UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 8 अशुद्ध जल से फैलने वाले रोग (पेचिश, अतिसार, हैजा)

In this chapter, we provide UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 8 अशुद्ध जल से फैलने वाले रोग (पेचिश, अतिसार, हैजा), Which will very helpful for every student in their exams. Students can download the latest UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 8 अशुद्ध जल से फैलने वाले रोग (पेचिश, अतिसार, हैजा) pdf, free UP Board Solutions Class 10 Home Science Chapter 8 अशुद्ध जल से फैलने वाले रोग (पेचिश, अतिसार, हैजा) book pdf download. Now you will get step by step solution to each question. Up board solutions Class 10 Home Science पीडीऍफ़

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
अशुद्ध जल से रोग किस प्रकार फैलते हैं? इनके नियन्त्रण के उपाय बताइए।
उत्तर:
अशुद्ध जल से रोगों की उत्पत्ति एवं उनका संवाहन

अशुद्ध जल में अनेक प्रकार के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पदार्थ पाए जाते हैं। इनके अतिरिक्त अशुद्ध जल में अनेक प्रकार के जीवाणु, कृमि व उनके अण्डे तथा प्रोटोजोन्स आदि पाए जाते हैं। ये मनुष्यों में अनेक रोगों की उत्पत्ति का कारण होते हैं।
अशुद्ध अथवा दूषित जल प्रायः पेय जल के रूप में रोगों की उत्पत्ति एवं उनके संवाहन का कारण बनता है। अत: दूषित जल पीने से सामान्यत: आहारनाल सम्बन्धी रोग होते हैं, जिससे कि रोग की गम्भीर अवस्था में शरीर के कुछ अन्य अंग या पूर्ण शरीर रोग के अभाव में आ जाता है; जैसे-पेचिश, अतिसार व हैजा आदि में शरीर में पानी में आवश्यक लवणों की कमी हो जाने के कारण रोगी डी-हाइड्रेशन अथवा जल-अल्पता का शिकार होकर मरने की स्थिति में पहुँच जाता है। जल द्वारा रोगों का संवाहन प्रायः निम्नलिखित अज्ञानताओं एवं असावधानियों के कारण होता है

  1. पेय जल का उपयोग करते समय उसकी शुद्धता पर ध्यान न देकर हम स्वयं रोगों को आमन्त्रित करते हैं। इसके गम्भीर परिणाम प्रायः वर्षा ऋतु में अधिक होते हैं, क्योंकि वर्षा ऋतु में जल-प्रदूषण अधिक होता है।
  2. रोगी द्वारा प्रयुक्त बर्तनों में बिना उनका उचित नि:संक्रमण किए जल पीने की लापरवाही स्वस्थ व्यक्तियों को भी रोग का शिकार बना देती है।
  3. चिकित्सा के मध्य स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते हुए रोगी को अज्ञानतावश दूषित जल पिला देना उसे दोबारा से रोगी बना देता है।
  4. दूध में अशुद्ध जल की मिलावट होने पर भी यह जल संवाहित रोगों का माध्यम बन जाता है।
  5. कभी-कभी दूषित जल द्वारा भोजन पकाने तथा उस भोजन को ग्रहण करने से भी रोग का संक्रमण हो जाता है।

जल संवाहित रोगों से बचने के उपाय
जल संवाहित रोगों का मूल कारण दूषित जल होता है। दूषित जल का सेवन करने पर इसमें उपस्थित जीवाणु तथा प्रोटोजोन्स इत्यादि हमारे शरीर में प्रवेश कर रोगों की उत्पत्ति करते हैं। अतः इन रोगों से बचने का एकमात्र उपाय शुद्ध जल का सेवन करना है, परन्तु यह इतना सरल नहीं है। इसके लिए पेय जल को रोगाणु मुक्त करना आवश्यक है। पेय जल को रोगाणुमुक्त करने की सामान्य विधियाँ निम्नलिखित हैं

(1) उबालना:
जल को उबालने से अधिकांश रोगाणु नष्ट हो जाते हैं। अब इस जल को ठण्डा करके पीने से जल संवाहित रोगों के होने की सम्भावना नहीं रहती है।

(2) आसवन:
यह उबालने की विधि का वैज्ञानिक रूप है। इसमें एक बर्तन में जल को उबाला जाता है तथा परिणामस्वरूप बनी जल-वाष्प को एक दूसरे बर्तन में ठण्डा करके फिर से जल में परिवर्तित किया जाता है। इसे आसुत जल कहते हैं तथा यह पूर्ण रूप से रोगाणु मुक्त होता है।

