप्ति के लक्ष्य में ये जी-जान से जुटे रहे।

अब करने की बारी

लोकमान्य तिलक के जीवन से जुड़े रोचक प्रसंगों का संकलन करो।

इसे भी जानो

नोट – ये दोनों प्रश्न विद्यार्थी स्वयं करें।

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