(3) जीवाणु अभेद्य निस्यन्दक:
बाजार में विभिन्न क्षमता वाले ,जीवाणु अभेद्य निस्यन्दक लगे उपकरण मिलते हैं। इनमें पेय जल डालने पर जीवाणु व प्रोटोजोन्स निस्यन्दक द्वारा रुक जाते हैं। तथा शुद्ध जल छनकर बर्तन में एकत्रित हो जाता है।

(4) परा-बैंगनी किरणें:
विशिष्ट उपकरणों द्वारा पराबैंगनी अथवा अल्ट्रावॉयलेट किरणें डालने से जल में उपस्थित सभी रोगाणु नष्ट हो जाते हैं। इस विधि का उपयोग प्राय: जल-संस्थान द्वारा किया जाता है।

(5) पोटैशियम परमैंगनेट:
कुएँ, तालाब, पोखर इत्यादि के जल में (पाँच ग्राम प्रति एक हजार लीटर जल में) पोटैशियम परमैंगनेट (लाल दवा) डालने से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। हैजा जैसे संक्रामक रोग के प्रसार को रोकने का यह एक प्रभावशाली उपाय है।

(6) आयोडीन:
दो हजार लीटर जल में एक ग्राम पोटैशियम आयोडाइड मिलाने से जल के अधिकांश जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।

(7) ब्लीचिंग पाउडर:
एक लाख गैलन जल में 250 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर डालने से जल जीवाणुमुक्त हो जाता है। इसका उपयोग प्रायः जल संस्थानों द्वारा बड़े पैमाने पर जल को जीवाणु मुक्त करने के लिए किया जाता है।

(8) क्लोरीन:
क्लोरीन गैस को जल में प्रवाहित करने से जल जीवाणुरहित हो जाता है। जल संस्थानों द्वारा क्लोरीन गैस का उपयोग जीवाणुरहित पेय जल की आपूर्ति के लिए किया जाता है। दस लाख लीटर जल में प्रायः एक लीटर गैस प्रवाहित की जाती है।

प्रश्न 2:
अशुद्ध जल से फैलने वाले रोगों के नाम लिखिए। किसी एक रोग के लक्षण व बचने के उपाय बताइए। [2011, 13, 15, 17, 18]
या
हैजा किस प्रकार फैलता है? इस रोग के लक्षण तथा बचने के उपायों का वर्णन कीजिए। [2007, 10, 13, 14, 17]
या
हैजा नामक रोग के जीवाणु का नाम लिखकर इसका उपचार बताइए।
या
दूषित जल से फैलने वाले प्रमुख रोग कौन-कौन से हैं? ‘हैजे के लक्षण, उपचार तथा बचाव के उपाय लिखिए। [2011,13]
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 8 अशुद्ध जल से फैलने वाले रोग (पेचिश, अतिसार, हैजा) 1
जल प्रायः भोजन का एक आवश्यक भाग होता है। अनेक रोग ऐसे होते हैं कि जिनका संवाहन जल तथा भोजन दोनों से ही होता है।
उदाहरण:  हैजा, टायफाइड आदि।
सामान्यत: निम्नलिखित रोग भोजन के माध्यम से फैलते हैं।
UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 8 अशुद्ध जल से फैलने वाले रोग (पेचिश, अतिसार, हैजा) 2
हैजा (कॉलरा)

कारण:
यह रोग विब्रियो कोलेरी नामक जीवाणु द्वारा होता है। दूषित जल इस रोग का प्राथमिक अथवा मूल वाहक है। हैजा फैलने के विभिन्न कारणों का संक्षिप्त विवरण अग्रलिखित है

  1. शुद्ध पेय जल की समुचित व्यवस्था न होने पर नदियों, तालाबों अथवा ठहरा हुआ जल पीने को विवश होना। इस प्रकार का जल हैजे के कीटाणुओं से दूषित हो सकता है।
  2. भीड़ के स्थानों (मेलों इत्यादि) में मल-मूत्र विसर्जन की उचित व्यवस्था न होने पर यह रोग फैलकर महामारी का रूप धारण कर लेता है। रोगी व्यक्ति वाहक का कार्य करते हैं तथा दूर-दूर तक रोग के जीवाणुओं को फैला देते हैं।
  3. मक्खियाँ इस रोग के संवाहक का कार्य करती हैं। चारों ओर फैली गन्दगी पर जब मक्खियाँ बैठती हैं, तो इनके पंखों एवं पैरों में गन्दगी चिपक जाती है जिसे ये खुले हुए भोज्य पदार्थों तक पहुँचा देती हैं। इस प्रकार भोज्य पदार्थ जीवाणुयुक्त गन्दगी से दूषित हो जाते हैं तथा रोग को फैलाने का कार्य करते हैं।

लक्षण:
रोगाणुओं के शरीर में प्रवेश करने के कुछ घण्टे उपरान्त से दो-तीन दिन पश्चात् तक रोग के निम्नलिखित लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं

  1. चावल के माँड जैसे दस्तों की पुनरावृत्ति।
  2. अत्यधिक मात्रा में तथा बार-बार वमन।
  3. मूत्र विसर्जन में कमी।
  4. शरीर अत्यन्त दुर्बल तथा ज्वर की शिकायत।
  5.  रोगी जल-अल्पता (डी-हाइड्रेशन) से पीड़ित तथा उचित उपचार न मिलने पर कुछ ही घण्टों में मृत्यु की गोद में जा पहुँचता है।

उपचार एवं बचने के उपाय:

  1. मेलों या भीड़ भरे क्षेत्रों में जाने वाले तथा रोगी के आस-पास रहने वाले व्यक्तियों को हैजे से बचाव का टीका अवश्य लगवाना चाहिए।
  2. रोगी को अस्पताल में भर्ती करा देना चाहिए। यदि यह सम्भव न हो, तो उसे पृथक् कमरे में रखना चाहिए।
  3. दूध व जल को उबालकर पीना चाहिए।
  4. भोजन सामग्री को ढककर रखना चाहिए तथा जिन भोज्य पदार्थों पर मक्खियाँ बैठती हों उन्हें कदापि नहीं खाना चाहिए।
  5. घर के आस-पास, गलियों व सड़कों पर स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इनमें गन्दगी के ढेर कभी नहीं रहने देने चाहिए। नगरपालिका व स्वास्थ्य विभाग को समय-समय पर सचेत करते रहना चाहिए।
  6. रोगी के मल-मूत्र व वमन आदि का विधिपूर्वक तुरन्त नि:संक्रमण करना चाहिए।
  7. रोगी द्वारा प्रयुक्त बर्तनों व वस्त्रों को खौलते पानी में डालकर साबुन से धोना चाहिए।
  8. रोगी को योग्य चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ओषधियाँ देना सदैव विवेकपूर्ण रहता है।
    जल शुद्ध करने की घरेलू विधि-‘उबालना’ जल शुद्ध करने की उत्तम घरेलू विधि है।

प्रश्न 3:
अतिसार नामक रोग के कारणों, लक्षणों एवं बचने के उपायों का वर्णन कीजिए। [2011, 12, 15, 17]
या
अतिसार रोग के लक्षण लिखिए। अतिसार के रोगी को किस प्रकार को आहार देना चाहिए? [2008, 09, 14]
या
अतिसार और पेचिश में क्या अन्तर है? अतिसार के कारण, लक्षण और उपचार लिखिए। [2008, 17]
या
पेचिश एवं अतिसार में क्या अन्तर है? [2008, 13, 17, 18]
उत्तर:
अतिसार (डायरिया)

कारण-अतिसार जल द्वारा फैलने वाला एक रोग है। इस रोग की उत्पत्ति प्राय: इश्चेरिचिया कोलाई नामक जीवाणु द्वारा होती है। यह रोग प्रायः बच्चों में अधिक पाया जाता है। इस रोग के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

  1. वर्षा-ऋतु में इस रोग के जीवाणु जल में अधिक पाए जाते हैं।
  2. मक्खियों द्वारा इसके जीवाणु दूध में आ जाते हैं जिनके द्वारा यह बच्चों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
  3. बार-बार वे आवश्यकता से अधिक भोजन करने से, अपच हो जाने के कारण यह रोग हो सकता है।
  4. समय-असमय भोजन करने से भी यह रोग हो सकता है।

लक्षण:
इस रोग के निम्नलिखित लक्षण हैं

  1. पतले व हरे रंग के दस्त आते हैं।
  2. दस्त अधिक आने पर कभी-कभी दस्त के साथ रक्त भी आता है।
  3. रोगी को हल्का-सा ज्वर भी रहता है।
  4. दस्तों की संख्या एक दिन में 25-30 तक हो सकती है, जिससे रोगी अत्यधिक दुर्बल हो जाता है।

बचाव के उपाय:
यह एक भयानक रोग है जिसमें उचित चिकित्सा न होने पर लगभग 1-6 वर्ष की आयु तक के बच्चों के मरने का भय बना रहता है; अत: निम्नलिखित उपायों का पालन किया जाना अति आवश्यक है

  1. रोगी को पूर्ण विश्राम करने देना चाहिए।
  2.  योग्य चिकित्सक से तुरन्त परामर्श करना चाहिए।
  3. रोगी को उबालकर ठण्डा किया जल पीने के लिए देना चाहिए।
  4. बोतल से दूध पीने वाले बच्चों की बोतल को समय-समय पर अच्छी तरह से स्वच्छ करना चाहिए।
  5. रोगी बच्चे को व अन्य स्वस्थ बच्चों को सदैव उबालकर ताज़ा दूध देना चाहिए।
  6. भोज्य पदार्थों को मक्खियों से बचाने के लिए ढककर रखना चाहिए।
  7. रोगी बच्चे को खाने में चूने का पानी, मट्ठा तथा अन्य सुपाच्य व हल्के भोज्य पदार्थ देने चाहिए। फलों में केला खाने के लिए देना इस रोग में लाभप्रद रहता है।।
  8. अतिसार के रोगी को निर्जलीकरण से बचाने के समस्त उपाय करने चाहिए।

अतिसार और पेचिश में अन्तर
प्रायः अतिसार में पेट में पीड़ा होने के लक्षण नहीं पाए जाते। केवल दस्त ही होते हैं। अतिसार पर नियन्त्रण नहीं किया जाता है, तो इसके बाद पेचिश के लक्षण भी दो-एक दिनों में दिखाई देने लगते हैं, अर्थात् दस्तों के साथ पेट में तेज ऐंठन, दस्त के साथ श्लेष्मा (आँव) व रक्त, भी आने लगता है। रोगी को ज्वर भी हो सकता है।

प्रश्न 4:
मियादी बुखार या टायफाइड नामक रोग के कारणों, लक्षणों, उपचार एवं बचने के उपायों का वर्णन कीजिए। [2007, 08, 09, 10, 14]
या
टायफाइड के कारण एवं लक्षण लिखिए। [2016]
या
मियादी बुखार के कारण तथा रोकथाम के उपाय लिखिए। [2011]
उत्तर:
मियादी बुखार या टायफाइड अथवा मोतीझरा

मियादी बुखार जल एवं भोजन के माध्यम से फैलने वाला एक संक्रामक रोग है। इसे मोतीझरा या टायफाइड भी कहा जाता है। यह बुखार एक अवधि तक अवश्य रहता है। इसीलिए इसे मियांदी बुखार कहा जाता है।

कारण:
यह रोग साल्मोनेला टाइफी नामक जीवाणु द्वारा होता है। यह एक संक्रामक रोग है, जोकि एक निश्चित अवधि (लगभग 4-6 सप्ताह) तक रहता है, परन्तु. अधिक दुर्बल हो जाने के कारण रोगी अन्य रोगों से ग्रस्त हो सकता है। इस रोग के फैलने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

  1. यह रोग दूषित जल व भोज्य पदार्थों से फैलता है।
  2. रोगी के मल-मूत्र के साथ लाखों जीवाणु शरीर से बाहर निकलते हैं, जोकि रोगी के नाखूनों में भर जाते हैं। इस प्रकार का अर्द्ध-स्वस्थ व्यक्ति जीवाणुओं के वाहक का कार्य करता है तथा जल, दूध व अन्य भोज्य पदार्थों को जीवाणुयुक्त बनाता रहता है।
  3. फल, सलाद व तरकारियाँ शुद्ध पानी से अच्छी प्रकार न धोने पर रोग की उत्पत्ति का कारण बन सकती हैं।
  4. मक्खियाँ भी भोज्य पदार्थों को जीवाणुयुक्त बनाती हैं।
  5.  रोगी द्वारा प्रयुक्त बर्तन व भोज्य पदार्थ नि:संक्रमित न किये जाने पर रोग के प्रसार में सहायक होते हैं।

सम्प्राप्ति काल: 4 दिन से 40 दिन तक हो सकता है।
लक्षण:
रोग के संक्रमण के एक से तीन सप्ताह के अन्दर रोगी में निम्नलिखित लक्षण दिखाई पड़ते हैं

  1. सिर में असहनीय तीव्र पीड़ा अनुभव होती है।
  2. प्रथम सप्ताह में ज्वर 101°-105° फारेनहाइट तक बढ़ता है।
  3.  द्वितीय सप्ताह में ज्वर समान रहता है, तृतीय सप्ताह में ज्वर घटने लगता है तथा चौथे सप्ताह में सामान्य हो जाता है, परन्तु लगभग छठे सप्ताह तक दुर्बलता रहती है।
  4. जिह्वा मध्य में सफेद तथा सिरों पर लाल रहती है।
  5. दूसरे सप्ताह के लक्षण अधिक भयंकर रहते हैं; जैसे–पेट फूलना, सन्निपात के समान स्थिति, मल-मूत्र विसर्जन सामान्य न रहना इत्यादि।
  6. गर्दन व शरीर पर मोती जैसे दाने निकल आते हैं।
  7. आँतों में सूजन आ जाती है, जिसके कारण आहारनाल सम्बन्धी अनेक विकार उत्पन्न हो जाते हैं।

उपचार व बचने के उपाय:
इस रोग से बचने के निम्नलिखित उपाय हैं

  1. रोग निरोधक टीका लगवाने से रोम की सम्भावना बहुत कम रह जाती है, इस रोग से बचाव के लिए टी० ए० बी० का टीका लगवाया जाना चाहिए।
  2. रोगी को पृथक् कमरे में रखना चाहिए।
  3. रोगी द्वारा प्रयुक्त वस्तुओं का विधिपूर्वक नि:संक्रमण होना चाहिए।
  4. जल व दूध को उबाल कर पीना चाहिए।
  5. भोज्य पदार्थों को मक्खियों से सुरक्षित रखना चाहिए।
  6. (रोगी को सुपाच्य एवं हल्का भोजन देना चाहिए।
  7. योग्य चिकित्सक की देख-रेख में ही रोगी का इलाज कराना चाहिए।
  8. पूर्ण स्वस्थ होने तक रोगी को एकान्तवास एवं विश्राम करना चाहिए, क्योंकि अर्द्ध-स्वस्थ रोगी अन्य व्यक्तियों में रोग फैला सकता है।

प्रश्न 5:
पेचिश नामक रोग के फैलने के कारणों, लक्षणों तथा उपचार एवं रोग से बचने के उपायों का वर्णन कीजिए। [2007, 10, 11, 12, 13, 14]
उत्तर:
पेचिश (डिसेण्ट्री)

कारण:
यह रोग जीवाणुओं एवं प्रजीवाणुओं (प्रोटोजोन्स) दोनों ही से उत्पन्न होता है। जीवाण बैसिलस द्वारा होने वाली पेचिश को बैसिलरी पेचिश तथा प्रजीवाण ( एण्ट हिस्टोलिटिका) द्वारा होने वाली पेचिश को अमीबायोसिस कहते हैं। पेचिश का उद्भवन काल सामान्य रूप से-1 से 2 दिन तक होता है। इस रोग के फैलने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

  1. दूषित जल में (नदी, तालाब, कुएँ व नलकूप आदि) प्रायः जीवाणु व प्रजीवाणु दोनों पाए जाते हैं। अतः यह जल संवाहित रोग है।
  2. मक्खियाँ इस रोग के वाहक का कार्य करती हैं तथा पेय जल एवं खाद्य पदार्थों तक रोगाणुओं को पहुँचाती रहती हैं।
  3. रोगी के मल-मूत्र व अन्य प्रकार की गन्दगी इस रोग को व्यापक स्तर पर फैलाने में पर्याप्त योगदान देती है।

लक्षण:
संक्रमण के एक या दो दिन पश्चात् ही रोगी में निम्नलिखित लक्षण दिखाई पड़ते हैं

  1. पेट में बार-बार पीड़ादायक ऐंठन होती है।
  2. बार-बार दस्त आते हैं तथा कुछ दिनों बाद दस्त के साथ श्लेष्मा अथवा आँव तथा रक्त भी आने लगता है।
  3. रोगी को कभी-कभी ज्वर भी रहता है।
  4. प्रजीवाणु प्रायः आँतों की झिल्ली में घावे कर देते हैं।
  5. प्रजीवाणु यकृत एवं झिल्ली को भी कुप्रभावित कर सकते हैं।

उपचार एवं रोग से बचने के उपाय:
पेचिश से बचने एवं उपचार के उपायों का संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित हैं

  1. रोगी को अन्य व्यक्तियों से पृथक् रखना चाहिए।
  2. पेय जल की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए नदी, तालाबों व कुओं के जल में समय-समय पर पोटैशियम परमैंगनेट अथवा ब्लीचिंग पाउडर डालना चाहिए।
  3. रोगी एवं अन्य स्वस्थ व्यक्तियों को जल उबालकर पीना चाहिए।
  4. पेय एवं खाद्य सामग्रियों को मक्खियों से सुरक्षित रखना चाहिए।
  5. गलियों एवं सड़कों की स्वच्छता के प्रति सचेत रहना चाहिए तथा आवश्यकता पड़ने पर नगरपालिका अथवा स्वास्थ्य विभाग को सूचित भी करना चाहिए।
  6. औषधियों का सेवन किसी योग्य चिकित्सक के परामर्श के अनुसार पूर्णतया रोगमुक्त होने तक करना चाहिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
अशुद्ध जल से फैलने वाले रोगों के नाम लिखिए। [2011, 16, 17, 18]
उत्तर:
अशुद्ध जल से अनेक प्रकार के सामान्य से लेकर भयंकर रोग तक फैलते हैं। इनमें
आहारनाल सम्बन्धी, गुर्दे सम्बन्धी तथा ज्वर सम्बन्धी अनेक रोग सम्मिलित हैं। पीलिया, टायफाइड, हैजा, अतिसार, पेचिश, गोलकृमि, सूत्रकृमि आदि महामारियों के रूप में भी फैलते हैं।
अनेक अति सामान्य रोग; जैसे—सिरदर्द, नजला, फ्लू, आँखों के रोग, मितली, उल्टी (वमन), दस्त आदि भी दूषित जल से हो सकते हैं।

प्रश्न 2:
मक्खियाँ किस प्रकार रोगों के वाहक का कार्य करती हैं? मक्खियों द्वारा कौन-कौन से रोग फैलते हैं?
उत्तर:
मक्खियों के पैर रोमयुक्त होते हैं। जब ये कूड़े-करकट, वमन, मल-मूत्र, थूक अथवा अन्य प्रकार की गन्दगी पर बैठती हैं तो गन्दगी के साथ रोगाणु भी इनके पैरों पर चिपक जाते हैं। जब ये मक्खियाँ पेय व खाद्य पदार्थों पर बैठती हैं, तो गन्दगी के साथ चिपके रोगाणु इन भोज्य पदार्थों पर चिपक जाते हैं। इस प्रकार मक्खियों द्वारा भोज्य पदार्थ रोगाणुयुक्त हो जाते हैं तथा स्वस्थ व्यक्ति जब भी इस प्रकार के भोज्य पदार्थों का सेवन करते हैं, तो रोगाणु उनके शरीर में प्रवेश कर उन्हें रोगी बना देते हैं।
मक्खियाँ प्राय: निम्नलिखित रोगों को फैलाती हैं–
(1) हैजा,
(2) टायफाइड,
(3) पेचिश तथा
(4) अतिसार।

प्रश्न 3:
जल किस प्रकार रोगाणुयुक्त होता है?
या
किन कारणों से जल प्रदूषित होता है? प्रदूषित जल से फैलने वाले रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
जल में रोगाणु प्रायः निम्नलिखित विधियों अथवा वाहकों द्वारा प्रवेश करते हैं|
(1) मक्खियों द्वारा:
मक्खियाँ गन्दगी के रोगाणुओं को जल में स्थानान्तरित करती रहती हैं।

(2) अर्द्ध अथवा आंशिक रूप से स्वस्थ रोगियों द्वारा:
इस प्रकार के रोगी जब नदी अथवा तालाब के पास मल-मूत्र विसर्जन करते हैं तथा कुओं आदि के किनारों पर स्नान करते हैं अथवा वस्त्रादि धोते हैं, तो रोगाणु जल में प्रवेश कर जाते हैं, जैसे कि टायफाइड अथवा पेचिश के रोगी।

(3) सार्वजनिक स्वच्छता के प्रति उदासीनता एवं लापरवाही:
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रायः सार्वजनिक स्वच्छता के प्रति अज्ञानता एवं उदासीनता देखी जा सकती है। गन्दगी को तालाबों वे नदी के किनारों पर डाल दिया जाता है, जहाँ से जीवाणु सरलतापूर्वक जल में पहुँच जाते हैं।

(4) वायु द्वारा:
वायु गन्दगी, थूक, मल-मूत्र आदि को धूल के साथ उड़ाकर जल तक पहुँचा देती है, परिणामस्वरूप जल रोगाणुयुक्त हो जाता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
जल द्वारा फैलने वाले रोग कौन-से हैं? [2008, 11, 12, 13, 17, 18]
उत्तर:
जल द्वारा फैलने वाले मुख्य रोग हैं-हैजा, टायफाइड, पेचिश एवं अतिसार।

प्रश्न 2:
पाचन-तन्त्र सम्बन्धी दो रोगों के नाम बताइए।
उत्तर:
पाचन-तन्त्र सम्बन्धी दो रोग हैं
(1) पेचिश तथा
(2) अतिसार।

प्रश्न 3:
किस रोग में रोगी अत्यधिक वमन करता है?
उत्तर:
हैजे का रोगी अत्यधिक वमन करता है।

प्रश्न 4:
हैजा नामक रोग किस जीवाणु द्वारा फैलता है?
या
हैजा रोग के कारण लिखिए।
उत्तर:
हैजा नामक रोग विब्रियो कोलेरी नामक जीवाणु द्वारा फैलता है। अशुद्ध जल के कारण वचारों ओर फैली गन्दगी, उन पर बैठने वाली मक्खियों के द्वारा भोजन पर आकर बैठने से।

प्रश्न 5:
टायफाइड फैलाने वाले रोगाणु का नाम लिखिए। [2010, 14, 18]
उत्तर:
साल्मोनेला टाइफ

प्रश्न 6:
उबालने से जल किस प्रकार रोगमुक्त हो जाता है?
उत्तर:
उबालने से जल के अन्दर उपस्थित सभी जीवाणु इत्यादि मर जाते हैं, क्योंकि जिस तापक्रम पर जल उबलता है अर्थात् 100° सेण्टीग्रेड पर जीवित रहना सामान्यतः सम्भव नहीं रहता।

प्रश्न 7:
कुम्भ के मेले में ज़ल संवाहित कौन-से रोग के लिए टीका लगाया जाता है?
उत्तर:
हैजे से बचाव के लिए टीका लगाया जाता है।

प्रश्न 8:
पाचन-तन्त्र के रोग प्रायः किन माध्यमों द्वारा फैलते हैं?
उत्तर:
दूषित जल एवं भोजन द्वारा।

प्रश्न 9:
जल में लाल दवा डालने से क्या लाभ हैं?
या
लाल दवा का वैज्ञानिक नाम क्या है? इसकी क्या उपयोगिता है? [2008]
उत्तर:
लाल दवा का वैज्ञानिक नाम पोटैशियम परमैंगनेट है। जल में लाल दवा अथवा पोटैशियम परमैंगनेट डालने से जल के जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 10:
बच्चों में होने वाला भीषण संक्रामक रोग कौन-सा है?
उत्तर:
1-6 वर्ष की आयु के बच्चों में होने वाला प्राणघातक जल संवाहित रोग है–अतिसार।

प्रश्न 11:
अतिसार प्रायः किस ऋतु में अधिक फैलता है? [2013]
उत्तर:
वर्षा-ऋतु में।

प्रश्न 12:
डायरिया के कारण बताइए।
उत्तर:
दूषित जल व भोजन इस रोग के मूल कारण हैं। मक्खियाँ इस रोग के वाहक का कार्य करती हैं।

प्रश्न 13:
दूषित जल से फैलने वाली दो बीमारियों के नाम लिखिए। या, अशुद्ध जल से क्या हानियाँ होती हैं? [2009, 11]
उत्तर:
अशुद्ध जल से अनेक प्रकार के साधारण तथा भयंकर रोग हो सकते हैं; जैसे-हैजा एवं टायफाइड।

प्रश्न 14:
हैजा रोग से बचने के दो उपाय लिखिए।
उत्तर:
हैजा रोग से बचने के लिए खाने-पीने की वस्तुओं को मक्खियों से बचाना चाहिए तथा टीकाकरण भी करवाना चाहिए।

प्रश्न 15:
पेचिश रोग के प्रकार लिखिए। [2007]
उत्तर:
यह रोग दो प्रकार से उत्पन्न होता है। यह रोग जीवाणुओं एवं प्रजीवाणुओं, दोनों ही प्रकार से होता है। जीवाणु बैसिलस द्वारा होने वाली पेचिश को बैसिलरी पेचिश तथा प्रजीवाणु एण्ट अमीबा हिस्टोलिका द्वारा होने वाली पेचिश को अमीबियोसिस कहते हैं।

प्रश्न 16:
हैजा किन क्षेत्रों में अधिक फैलता है? [2014]
उत्तर:
हैजा भीड़ वाले तथा सफाई की व्यवस्था न होने वाले क्षेत्रों; जैसे–मेलों, तीर्थस्थानों तथा युद्ध-क्षेत्र में अधिक फैलता है। मक्खियों की अधिकता वाले क्षेत्रों में हैजा फैलने की अधिक आशंका रहती है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न:
निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए

1. मक्खियों द्वारा कौन-सा रोग फैलता है? [2008, 15] 
(क) मलेरिया
(ख) अतिसार (डायरिया)
(ग) हैजा
(घ) तपेदिक

2. आन्त्रशोध (मियादी बुखार) फैलाने वाला जीवाणु है
(क) ट्यूबर कुलोसिस बैसिलस
(ख) साल्मोनेला टाइफी
(ग) बैसिलस पर्टयूसिस
(घ) इनमें से कोई नहीं

3. टाइफाइड में कैसा आहार दिया जाना चाहिए?
(क) पौष्टिक तथा गरिष्ठ
(ख) हल्का तथा सुपाच्य
(ग) मिर्च मसालेदार
(घ) कुछ भी आहार नहीं देना चाहिए।

4. अशुद्ध जल से रोग हो जाता है। [2007, 11, 14, 15, 17, 18]
या
जल द्वारा कौन-सा रोग हो जाता है ? [2009, 16]
(क) क्षय रोग
(ख) चेचक
(ग) हैजा
(घ) मलेरिया

5. हैजा के जीवाणु का नाम है [2008, 17]
(क) टिटैनी
(ख) टाइफी
(ग) विब्रियो कोलेरी
(घ) बैसिलरी

6. पेचिश में निम्नलिखित लक्षण होते हैं
(क) पेट में पीड़ा तथा ऐंठन
(ख) बार-बार शौच होना
(ग) आँव का होना
(घ) ये सभी

7. मक्खियों को नष्ट करने के लिए छिड़काव किया जाता है
(क) डी० डी० टी० का
(ख) ब्लीचिंग पाउडर का
(ग) आयोडीन घोल का
(घ) लाल दवा का

8. अतिसार के रोगी को किस प्रकार का आहार देना चाहिए ? [2009]
(क) उच्च प्रोटीन युक्त
(ख) उच्च रेशेयुक्त
(ग) नरम व तरल आहार
(घ) इनमें से कोई नहीं

9. निम्नलिखित में से कौन-सा रोग अशुद्ध जल से नहीं फैलता है?
(क) हैजा
(ख) अतिसार
(ग) क्षय रोग (टी० बी०)
(घ) मोतीझरा (टायफाइड)

10. हैजा किसके द्वारा फैलता है ? [2010, 16, 17]
(क) दूषित हवा
(ख) विटामिन
(ग) शुद्ध जल
(घ) दूषित जल

उत्तर:
1. (ग) हैजा,
2. (ख) साल्मोनेला टाइफी,
3. (ख) हल्का तथा सुपाच्य,
4. (ग) हैजा,
5. (ग) विब्रियो कोलेरी,
6. (घ) ये सभी,
7. (क) डी० डी० टी० का,
8. (ग) नरम व तरल आहार,
9. (ग) क्षय रोग (टी०बी०),
10. (घ) दूषित जल।

All Chapter UP Board Solutions For Class 10 Home Science

—————————————————————————–

All Subject UP Board Solutions For Class 10 Hindi Medium

*************************************************

I think you got complete solutions for this chapter. If You have any queries regarding this chapter, please comment on the below section our subject teacher will answer you. We tried our best to give complete solutions so you got good marks in your exam.

यदि यह UP Board solutions से आपको सहायता मिली है, तो आप अपने दोस्तों को upboardsolutionsfor.com वेबसाइट साझा कर सकते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top